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हिमाचल लोकसेवा आयोग में मीरा वालिया की नियुक्ति को चुनौती वाली याचिका खारिज

मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि मीरा वालिया की नियुक्ति करते समय भारतीय संविधान में दिए गए सिद्धांतों की पूर्णतया पालना की गई है. न्यायालय ने कहा कि हालांकि मीरा वालिया के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी मगर शिमला की विशेष अदालत ने उन्हें इस आरोप से बरी कर दिया गया है

Petition challenging the appointment of Meera Walia in Public Service Commission dismissed
हिमाचल हाईकोर्ट.
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Published : Jan 1, 2020, 9:19 PM IST

शिमला: पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के निजी सचिव रहे आईएएस अधिकारी सुभाष अहलूवालिया की पत्नी मीरा वालिया को हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाये जाने को लेकर चुनौती देने वाली याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है.

मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि मीरा वालिया की नियुक्ति करते समय भारतीय संविधान में दिए गए सिद्धांतों की पूर्णतया पालना की गई है. न्यायालय ने कहा कि हालांकि मीरा वालिया के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी मगर शिमला की विशेष अदालत ने उन्हें इस आरोप से बरी कर दिया गया है और स्पेशल जज के पारित निर्णय को किसी भी न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी गई है.

इन तथ्यों के दृष्टिगत हाई कोर्ट ने पाया कि प्रार्थी उपरोक्त याचिका को लेकर कोर्ट के समक्ष स्पष्ट छवि, स्वच्छ आत्मा व स्वच्छ मन से नहीं आया है. न्यायालय ने कहा कि हालांकि यह याचिका कॉस्ट के साथ खारिज किये जाने योग्य है मगर प्रार्थी को कानून का विद्यार्थी होने व कानून का पालन करने वाला नागरिक पाते हुए उस पर कॉस्ट लगाने के आदेश पारित नहीं किए.

न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार में वर्तमान में आयोग के अध्यक्ष पद की नियुक्ति के लिए कोई भी मापदंड व दिशानिर्देश जारी नही किये हैं. राज्य सरकार व राज्यपाल को इन पदों पर नियुक्ति देने हेतु बड़े स्तर पर निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है। न्यायालय ने राज्य सरकार से यह आशा जताई कि वह भविष्य में आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों के पदों पर चयन व नियुक्ति के लिए प्रशासनिक दिशानिर्देश व मापदंड जारी करेगी जिससे कि मनमाने तरीके से इन पदों पर होने वाली नियुक्ति पर रोक लगे.

शिमला: पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के निजी सचिव रहे आईएएस अधिकारी सुभाष अहलूवालिया की पत्नी मीरा वालिया को हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाये जाने को लेकर चुनौती देने वाली याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है.

मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि मीरा वालिया की नियुक्ति करते समय भारतीय संविधान में दिए गए सिद्धांतों की पूर्णतया पालना की गई है. न्यायालय ने कहा कि हालांकि मीरा वालिया के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी मगर शिमला की विशेष अदालत ने उन्हें इस आरोप से बरी कर दिया गया है और स्पेशल जज के पारित निर्णय को किसी भी न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी गई है.

इन तथ्यों के दृष्टिगत हाई कोर्ट ने पाया कि प्रार्थी उपरोक्त याचिका को लेकर कोर्ट के समक्ष स्पष्ट छवि, स्वच्छ आत्मा व स्वच्छ मन से नहीं आया है. न्यायालय ने कहा कि हालांकि यह याचिका कॉस्ट के साथ खारिज किये जाने योग्य है मगर प्रार्थी को कानून का विद्यार्थी होने व कानून का पालन करने वाला नागरिक पाते हुए उस पर कॉस्ट लगाने के आदेश पारित नहीं किए.

न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार में वर्तमान में आयोग के अध्यक्ष पद की नियुक्ति के लिए कोई भी मापदंड व दिशानिर्देश जारी नही किये हैं. राज्य सरकार व राज्यपाल को इन पदों पर नियुक्ति देने हेतु बड़े स्तर पर निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है। न्यायालय ने राज्य सरकार से यह आशा जताई कि वह भविष्य में आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों के पदों पर चयन व नियुक्ति के लिए प्रशासनिक दिशानिर्देश व मापदंड जारी करेगी जिससे कि मनमाने तरीके से इन पदों पर होने वाली नियुक्ति पर रोक लगे.

एचपी लोकसेवा आयोग में मीरा वालिया की नियुक्ति को चुनौती वाली याचिका खारिज
शिमला। पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के निजी सचिव रहे आईएएस अधिकारी सुभाष अहलूवालिया की पत्नी
 मीरा वालिया को हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाये जाने को लेकर चुनौती देने वाली याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि मीरा वालिया की नियुक्ति करते समय भारतीय संविधान द्वारा दिए गए सिद्धांतों की पूर्णतया पालना की गई है। न्यायालय ने कहा कि हालांकि मीरा वालिया के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी मगर शिमला की विशेष अदालत द्वारा उन्हें इस आरोप से बरी कर दिया गया है और स्पेशल जज द्वारा पारित निर्णय को किसी भी न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी गई है। इन तथ्यों के दृष्टिगत हाई कोर्ट ने पाया कि प्रार्थी उपरोक्त याचिका को लेकर  कोर्ट के समक्ष स्पष्ट छवि, स्वच्छ आत्मा व स्वच्छ मन से नहीं आया है। न्यायालय ने कहा कि हालांकि यह याचिका कॉस्ट के साथ खारिज किये जाने योग्य है मगर प्रार्थी को कानून का विद्यार्थी होने व कानून का पालन करने वाला नागरिक पाते हुए उस पर कॉस्ट लगाने के आदेश पारित नहीं किए। 
न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि  राज्य सरकार में वर्तमान में आयोग के अध्यक्ष पद की नियुक्ति के लिए कोई भी मापदंड व दिशानिर्देश  जारी नही किये हैं। राज्य सरकार व राज्यपाल को  इन पदों पर  नियुक्ति देने हेतु बड़े स्तर पर निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है। न्यायालय ने राज्य सरकार से यह आशा जताई कि वह भविष्य में आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों के पदों पर चयन व नियुक्ति हेतु  प्रशासनिक दिशानिर्देश व मापदंड जारी करेगी जिससे कि मनमाने तरीके से इन पदों पर होने वाली नियुक्ति पर रोक लगे।
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