शिमला: विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन माननीयों के यात्रा भत्ता को ढाई लाख रुपये सालाना से बढ़ाकर 4 लाख रुपए किए जाने का फैसला अब उच्च न्यायालय पहुंच गया है. यात्रा भत्ता बढ़ाने वाले फैसले को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.
भारत स्वाभिमान पार्टी की तरफ से ये याचिका दाखिल की गई है. इसमें दलील दी गई है कि माननीयों को पहले ही रेल, हवाई व बस यात्रा निशुल्क उपलब्ध है. ऐसे में यात्रा भत्ते को बढ़ाना सही नहीं है. यही नहीं, याचिका में इस बात पर भी सवाल उठाया गया है कि जब सस्ते इंटरनेट के दौर में बेहद कम दाम वाले पैकेज उपलब्ध हैं तो हर महीने 15 हजार रुपये टेलीफोन भत्ता किसलिए दिया जा रहा है.
याचिका के अनुसार विधायक व मंत्री जनसेवक कहलाते हैं. जनसेवकों का कोई वेतन नहीं होता, लेकिन वे भारी-भरकम वेतन ले रहे हैं. चुनाव क्षेत्र के लिए 90 हजार रुपये भत्ता है, इसे भी रद्द किए जाने की मांग हुई है. विस्तृत याचिका में माननीयों को सस्ते लोन व अन्य सुविधाओं पर भी सवाल उठाया गया है. अब देखना है कि हाईकोर्ट में इस याचिका पर आगे क्या एक्शन होता है.
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गौर रहे कि मौजूदा समय में एक विधायक का मासिक वेतन 2.10 लाख है. इसमें 55,000 बेसिक सैलरी, 90,000 चुनाव क्षेत्र भत्ता, 5,000 कंप्यूटर भत्ता, 15,000 टेलीफोन भत्ता, 30,000 ऑफिस भत्ता और 15,000 डाटा एंट्री ऑपरेटर अलाउएंस हैं. विधानसभा कमेटी बैठकों का टीए अलग है. अब यात्रा भत्ता भी ढाई लाख से 4 लाख रुपये सालाना हो गया है.
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