शिमला: हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ की एक बैठक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से ही प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर की अध्यक्षता में संपन्न हुई. बैठक में प्रदेश पदाधिकारियों ने भाग लिया और सर्वसम्मति से यह तय किया कि जब तक सरकार निजी बस ऑपरेटरों की मांगे पूरी नहीं करती और निजी बस ऑपरेटरों की समस्याओं पर गौर नहीं करती है व उसका सकारात्मक निर्णय नहीं लेती तब तक हिमाचल प्रदेश में कोई भी निजी बस नहीं चलेगी.
हिमाचल प्रदेश में निजी बस ऑपरेटर संघ के प्रदेश महासचिव रमेश कमल ने कहा है कि सभी जिला की यूनियन के पदाधिकारियों ने एकमत से यह प्रस्ताव पारित किया गया है कि हिमाचल प्रदेश में लॉकडाउन लोड और वैश्विक महामारी कोरोना के चलते सवारिया नहीं मिल रही है. इसके चलते यह तय किया जाता है कि जब तक सरकार की ओर से निजी बस ऑपरेटर के हित में कोई सकारात्मक फैसला नहीं किया जाता है तब तक हिमाचल प्रदेश के अंदर निजी बस ऑपरेटर अपनी बसें नहीं चलाएंगे.
बैठक को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ के प्रधान राजेश पराशर ने कहा कि प्रदेश के निजी बस ऑपरेटरों के संगठन का भी निर्णय होगा. इस आधार पर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. इसी आधार पर सभी निजी बस ऑपरेटरों ने यह प्रस्ताव पारित किया कि न केवल निजी बसों को बल्कि हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों को भी करोड़ों का घाटा हो रहा है. सरकार को चाहिए कि वह निजी बस ऑपरेटरों की पदाधिकारियों के साथ सकारात्मक निर्णय ले और कोई न कोई रास्ता निकाले.
क्या कहा पदाधिकारियों ने
इसके अतिरिक्त सभी जिला के पदाधिकारियों ने कहा कि अगर सामाजिक दूरी की गाइडलाइन को पूरा करना है तो निजी बस ऑपरेटर उसके लिए तैयार है, जिसमें 60% सीटिंग कपीसिटी में बसें चलानी है. उसके लिए तैयार है, लेकिन जो 40% सीटें बचती है उसका किराया सब्सिडी के रूप में सरकार बहन करें और न्यूनतम किराए में किराया में वृद्धि करके कम से कम ₹10 किया जाए.
इसके अलावा कोविड-19 के चलते पहले 5 किलोमीटर ₹10, 5से 10 किलोमीटर तक ₹20 और 10 से 15 किलोमीटर तक ₹30 किराया निर्धारित करें. इसके अतिरिक्त सामान्य किराएं में कम से कम 50% की वृद्धि करें. इसके बाद हिमाचल प्रदेश की निजी बस ऑपरेटर अपनी बसों को चलाने में सक्षम होगे और हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसें भी तब फायदे में चल सकती है.
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