शिमला: प्रदेश के अन्य स्कूलों में भी जल्दी प्री प्राइमरी कक्षाएं शिक्षा विभाग शुरू करेगा. इसके लिए प्रपोजल पैब की बैठक में मंजूरी के लिए लाया जाएगा. पैब में मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश के 500 के करीब स्कूलों में प्री प्राइमरी की कक्षाएं शुरू की जाएंगी. ये बैठक मार्च या अप्रैल माह में आयोजित होगी.
प्रदेश के जिन स्कूलों में अभी प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू की गई हैं. वहां पर छात्रों की संख्या को देखते हुए शिक्षा विभाग ने ये फैसला लिया है.यही वजह है कि पैब बैठक में प्री प्राइमरी कक्षाओं की मंजूरी का प्रस्ताव ले जाने की तैयारी विभाग की ओर से की जा रही है. समग्र शिक्षा अभियान की ओर से 500 स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू करने को लेकर प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है.
अब इस प्रस्ताव पैब की बैठक में केंद्र से बजट की मांग की जाएगी. जैसे ही बजट केंद्र सरकार से मिलेगा तो नए शैक्षणिक सत्र में ये प्री प्राइमरी कक्षाएं प्रदेश के 500 और स्कूलों में शुरू कर दी जाएंगी. अभी तक प्रदेश में 3740 स्कूलों में ही प्री प्राइमरी कक्षाएं चल रही हैं.
इन स्कूलों में छात्रों की इनरोलमेंट काफी अधिक हुई है, जिसे देखते हुए अब ये फैसला लिया गया है कि 500 और स्कूलों में भी प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू की जाएं.मौजूदा समय में प्रदेश के स्कूलों में 47 हजार 364 बच्चे प्री-प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ रहे हैं. समग्र शिक्षा अभियान की ओर से 500 अन्य स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू करने को लेकर तैयारी की गई है. जिलों से भी इसे लेकर रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके बाद ये तय किया जाएगा कि किन 500 स्कूलों का चयन प्री प्राइमरी कक्षाओं के लिए किया जाएगा.
वहीं, जिन स्कूलों में पहले प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू की गई हैं. वहां छात्रों की पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए हर एक स्कूल को 60-60 हजार रुपये का बजट दिया गया है. इस राशि से बच्चों को स्टडी मटेरियल के साथ ही मुफ्त किताबें भी मुहैया करवाई गई हैं. खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाने के लिए कमरों की दीवारों पर सुंदर चित्रकारी की गई है और छात्रों के बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था की गई है.
समग्र शिक्षा अभियान के परियोजना निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि आगामी शैक्षणिक सत्र में 500 और स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू की जाएंगी. इसे लेकर प्रस्ताव प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा और केंद्र से बजट की मांग की जाएगी.बता दें कि साल 2018 में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में घटती छात्रों की संख्या को देखते हुए ये कदम सरकार की ओर से उठाया गया था और स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू की गई थी. इन प्री-प्राइमरी कक्षाओं में बेहतर रुझान अभिभावकों का सरकार को देखने के लिए मिला है.
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