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हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022: शिमला जिले का सरकार बनाने में अहम रोल, आसान नहीं BJP की राह

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Published : Oct 17, 2022, 5:14 PM IST

हिमाचल में चुनाव की रणभेरी बज गई है. प्रदेश की सभी 68 सीटों पर राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी पासे फेंकने शुरू कर दिए हैं. शिमला जिले की बात करें तो राजधानी होने के लिहाज से शिमला जिला सरकार बनाने में हर बार अहम भूमिका निभाता है. आइए समझते हैं इस बार के सियासी समीकरण...

Political equation of Shimla district
शिमला जिले का सियासी समीकरण

शिमला: हिमाचल में विधानसभा चुनावों का शंखनाद हो चुका है. राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी फिल्डिंग लगानी शुरू कर दी है. यूं तो चुनाव के लिहाज से सभी जिले अहम हैं लेकिन कांगड़ा और मंडी के बाद तीसरा बड़ा जिला शिमला है, जो राजनीतिक पार्टियों सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने में बड़ा रोल निभाता है. शिमला की बात करें तो साल 2017 के विधानसभा चुनावों में यहां कांग्रेस अधिकतर सीटों पर विजय रही है लेकिन कांगड़ा और मंडी जिला उसके हाथों से निकल गया.

अबकी बार मंडी और कांगड़ा जिले के मतदाता किस पार्टी का साथ देते हैं. यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन शिमला को फतह करना सतासीन भाजपा के लिए आसान नहीं हैं. इसकी वजह यह है कि शिमला जिला में कई सीटें कांग्रेस का गढ़ है, जिनको भेदना भाजपा के लिए इतना आसान नहीं है.

Political equation of Shimla district
शिमला जिले का सियासी समीकरण

शिमला जनपद की 8 सीटों में से 5 सीटों (रामपुर, रोहड़ू, जुब्बल कोटखाई, शिमला ग्रामीण और कुसुम्पटी) सीटों पर कांग्रेस काबिज है, जबकि भाजपा के पास दो ही सीटें (शिमला शहर और चौपाल) की हैं. एक सीट ठियोग में माकपा (सीपीएम) काबिज है. यहां के राजनीतिक समीकरणों की बात करें, तो अबकी बार भी यहां कांग्रेस में टिकट की लड़ाई है. भाजपा के पास कोई सशक्त उम्मीदवार नहीं हैं. साल 1998 के बाद हुए पांच विधानसभा चुनावों की बात करें, तो यहां पर दो-दो बार कांग्रेस और बीजेपी जीती है. एक बार 2017 में यहां पर सीपीएम ने विजय हासिल की. ऐसे में यहां अबकी बार सीपीएम, कांग्रेस और भाजपा के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है.

कुसुम्पटी विधानसभा में कांग्रेस का रहा है दबदबा: शिमला शहर के साथ लगते कुसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का ही दबदबा रहा है. इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि साल 1998 से अब तक के पांच चुनावों में यहां पर चार बार कांग्रेस जीती है, केवल एक बार 1998 में भाजपा ने जीत हासिल की थी. हालांकि यहां पर सीपीएम भी सक्रिय है. सीपीएम पिछले विधानसभा चुनावों में तीसरे स्थान पर रही है. मौजूदा कांग्रेस के विधायक अनिरूद्द सिंह दो बार लगातर चुनाव से जीत चुके हैं और इस बार तीसरी बार वह चुनावी दंगल में होंगे. भाजपा के पास यहां पर कोई सशक्त उम्मीदवार नहीं है.
पढ़ें- BJP का बड़ा नेता 2 दिन के भीतर कांग्रेस में होगा शामिल, राजीव शुक्ला आ रहे बिलासपुर: बंबर ठाकुर

शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा: शिमला शहर के साथ लगता एक अन्य विधानसभा क्षेत्र शिमला ग्रामीण है. यह क्षेत्र साल 2007 में किए गए परिसीमन से आस्तिव में आया. इसमें पहले के कुमारसैन विधानसभा के सुन्नी क्षेत्र और कुछ कुसुम्पटी हल्के के क्षेत्रों लिए गए हैं. नए परिसीमन के बाद यहां दो बार चुनाव हुए हैं. दोनों बार ही यहां पर कांग्रेस विजयी रही है. साल 2012 में वीरभद्र सिंह ने चुनाव लड़ा और विजयी रहे. इसके बाद 2017 में वीरभद्र सिंह ने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए यह सीट खाली करवाई और खुद अर्की से चुनाव जीता. साल 2017 में यहां से विक्रमादित्य सिंह विधायक हैं. मौजूदा समय में भाजपा के लिए इस सीट को जीतने आसान नहीं है.

शिमला शहर में लगातार तीन बार से हार रही कांग्रेस: शिमला जिला की सबसे अहम सीट शिमला शहरी है, जो कि शिमला का हार्ट भी कही जाती है. इसमें नगर निगम के शिमला के पुराने 18 वार्ड शामिल हैं. इस सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है. भाजपा के वर्तमान विधायक एवं शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज 2007 से यहां से लगातार जीतते आ रहे हैं. कांग्रेस की आपसी लड़ाई भी भाजपा के उम्मीदवार के लिए संजीवनी बनती रही है. सीपीएम भी यहां पर सक्रिय है और उसके उम्मीदवार भी यहां पर अच्छे खासे वोट लेते रहे हैं. यह वोट बैंक कांग्रेस का ही जो शिफ्ट होता रहा है. हालांकि, राजनीकित जानकारों के मुताबिक इस बार भाजपा के खिलाफ भी एंटी इनकंबैंसी है लेकिन कांग्रेस के लिए यहां राह इतनी आसान नहीं है.
पढ़ें- Assembly Election 2022: सरकार बनाने में आरक्षित सीटों का अहम योगदान, समझिए पूरा गणित

देखना यह है कि अबकी बार शिमला जिला में क्या राजनीतिक समीकरण बदलते हैं और कौन से पार्टी कितना परफार्म करती है. अबकी बार कांग्रेस, भाजपा और सीपीएम के अलावा आम आदमी पार्टी भी चुनाव लड़ रही है. आम आदमी पार्टी बड़ी पार्टियों के समीकरणों को कितना बदलती है यह भी देखने वाली बात होगी.

शिमला: हिमाचल में विधानसभा चुनावों का शंखनाद हो चुका है. राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी फिल्डिंग लगानी शुरू कर दी है. यूं तो चुनाव के लिहाज से सभी जिले अहम हैं लेकिन कांगड़ा और मंडी के बाद तीसरा बड़ा जिला शिमला है, जो राजनीतिक पार्टियों सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने में बड़ा रोल निभाता है. शिमला की बात करें तो साल 2017 के विधानसभा चुनावों में यहां कांग्रेस अधिकतर सीटों पर विजय रही है लेकिन कांगड़ा और मंडी जिला उसके हाथों से निकल गया.

अबकी बार मंडी और कांगड़ा जिले के मतदाता किस पार्टी का साथ देते हैं. यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन शिमला को फतह करना सतासीन भाजपा के लिए आसान नहीं हैं. इसकी वजह यह है कि शिमला जिला में कई सीटें कांग्रेस का गढ़ है, जिनको भेदना भाजपा के लिए इतना आसान नहीं है.

Political equation of Shimla district
शिमला जिले का सियासी समीकरण

शिमला जनपद की 8 सीटों में से 5 सीटों (रामपुर, रोहड़ू, जुब्बल कोटखाई, शिमला ग्रामीण और कुसुम्पटी) सीटों पर कांग्रेस काबिज है, जबकि भाजपा के पास दो ही सीटें (शिमला शहर और चौपाल) की हैं. एक सीट ठियोग में माकपा (सीपीएम) काबिज है. यहां के राजनीतिक समीकरणों की बात करें, तो अबकी बार भी यहां कांग्रेस में टिकट की लड़ाई है. भाजपा के पास कोई सशक्त उम्मीदवार नहीं हैं. साल 1998 के बाद हुए पांच विधानसभा चुनावों की बात करें, तो यहां पर दो-दो बार कांग्रेस और बीजेपी जीती है. एक बार 2017 में यहां पर सीपीएम ने विजय हासिल की. ऐसे में यहां अबकी बार सीपीएम, कांग्रेस और भाजपा के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है.

कुसुम्पटी विधानसभा में कांग्रेस का रहा है दबदबा: शिमला शहर के साथ लगते कुसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का ही दबदबा रहा है. इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि साल 1998 से अब तक के पांच चुनावों में यहां पर चार बार कांग्रेस जीती है, केवल एक बार 1998 में भाजपा ने जीत हासिल की थी. हालांकि यहां पर सीपीएम भी सक्रिय है. सीपीएम पिछले विधानसभा चुनावों में तीसरे स्थान पर रही है. मौजूदा कांग्रेस के विधायक अनिरूद्द सिंह दो बार लगातर चुनाव से जीत चुके हैं और इस बार तीसरी बार वह चुनावी दंगल में होंगे. भाजपा के पास यहां पर कोई सशक्त उम्मीदवार नहीं है.
पढ़ें- BJP का बड़ा नेता 2 दिन के भीतर कांग्रेस में होगा शामिल, राजीव शुक्ला आ रहे बिलासपुर: बंबर ठाकुर

शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा: शिमला शहर के साथ लगता एक अन्य विधानसभा क्षेत्र शिमला ग्रामीण है. यह क्षेत्र साल 2007 में किए गए परिसीमन से आस्तिव में आया. इसमें पहले के कुमारसैन विधानसभा के सुन्नी क्षेत्र और कुछ कुसुम्पटी हल्के के क्षेत्रों लिए गए हैं. नए परिसीमन के बाद यहां दो बार चुनाव हुए हैं. दोनों बार ही यहां पर कांग्रेस विजयी रही है. साल 2012 में वीरभद्र सिंह ने चुनाव लड़ा और विजयी रहे. इसके बाद 2017 में वीरभद्र सिंह ने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए यह सीट खाली करवाई और खुद अर्की से चुनाव जीता. साल 2017 में यहां से विक्रमादित्य सिंह विधायक हैं. मौजूदा समय में भाजपा के लिए इस सीट को जीतने आसान नहीं है.

शिमला शहर में लगातार तीन बार से हार रही कांग्रेस: शिमला जिला की सबसे अहम सीट शिमला शहरी है, जो कि शिमला का हार्ट भी कही जाती है. इसमें नगर निगम के शिमला के पुराने 18 वार्ड शामिल हैं. इस सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है. भाजपा के वर्तमान विधायक एवं शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज 2007 से यहां से लगातार जीतते आ रहे हैं. कांग्रेस की आपसी लड़ाई भी भाजपा के उम्मीदवार के लिए संजीवनी बनती रही है. सीपीएम भी यहां पर सक्रिय है और उसके उम्मीदवार भी यहां पर अच्छे खासे वोट लेते रहे हैं. यह वोट बैंक कांग्रेस का ही जो शिफ्ट होता रहा है. हालांकि, राजनीकित जानकारों के मुताबिक इस बार भाजपा के खिलाफ भी एंटी इनकंबैंसी है लेकिन कांग्रेस के लिए यहां राह इतनी आसान नहीं है.
पढ़ें- Assembly Election 2022: सरकार बनाने में आरक्षित सीटों का अहम योगदान, समझिए पूरा गणित

देखना यह है कि अबकी बार शिमला जिला में क्या राजनीतिक समीकरण बदलते हैं और कौन से पार्टी कितना परफार्म करती है. अबकी बार कांग्रेस, भाजपा और सीपीएम के अलावा आम आदमी पार्टी भी चुनाव लड़ रही है. आम आदमी पार्टी बड़ी पार्टियों के समीकरणों को कितना बदलती है यह भी देखने वाली बात होगी.

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