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अवैध खनन पर हाईकोर्ट में याचिका, अदालत ने मंडी के खनन अधिकारी को किया तलब

उच्च न्यायालय ने मंडी के खनन अधिकारी को एक हलफनामा दायर करने और सुनवाई की अगली तारीख पर कोर्ट में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने एक याचिका पर ये आदेश पारित किए. जिसमें मंडी के विभिन्न नालों/ खड्डों में अवैध खनन और पर्यावरण, सार्वजनिक सड़कों, सार्वजनिक जल योजनाओं आदि पर इसके हानिकारक प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है.

petition on illegal mining in High court
फाइल फोटो.
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Published : Sep 22, 2020, 9:47 PM IST

Updated : Oct 1, 2020, 10:57 PM IST

शिमला: उच्च न्यायालय ने मंडी के खनन अधिकारी को एक हलफनामा दायर करने और सुनवाई की अगली तारीख पर कोर्ट में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं. हलफनामे में विशेष रूप से सोन खड्ड, बाकर खड्ड, सतीर खड्ड, नालद खड्ड, बल्यान खड्ड, एलन खड्ड और च्सावल खड्ड क्षेत्र से संबंधित सभी विवरण शामिल करने को कहा है. जहां अवैध खनन गतिविधियां चल रही हैं.

मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने एक याचिका पर ये आदेश पारित किए. जिसमें मंडी के विभिन्न नालों/ खड्डों में अवैध खनन और पर्यावरण, सार्वजनिक सड़कों, सार्वजनिक जल योजनाओं आदि पर इसके हानिकारक प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है.

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि खनन माफिया दिन के उजाले में करोड़ों रुपये के अपने लघु खनिजों से राज्य को लूट रहे हैं और राज्य सरकार इस तरह के अवैध खनन गतिविधियों पर चुप है. उन्होंने कहा है कि खनन विभाग कर्मचारियों की कमी का हवाला देता है और पर्यावरण विभाग अपने दायर हलफनामों में गलत तथ्य बताते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण और अन्य न्यायालयों को गुमराह करता है.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि पीडब्ल्यूडी और आईपी एंड एच डिपार्टमेंट के अलावा, 35 अन्य विभाग अवैध खनन को रोकने के लिए विशेष शक्तियों के साथ खड़े हैं, लेकिन वहीं, विफल हो गए हैं. याचिकाकर्ताओं ने आगे आरोप लगाया है कि उन्होंने इस संबंध में सरकारी मोबाइल ऐप, 'मुख्य मंत्री सेवा संकल्प' पर भी शिकायतें दर्ज कीं, लेकिन अवैध खनन को स्थायी रूप से रोकने के लिए कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.

उन्होंने राज्य के अधिकारियों को निर्देश देने को कहा है कि वे पूर्वोक्त नालों / खड्डों से अवैध, अनधिकृत और अवैज्ञानिक खनन के पूर्ण उन्मूलन के लिए अपने प्रयासों को पूरा करे और इन नदी नालों को पारिस्थितिक रूप में लाये.

उन्होंने अधिकारियों से क्षेत्रों को बाड़ देने, गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए कैमरे लगाने, नदी के तल से प्रवेश और निकास बिंदुओं को स्थापित करने, अवैध खनन के दौरान पकड़े गए मशीनों और वाहनों के पंजीकरण प्रमाण पत्रों और ड्राइविंग लाइसेंसों को रद्द करने के आदेश दिए जाने की गुहार लगाई है.

उन्होंने तकनीकी संस्थानों की मदद से राज्य को निर्देश देने को कहा है कि वह क्षतिग्रस्त पर्यावरण की बहाली और सुधारे जाने के लिए एक कार्य योजना तैयार करे. मामले को अगली सुनवाई के लिए 25.9.2020 के लिये रखा है.

शिमला: उच्च न्यायालय ने मंडी के खनन अधिकारी को एक हलफनामा दायर करने और सुनवाई की अगली तारीख पर कोर्ट में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं. हलफनामे में विशेष रूप से सोन खड्ड, बाकर खड्ड, सतीर खड्ड, नालद खड्ड, बल्यान खड्ड, एलन खड्ड और च्सावल खड्ड क्षेत्र से संबंधित सभी विवरण शामिल करने को कहा है. जहां अवैध खनन गतिविधियां चल रही हैं.

मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने एक याचिका पर ये आदेश पारित किए. जिसमें मंडी के विभिन्न नालों/ खड्डों में अवैध खनन और पर्यावरण, सार्वजनिक सड़कों, सार्वजनिक जल योजनाओं आदि पर इसके हानिकारक प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है.

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि खनन माफिया दिन के उजाले में करोड़ों रुपये के अपने लघु खनिजों से राज्य को लूट रहे हैं और राज्य सरकार इस तरह के अवैध खनन गतिविधियों पर चुप है. उन्होंने कहा है कि खनन विभाग कर्मचारियों की कमी का हवाला देता है और पर्यावरण विभाग अपने दायर हलफनामों में गलत तथ्य बताते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण और अन्य न्यायालयों को गुमराह करता है.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि पीडब्ल्यूडी और आईपी एंड एच डिपार्टमेंट के अलावा, 35 अन्य विभाग अवैध खनन को रोकने के लिए विशेष शक्तियों के साथ खड़े हैं, लेकिन वहीं, विफल हो गए हैं. याचिकाकर्ताओं ने आगे आरोप लगाया है कि उन्होंने इस संबंध में सरकारी मोबाइल ऐप, 'मुख्य मंत्री सेवा संकल्प' पर भी शिकायतें दर्ज कीं, लेकिन अवैध खनन को स्थायी रूप से रोकने के लिए कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.

उन्होंने राज्य के अधिकारियों को निर्देश देने को कहा है कि वे पूर्वोक्त नालों / खड्डों से अवैध, अनधिकृत और अवैज्ञानिक खनन के पूर्ण उन्मूलन के लिए अपने प्रयासों को पूरा करे और इन नदी नालों को पारिस्थितिक रूप में लाये.

उन्होंने अधिकारियों से क्षेत्रों को बाड़ देने, गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए कैमरे लगाने, नदी के तल से प्रवेश और निकास बिंदुओं को स्थापित करने, अवैध खनन के दौरान पकड़े गए मशीनों और वाहनों के पंजीकरण प्रमाण पत्रों और ड्राइविंग लाइसेंसों को रद्द करने के आदेश दिए जाने की गुहार लगाई है.

उन्होंने तकनीकी संस्थानों की मदद से राज्य को निर्देश देने को कहा है कि वह क्षतिग्रस्त पर्यावरण की बहाली और सुधारे जाने के लिए एक कार्य योजना तैयार करे. मामले को अगली सुनवाई के लिए 25.9.2020 के लिये रखा है.

Last Updated : Oct 1, 2020, 10:57 PM IST
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