शिमला: स्पाइन की समस्या से हिमाचल का हर पांचवा व्यक्ति परेशान हैं. यह समस्या विटामिन डी, बी-12, कैल्शियम और प्रोटीन की कमी या फिर किसी अन्य कारण से हो रही है. यह बात शनिवार को पारस अस्पताल पंचकूला के न्यूरो सर्जरी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. अनिल डिंगरा ने शिमला में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कही.
उन्होंने कहा कि पहले यह समस्या बुजुर्गों में होती थी, मगर अब 20 से 30 साल के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. बीते कुछ ही समय में रीढ़ की हड्डी की समस्या में 60 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. इसका एक कारण लगातार मोबाइल या लैपटॉप पर काम करना भी है.
90 फीसदी लोग केवल दवाएं लेकर या फिजियोथैरेपी करवाकर ही ठीक हो जाते हैं
कंसलटेंट डॉ. राजीव गर्ग ने कहा कि आमतौर पर लोगों की यह सोच है कि स्पाइन की सर्जरी करवाने से दिक्कतें होती हैं या फिर एक बार करवाई तो बार-बार करवानी पड़ेगी. मगर 90 फीसदी लोग केवल दवाएं लेकर या फिजियोथैरेपी करवाकर ही ठीक हो जाते हैं. बशर्ते वह समय पर अस्पताल आएं.
तकनीक बदल गई है
उन्होंने कहा कि अब सर्जरी करने की तकनीक बदल गई है. एक छोटे से होल से सर्जरी हो जाती है, जिससे व्यक्ति कुछ ही दिनों में आसानी से चल फिर सकता है. अस्पताल के फैसलिटी डायरेक्टर आशीष चड्ढा ने बताया कि पारस अस्पताल में सरकारी कर्मचारियों के ऑपरेशन का खर्चा केंद्र सरकार के तय दरों के अनुसार किया जाता है.
वहीं, अगर कोई व्यक्ति प्राइवेट काम करता है तो वह भी करीब सवा लाख रुपए तक खर्च कर ऑपरेशन करवा सकता है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में न्यूरो सर्जरी के लिए सभी आधुनिक सामान और मशीनें मौजूद हैं.