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निजी स्कूल अभिभावकों की राय के बिना नहीं बढ़ा सकेंगे फीस, नोटिस बोर्ड व वेबसाइट पर जानकारी देना अनिवार्य

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Published : Dec 6, 2019, 10:24 AM IST

शिक्षा विभाग की ओर से छात्र अभिभावक मंच के निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ लगातार किए गए आंदोलन के बाद अब निजी स्कूलों की मनमानी पर शिक्षा विभाग रोक लगा रहा है. यह पहला अहम कदम है जो शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है, जिसके तहत शिक्षा विभाग ने आगामी सत्र के लिए निजी शिक्षण संस्थानों पर कुछ नियम लागू कर लगाम कसी है.

private schools fees hike discussion with parents
निजी स्कूल अभिभावकों की राय के बिना नहीं बढ़ा सकेंगे फीस

शिमला: हिमाचल प्रदेश के निजी स्कूल इस बार अपनी मनमानी से फीस में बढ़ोतरी नहीं कर पाएंगे. शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूल प्रबंधकों/ प्रधानाचार्य/मुख्य अध्यापकों को विशेष निर्देश जारी किए गए हैं. अब नए सत्र के लिए स्कूल प्रबंधन की ओर से फीस वृद्धि को लेकर दिसंबर माह में शिक्षक अभिभावक मंच के माध्यम से सभी अभिभावकों को पाठशाला में आमंत्रित कर एक जनरल हाउस का आयोजन किया जाएगा.

जनरल हाउस में सभी अभिभावकों की सहमति से आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए प्रस्तावित फीस व फंड के बारे में विचार विमर्श किया जाएगा. फीस और फंड के बारे में विचार-विमर्श करने के बाद ही सामान्य सभा में लिए गए निर्णय के अनुसार ही स्कूल प्रबंधन आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए निर्धारित फीस व फंड बढ़ा सकेंगे. वहीं, इसका पूरा ब्यौरा ब्रेकअप सहित कक्षा वार पुस्तकों की सूची अभिभावकों की सुविधा के लिए स्कूलों को स्कूल नोटिस बोर्ड पर लगाने के साथ ही अपनी वेबसाइट पर भी जारी करनी होगी.

वीडियो रिपोर्ट.

उच्च शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को निर्देश जारी

उच्च शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को निर्देश जारी किए गए हैं कि स्कूल हर एक कक्षा में छात्रों से प्रवेश शुल्क ना वसूलें. इसके अलावा फीस और अन्य फंड जो स्कूल ले रहा हैं वह शोषण करने वाले ना हो बल्कि छात्रों को दी जा रही सुविधा और क्रियाकलापों के अनुरूप ही हो.

स्कूलों को पीटीए का गठन करना अनिवार्य

वहीं, शैक्षणिक सत्र 2020- 21 के पहले माह में ही शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 और हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान अधिनियम 1997 के तहत बनाए गए नियम 2003 के अनुसार सभी स्कूलों को पीटीए का गठन करना अनिवार्य होगा और इसमें दो तिहाई सदस्य अध्यापकों में से एक तिहाई सदस्य लिए जाने अनिवार्य होंगे. इसके साथ ही स्कूल टूर और और ट्रिप के नाम पर कोई भी राशि अभिभावकों से नहीं वसूली जाएगी.

ये भी पढ़ें: माननीयों के लिए 'भीख' मांगकर जुटाए 2518 रुपये, सरकार ने लौटाए

शैक्षणिक टूर, प्रोग्राम अभिभावकों की सहमति से ही बनेंगे और इस संदर्भ में एडीएम को भी अवगत करवाया जाएगा. शिक्षा विभाग उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा ने शिक्षण संस्थानों को यह निर्देश जारी किए हैं कि जो इन नियमों का पालन नहीं करेगा और जिन निजी स्कूलों के खिलाफ शिकायत शिक्षा विभाग के समक्ष आएगी उनकी एनओसी को शिक्षा विभाग रद्द कर देगा.

ये भी पढ़ें: कामगारों से मंत्री गोविंद ठाकुर की अपील, श्रम योगी मानधन योजना का उठाएं लाभ

शिमला: हिमाचल प्रदेश के निजी स्कूल इस बार अपनी मनमानी से फीस में बढ़ोतरी नहीं कर पाएंगे. शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूल प्रबंधकों/ प्रधानाचार्य/मुख्य अध्यापकों को विशेष निर्देश जारी किए गए हैं. अब नए सत्र के लिए स्कूल प्रबंधन की ओर से फीस वृद्धि को लेकर दिसंबर माह में शिक्षक अभिभावक मंच के माध्यम से सभी अभिभावकों को पाठशाला में आमंत्रित कर एक जनरल हाउस का आयोजन किया जाएगा.

जनरल हाउस में सभी अभिभावकों की सहमति से आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए प्रस्तावित फीस व फंड के बारे में विचार विमर्श किया जाएगा. फीस और फंड के बारे में विचार-विमर्श करने के बाद ही सामान्य सभा में लिए गए निर्णय के अनुसार ही स्कूल प्रबंधन आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए निर्धारित फीस व फंड बढ़ा सकेंगे. वहीं, इसका पूरा ब्यौरा ब्रेकअप सहित कक्षा वार पुस्तकों की सूची अभिभावकों की सुविधा के लिए स्कूलों को स्कूल नोटिस बोर्ड पर लगाने के साथ ही अपनी वेबसाइट पर भी जारी करनी होगी.

वीडियो रिपोर्ट.

उच्च शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को निर्देश जारी

उच्च शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को निर्देश जारी किए गए हैं कि स्कूल हर एक कक्षा में छात्रों से प्रवेश शुल्क ना वसूलें. इसके अलावा फीस और अन्य फंड जो स्कूल ले रहा हैं वह शोषण करने वाले ना हो बल्कि छात्रों को दी जा रही सुविधा और क्रियाकलापों के अनुरूप ही हो.

स्कूलों को पीटीए का गठन करना अनिवार्य

वहीं, शैक्षणिक सत्र 2020- 21 के पहले माह में ही शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 और हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान अधिनियम 1997 के तहत बनाए गए नियम 2003 के अनुसार सभी स्कूलों को पीटीए का गठन करना अनिवार्य होगा और इसमें दो तिहाई सदस्य अध्यापकों में से एक तिहाई सदस्य लिए जाने अनिवार्य होंगे. इसके साथ ही स्कूल टूर और और ट्रिप के नाम पर कोई भी राशि अभिभावकों से नहीं वसूली जाएगी.

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शैक्षणिक टूर, प्रोग्राम अभिभावकों की सहमति से ही बनेंगे और इस संदर्भ में एडीएम को भी अवगत करवाया जाएगा. शिक्षा विभाग उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा ने शिक्षण संस्थानों को यह निर्देश जारी किए हैं कि जो इन नियमों का पालन नहीं करेगा और जिन निजी स्कूलों के खिलाफ शिकायत शिक्षा विभाग के समक्ष आएगी उनकी एनओसी को शिक्षा विभाग रद्द कर देगा.

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Intro:प्रदेश के निजी स्कूल इस बार अपनी मनमानी से फीस में बढ़ोतरी नहीं कर पाएंगे। शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूल प्रबंधकों/ प्रधानाचार्य/मुख्य अध्यापकों को यह निर्देश जारी किए गए हैं कि नए सत्र के लिए स्कूल प्रबंधन की ओर से फीस वृद्धि को लेकर दिसंबर माह में शिक्षक अभिभावक मंच के माध्यम से सभी अभिभावकों को पाठशाला में आमंत्रित कर एक जनरल हाउस का आयोजन किया जाएगा। इस जनरल हाउस में सभी अभिभावकों की सहमति से आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए प्रस्तावित फीस व फंड के बारे में विचार विमर्श किया जाएगा।


Body:फीस और फंड के बारे में विचार-विमर्श करने के बाद ही सामान्य सभा में लिए गए निर्णय के अनुसार ही स्कूल प्रबंधन आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए निर्धारित फीस व फंड बढ़ा सकेंगे।वहीं इसका पूरा ब्यौरा ब्रेकअप सहित कक्षा वार पुस्तकों की सूची अभिभावकों की सुविधा के लिए स्कूलों को स्कूल नोटिस बोर्ड पर लगाने के साथ ही अपनी वेबसाइट पर भी जारी करनी होगी। शिक्षा विभाग की ओर से छात्र अभिभावक मंच के निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ लगातार किए गए आंदोलन के बाद अब निजी स्कूलों की मनमानी पर शिक्षा विभाग रोक लगा रहा है। यह पहला अहम कदम है जो शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है, जिसके तहत शिक्षा विभाग ने आगामी सत्र के लिए निजी शिक्षण संस्थानों पर कुछ नियम लागू कर लगाम कसी है।


Conclusion:उच्च शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को यह निर्देश जारी किए गए हैं कि स्कूल हर एक कक्षा में छात्रों से प्रवेश शुल्क ना वसूले। इसके अलावा फीस और अन्य फंड जो स्कूल ले रहा हैं वह शोषण करने वाले ना हो बल्कि छात्रों को दी जा रही सुविधा और क्रियाकलापों के अनुरूप ही हो। वहीं शैक्षणिक सत्र 2020- 21 के पहले माह में ही शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 और हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान अधिनियम 1997 के तहत बनाए गए नियम 2003 के अनुसार सभी स्कूलों को पीटीए का गठन करना अनिवार्य होगा और इसमें दो तिहाई सदस्य अध्यापकों में से एक तिहाई सदस्य लिए जाने अनिवार्य होंगे. इसके साथ ही स्कूल टूर और और ट्रिप के नाम पर कोई भी राशि अभिभावकों से नहीं वसूली जाएगी। शैक्षणिक टूर,प्रोग्राम अभिभावकों की सहमति से ही बनेंगे और इस संदर्भ में एडीएम को भी अवगत करवाया जाएगा। शिक्षा विभाग उच्च शिक्षा निदेशक डॉ अमरजीत शर्मा ने शिक्षण संस्थानों को यह निर्देश जारी किए हैं कि जो इन नियमों का पालन नहीं करेगा और जिन निजी स्कूलों के खिलाफ शिकायत शिक्षा विभाग के समक्ष आएगी उनकी एनओसी को शिक्षा विभाग रद्द कर देगा।
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