कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में सर्दियों के दौरान आग लगने की घटनाएं अधिक होती हैं. अब तक आग लगने से कई गांवों का नामो निशान मिट चुका है. हालांकि उन गांवों को दोबारा बसा लिया गया, लेकिन आग बुझाने के लिए जरूरी प्रबंध आज तक नहीं हो पाए. जिला प्रशासन ने आग बुझाने व पीने के पानी का प्रबंध करने के लिए योजना बनाई थी जिसके तहत कुल्लू जिला के 64 गांवों को चिह्नित किया गया था जहां जल भंडारण टैंक बनाए जाने थे लेकिन प्रदेश सरकार की उदासीनता के चलते ही यह योजना अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है.
जिला प्रशासन ने सरकार को भेजा था प्रस्ताव
साल 2023 में जिला प्रशासन ने सरकार को 11 करोड़ 43 लाख 18 हजार रुपये का प्रस्ताव भेजा था लेकिन इस प्रस्ताव पर आज तक सरकार ने दिलचस्पी नहीं दिखाई. इस साल 1 जनवरी को उपमंडल बंजार के तांदी गांव में आग लग गई जिसके चलते 10 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ. सके बाद भी जिला कुल्लू के कई ग्रामीण इलाकों में आग लगने की घटनाएं पेश आईं और लोगों को अपनी संपत्ति से हाथ धोना पड़ा अगर समय रहते इस पर कार्य होता तो शायद आग लगने की घटनाओं पर अंकुश लग सकता था.

ये गांव हैं संवेदनशील
जिला कुल्लू प्रशासन ने 64 गांवों को संवेदनशील श्रेणी में रखा है. इन सभी गांवों में 1 लाख लीटर पानी की क्षमता वाले टैंक बनाए जाने हैं. कुल्लू प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक संवेदनशील गांवों में जिला कुल्लू के चाचोगी, फोजल, पनगा, बनोगी, बबेली, हलैनी, सारी, मथाला, दुगीलग, बसतोरी, नरोगी, सांगठन, लाहाशनी, जेष्ठा, नजर्जा, भेण, जनाहल, नरोगी, मानसु, छवारा, रशोल, मलाणा, ग्राहण नकथान, आनी में ठारवी, फनौटी, पोखरी, रश्शखंडी, डीम, बुच्छेर, शगान, काथला माझादेश, ओलवा, नगौट, खादवी, बंजार में परवारी, डिंगचा, कनौन, गशीनी, तांदी, धाराशलिंगा, लपाह, शाक्टी, मैल, मझाण, निरमंड में दुराह, खनोटा, कशांदी, जुआगी, धार, गुढी, विजापुर, दराड, बोडलापाच, मनाली में जगतसुख, सोलंग, मझाच, सेथन, शालीन, कन्याल, शेगली, बुरुआ व ओल्ड मनाली गांव शामिल हैं.
जिला कुल्लू प्रशासन के द्वारा बनाए गए प्रस्ताव में प्रशासन ने दूरदराज क्षेत्र के 64 संवेदनशील गांव चिन्हित किए हैं. यहां पर पेयजल की किल्लत रहती है. इन 64 गांवों में एक लाख लीटर पानी की क्षमता वाले प्रीफैब्रिकेटेड वाटर टैंक का निर्माण किया जाना है ताकि आग पर काबू पाने के लिए पानी का इस्तेमाल किया जा सके.

इससे पहले 11 दिसंबर 2021 को सैंज घाटी के मझाण गांव में आग लगने से 12 मकान और एक मंदिर जलकर राख हो गया था. उस समय प्रशासन की ओर से दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे संवेदनशील गांवों को चिन्हित करने को कहा गया था. प्रत्येक उपमंडल में ऐसे संवेदनशील स्थानों का चयन किया गया था. इसमें आनी में 11 गांव, बंजार में 10, निरमंड में नौ, मनाली में 10, कुल्लू में सबसे अधिक 24 गांवों का चयन किया था.
बंजार के विधायक सुरेंद्र शौरी का कहना है "जिला कुल्लू के कई गांव दुर्गम इलाकों में स्थित हैं. ऐसे में अगर गांव में आग लगती है तो अग्निशमन विभाग के वाहन को भी मौके पर पहुंचने में 2 घंटे से अधिक का समय लग जाता है. इसके चलते आग के कारण ग्रामीणों की पूरी संपत्ति जलकर नष्ट हो जाती है.ऐसे में सरकार को चाहिए कि वे जल्द से जल्द इस दिशा में कार्य करें और दूरदराज के इलाकों में पानी के टैंक बनाने की दिशा में भी काम शुरू किया जाए."

उपायुक्त कुल्लू, तोरुल एस रवीश ने बताया "जिला कुल्लू में आग की घटनाओं से बचाव के लिए स्थानीय पंचायतों को निर्देश जारी किए गए हैं. गांव के समीप कोई भी लकड़ी और घास का भंडारण ना करे. गांवों में जल भंडारण टैंक बनाने के संबंध में पहले भेजे गए प्रस्ताव को सरकार से अभी मंजूरी नहीं मिली है. सरकार के जो भी आदेश होंगे उनका पालन किया जाएगा."
जिला कुल्लू परिषद की पूर्व उपाध्यक्ष इंदु पटियाल ने कहा "आज भी कई गांव सड़क सुविधा से वंचित हैं. ऐसे में पानी का टैंक बनने से आज के समय लोगों को काफी राहत मिलेगी. ऐसे में प्रदेश सरकार इस ओर विशेष रूप से ध्यान दें ताकि लोगों के प्राचीन काठकुनी शैली के घरों को जलने से बचाया जा सके"
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