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RTI की सूचना ना देने पर निजी विश्वविद्यालय पर लगा जुर्माना, चुकानी पड़ेगी इतनी रकम

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Published : Dec 6, 2019, 3:34 PM IST

Updated : Dec 6, 2019, 4:04 PM IST

शिमला में आरटीआई की सूचना ना देने पर पहली बार किसी निजी विश्वविद्यालय पर जुर्माना लगाया गया है. जानिए क्यों प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर लगाया गया जुर्माना.

Private university fined for not giving RTI information in shimla
RTI की सूचना ना देने पर निजी विश्वविद्यालय पर लगा जुर्माना

शिमला: हिमाचल में आरटीआई एक्ट की अवहेलना करने पर राज्य सूचना आयोग ने निजी विश्लविद्यालय को जुर्माना लगाया है. प्रदेश में यह पहली बार है जब आरटीआई एक्ट की अवहेलना करने पर किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर जुर्माना लगाया गया हो.

बता दें कि राज्य सूचना आयोग ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विश्वविद्यालय को 7 दिन में जानकारी देने के आदेश दिए और आरटीआई का जवाब समय पर न देने पर प्राइवेट यूनिवर्सिटी को 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है.

वीडियो रिपोर्ट.

याचिकाकर्ता के अनुसार मानव भारती यूनिवर्सिटी ने दायर आरटीआई का दिसंबर 2018 से अगस्त 2019 तक कोई जवाब नहीं दिया और जब मामला राज्य सूचना आयोग पहुंचा, तो भी विश्वविद्यालय आयोग के सामने नहीं आया.

इसके बाद राज्य सूचना आयोग ने विश्वविद्यालय को कारण बताओ नोटिस थमा दिया, लेकिन विश्वविद्यालय के वकील ने इसे थर्ड पार्टी इंफोर्मेशन बताकर जवाब देने से मना कर दिया था.

ये भी पढ़ें: 11 दिसम्बर से फिर करवट बदलेगा मौसम, विभाग ने बारिश और बर्फबारी की जताई संभावना

राज्य सूचना आयोग ने कोर्ट और रेगुलेटरी कमीशन का हवाला देने हुए ये जानकारी देने का आदेश देने के साथ साथ इस जानकारी को जनहित में देने के लिए फैसला भी सुनाया. राज्य सूचना आयोग ने इस फैलसे पर हिमाचल प्रदेश हायर एजुकेशन और स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी कमिशन को विश्वविद्यालय पर सही एक्शन लेने के आदेश दिए हैं.

शिमला: हिमाचल में आरटीआई एक्ट की अवहेलना करने पर राज्य सूचना आयोग ने निजी विश्लविद्यालय को जुर्माना लगाया है. प्रदेश में यह पहली बार है जब आरटीआई एक्ट की अवहेलना करने पर किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर जुर्माना लगाया गया हो.

बता दें कि राज्य सूचना आयोग ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विश्वविद्यालय को 7 दिन में जानकारी देने के आदेश दिए और आरटीआई का जवाब समय पर न देने पर प्राइवेट यूनिवर्सिटी को 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है.

वीडियो रिपोर्ट.

याचिकाकर्ता के अनुसार मानव भारती यूनिवर्सिटी ने दायर आरटीआई का दिसंबर 2018 से अगस्त 2019 तक कोई जवाब नहीं दिया और जब मामला राज्य सूचना आयोग पहुंचा, तो भी विश्वविद्यालय आयोग के सामने नहीं आया.

इसके बाद राज्य सूचना आयोग ने विश्वविद्यालय को कारण बताओ नोटिस थमा दिया, लेकिन विश्वविद्यालय के वकील ने इसे थर्ड पार्टी इंफोर्मेशन बताकर जवाब देने से मना कर दिया था.

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राज्य सूचना आयोग ने कोर्ट और रेगुलेटरी कमीशन का हवाला देने हुए ये जानकारी देने का आदेश देने के साथ साथ इस जानकारी को जनहित में देने के लिए फैसला भी सुनाया. राज्य सूचना आयोग ने इस फैलसे पर हिमाचल प्रदेश हायर एजुकेशन और स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी कमिशन को विश्वविद्यालय पर सही एक्शन लेने के आदेश दिए हैं.

Intro:आरटीआई की सूचना ना देने पर पहली बार किसी निजी विश्वविद्यालय पर लगा जुर्माना।

शिमला। आरटीआई एक्ट की अवहेलना करने पर राज्य सूचना आयोग ने निजी विवि को लगाया जुर्माना लगाया है। प्रदेश में यह पहली बार है जब आरटीआई एक्ट की अवहेलना करने पर किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर जुर्माना लगाया गया हो। राज्य सूचना आयोग ने याचिका कर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवि को 7 दिन में जानकारी देने के आदेश दिए और आरटीआई का जवाब समय पर न देने पर 10000 रुपया का जुर्माना विवि को लगाया।


Body:राज्य सूचना आयोग ने 2019 में दायर मानव भारती VS राहुल पराशर केस में निजी विवि को 10000 रुपए का जुर्माना लगाया है। याचिकाकर्ता के अनुसार मानव भर्ती विवि ने dec 2018 से अगस्त 2019 तक कोई जवाब नहीं दिया और जब मामला राज्य सूचना आयोग पहुंचा तो भी विवि आयोग के सामने नहीं आया। जिसके बाद राज्य सूचना आयोग ने विश्व विद्यालय को कारण बताओ नोटिस आयोग द्वारा थमा दिया गया। जिसके बाद विश्व विद्यालय के वकील ने इसे थर्ड पार्टी इंफोर्मेशन बता जवाब देने से मना कर दिया था।

लेकिन राज्य सूचना आयोग ने साफ किया कि डिग्री को जानकारी कोई 3rd पार्टी इनफार्मेशन नही है क्योंकि किसी भी विवि को पारदर्शिता के लिए ये जानकारी देना जरूरी है और यही बात 2014 में हाई कोर्ट शिमला ओर 2016 में प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कॉमिशन ने भी कही थी की डिग्री की जानकारी विवि को वेबसाइट पर होनी चाहिए जो निजी विवि ने वेबसाइट में नहीं डाली है इसलिए विश्वविद्यालय को यह जानकारी देनी चाहिए।

Conclusion:राज्य सूचना आयोग ने कोर्ट और रेगुलेटरी कमीशन का हवाला देने हुए ये जानकारी देने का आदेश दिया। साथ ही इस जानकारी को जनहित में देने के लिए फैसला सुनाया। साथ ही में राज्य सूचना आयोग ने इस फैलसे पर हिमाचल प्रदेश हायर एजुकेशन और स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी कॉमिशन को विवि पर सही एक्शन लेने के आदेश दिए ।
Last Updated : Dec 6, 2019, 4:04 PM IST
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