शिमला: प्रदेश सरकार ने पहली जून से हिमाचल में बसें चलाने का निर्णय लिया है. सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए बसों में साठ प्रतिशत सवारियां बिठाने की ही बात कही गई है, ऐसे में प्राइवेट बस ऑपरेटर्स ने परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर से मुलाकात कर किराया बढ़ाने की बात रखी है.
प्राइवेट बस ऑपरेटरों का कहना है कि बसों में क्षमता से आधी सवारियां बिठाने से उनको भारी नुकसान होगा, जिसकी भरपाई के लिए सरकार को बस किराए में बढ़ोतरी करनी चाहिए. प्राइवेट बस ऑपरेटरों की मांग है कि लोकल किराए में अधिक बढ़ोतरी की जाए और 5 रुपये के स्थान पर 10 रुपये किराया किया जाए.
इसके अलावा 15 के स्थान पर 20 रुपये और 30 के स्थान पर 35 रुपये किराया किया जाए, ताकि प्राइवेट बस ऑपरेटर्स को होने वाले घाटे से बचा जा सके. उनका कहना था कि जैसे ही प्रदेश सरकार सोशल डिस्टेंसिंग कि शर्त हटाती है और बसों में क्षमता अनुसार सवारियां बिठाने की इजाजत मिल जाएगी. उस समय किराए में की गई बढ़ोतरी को वापस लेकर वर्तमान किराया दरें ही फिक्स की जा सकती हैं.
प्राइवेट बस ऑपरेटर्स का कहना है कि कोरोना के कारण करीब 2 महीने से उनका कारोबार चौपट हो गया है, ऐसे में उनको अपने कर्मचारियों को जेब से सैलरी देनी पड़ रही है. साथ ही इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के अन्य कारोबार भी प्रभावित हुए हैं. जिसके कारण उनको भारी नुकसान हुआ है. अब ऐसी स्थिति में कम किराए पर बसें चला पाना संभव नहीं है. यदि किराया बढ़ा दिया जाता है तो उन्हें कम घाटा होगा और आसानी से बसें चलाई जा सकेंगे.
वहीं, परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि प्राइवेट बस ऑपरेटर्स ने किराया बढ़ाने की मांग की है, लेकिन फिलहाल यह संभव नहीं दिख रहा है क्योंकि कोरोना के कहर के कारण प्रदेश की जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. अधिकतर लोगों के रोजगार चले गए हैं, जिससे लोग घाटे में हैं ऐसे में किराए बढ़ाने की संभावनाएं कम ही दिख रही है.