शिमला: शिमला का ख्याल आते ही बॉलीवुड अभिनेत्री प्रिटी जिंटा (Bollywood actress Preity Zinta) का नाम भी जहन में आता है. चुनावी साल में इन दिनों प्रीति जिंटा का नाम अभिनय की जगह किसी और रूप में चर्चित हो रहा है. हिमाचल विधानसभा की हॉट सीट शिमला शहरी से प्रिटी के मामा यशवंत छाजटा भी कांग्रेस टिकट की दौड़ (Preity Zinta uncle Yashwant Chhajta) में हैं. वैसे तो शिमला सीट से कई उम्मीदवारों ने टिकट की मांग उठाई थी, लेकिन अब दौड़ चंद नेताओं तक सिमट गई है. इन्हीं चंद नेताओं में से एक यशवंत छाजटा भी हैं.
यशवंत छाजटा हॉली लॉज के भी काफी करीबी माने जाते हैं. स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के खास सिपाहियों में यशवंत छाजटा का नाम भी आत है. छाजटा वीरभद्र सिंह के चुनावों का काम भी देखते थे. जिसके चलते उन्होंने कभी टिकट के लिए आवेदन नहीं किया. लेकिन इस बार उन्होंने टिकट की दावेदारी पेश की है और टिकट की लॉबिंग में जुट गए हैं. यशवंत छाजटा के अलावा इस सूची में हरीश जनारथा, नरेश चौहान, महेश्वर चौहान, आदर्श शुद, शहरी कांग्रेस अध्यक्ष जितेंद्र चौधरी, धर्मपाल ठाकुर और जैनब चंदेल का नाम भी शामिल (Congress Ticket from shimla urban constituency) है.
हरीश जनारथा भी हॉली लॉज के करीबी माने (Harish Janartha Shimla) जाते हैं. इसके अलावा कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन और उपाध्यक्ष नरेश चौहान भी टिकट की दौड़ में हैं. नरेश चौहान सुखविंदर सिंह सुक्खू और महेश्वर चौहान मुकेश अग्निहोत्री के करीबी माने जाते हैं. वहीं, जितेंद्र चौधरी पूर्व सांसद आनंद शर्मा के करीबी माने जाते हैं. सभी बड़े नेता अपने करीबियों को टिकट देने की लॉबिंग में जुट गए हैं. बताया जा रहा है कि 7 अक्तूबर को होने वाली बैठक में स्क्रीनिंग कमेटी 4 नाम केंद्रीय चुनाव समिति को भेजेगी. टिकट किसको मिलेगी, इस पर अंतिम फैसला सोनिया गांधी लेंगी.
बगावत के उठने लगे हैं सुर: शिमला शहरी विधानसभा सीट पर कांग्रेस में टिकट मिलने से पहले ही बगावती सुर उठने शुरू हो गए हैं. पैनल में नाम न होने पर कई नेताओं ने नाराजगी जाहिर की है और आजाद चुनाव लड़ने के ऐलान भी कर दिया है. कांग्रेस के 7 वरिष्ठ नेताओं और पूर्व पार्षदों ने कुछ दिन पहले बैठक कर कांग्रेस आलाकमान को दोबारा से पैनल पर विचार करने की मांग उठाई थी. इसके अलावा कांग्रेस के उपाध्यक्ष महेंद्र चौहान ने पार्टी के सर्वे पर सवाल खड़े करते हुए दोबारा सर्वे करवाने का आग्रह किया था. यही नहीं उन्होंने आजाद चुनाव लड़ने की चेतावनी भी दी थी.
हरीश जनारथा दो बार लड़ चुके हैं चुनाव: कांग्रेस के उपाध्यक्ष हरीश जनारथा दो बार शिमला से चुनाव लड़ चुके हैं. वे 2012 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े थे. उस समय भाजपा उम्मीदवार सुरेश भारद्वाज दो हजार वोटों से चुनाव हार गए थे. 2017 में कांग्रेस से उन्हें टिकट नहीं दिया था. जिसके बाद उन्होंने आजाद चुनाव लड़ा और 12 हजार वोटों से जीते. जबकि कांग्रेस उम्मीदवार हरभजन सिंह भज्जी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे. आजाद चुनाव लड़ने पर कांग्रेस ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया था. लेकिन वीरभद्र सिंह ने दो साल बाद ही उनकी पार्टी में वापिसी करवा दी थी. अब दोबारा से उन्होंने टिकट के लिए दावेदारी पेश की है. हरीश जनारथा का शहर में अपना वोट बैंक है और कांग्रेस द्वारा करवाए सर्वे में उनका नाम सबसे ऊपर है. ऐसे में कांग्रेस उनकी अनदेखा नहीं कर सकती.
आपसी गुटबाजी के चलते कांग्रेस हार रही सीट: शिमला शहरी सीट पर यू तो कांग्रेस का दबदबा रहता था. लेकिन कांग्रेस में आपसी गुटबाजी के चलते पिछले 15 सालों से शिमला शहर पर भाजपा का कब्जा है. शहरी कांग्रेस में हॉली लॉज, आनंद शर्मा के अलावा सुक्खू गुट काफी सक्रिय माना जाता हैं. गुटबाजी के चलते शहर में कांग्रेस जीत दर्ज नहीं कर पा रही है. इस बार भी कांग्रेस की गुटबाजी खुल कर सामने आ रही है. ऐसे में फिर से शहर में कांग्रेस के समीकरण बिगड़ सकते है.
बेहद खास है शिमला शहरी सीट: शिमला शहरी विधानसभा सीट (shimla urban constituency) अपने आप में बेहद खास है. प्रदेश की राजधानी होने के साथ ही प्रदेश की यह एकमात्र ऐसी सीट है, जिसमें पूरा शहरी क्षेत्र है. पंचायत व गांव इसमें नहीं हैं. पुनर्सीमांकन के बाद नगर निगम के 24 वार्ड शहरी विधानसभा में आ चुके हैं. हालांकि नगर निगम के चुनाव विधानसभा चुनाव से पहले होते हैं, लेकिन पुनर्सीमांकन पर विवाद के चलते निगम के चुनाव लटक गए हैं. वही, विधानसभा चुनाव के बाद ही अब नगर निगम के चुनाव हो पाएंगे.
इस बार AAP भी चुनावी मैदान में: शिमला शहरी सीट पर इस बार मुकाबला रोचक होने वाला है. पहले इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और सीपीआईएम में ही मुकाबला होता था, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में है. AAP शहर भर में अपना प्रचार करने में जुटी हुई है. सीपीआईएम का भी शहर में अच्छा वोट बैंक है. मतदाताओं की बात करें तो शहर में 47 हजार मतदाता हैं.
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