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धनतेरस: शिमला के बाजारों में उमड़ी भीड़, खरीदारी में रूचि नहीं दिखा रहे लोग - buissness on dhanteras festival himachal

शिमला में धनतेरस के मौके पर लोग बाजारों में घूम तो रहे हैं, लेकिन यह देखा जा रहा है कि धनतेरस पर जितनी भीड़ बर्तनों और आभूषणों की दुकानों पर होती थी, उतनी भीड़ इस बार दुकानों के अंदर नहीं है. लोग धनतेरस के दिन ना तो बर्तनों की खरीदारी में लोग रुझान दिखा रहे हैं और ना ही सोने चांदी के आभूषण या सिक्कों की बिक्री हुई है.

Shimla
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Published : Nov 13, 2020, 3:47 PM IST

शिमला: धनतेरस के मौके पर शिमला के बाजारों में लोगों की भीड़ बढ़ी है. बाजारों में भीड़ देखकर यहां नहीं लग रहा है कि कोरोना महामारी का कोई डर अब लोगों के मन में बाकी रह गया है.

वहीं, लोग बाजारों में घूम तो रहे हैं, लेकिन यह देखा जा रहा है कि धनतेरस पर जितनी भीड़ बर्तनों और आभूषणों की दुकानों पर होती थी, उतनी भीड़ इस बार दुकानों के अंदर नहीं है. लोग धनतेरस के दिन ना तो बर्तनों की खरीदारी में रुझान दिखा रहे हैं और ना ही सोने चांदी के आभूषण या सिक्कों की बिक्री हुई है.

वीडियो.

कुछ एक लोग ही हैं जो आभूषणों और बर्तनों की दुकानों पर खरीदारी करते हुए धनतेरस के पर्व पर नजर आ रहे हैं. बाजारों में त्योहार को देखते हुए भीड़ तो है. लोग दीपावली के पर्व के लिए भी बाजारों में ज्यादा खरीदारी करते हुए नजर आ रहे हैं. मिठाई की दुकानें भी सज गई हैं. वहीं, दिवाली के सामान के लिए लगाए गए स्टॉल में दीए और सजावट के लिए सामान रखा है. इन स्टॉलों पर भी लोगों की भीड़ देखी जा रही है.

इसके साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा में इस्तेमाल होने वाले खिल-बताशों के स्टॉल पर भी लोग खरीदारी करते हुए नजर आ रहे हैं. अगर धनतेरस के पर्व की बात की जाए तो इस धनतेरस के पर्व में जहां लोग कांसे और तांबे या किसी भी तरह के बर्तनों की खरीदारी को ज्यादा तवज्जो देते हैं. वह इस बार नहीं दिख रहा है.

साथ ही सोने और चांदी के आभूषण या सिक्के इस दिन पर खरीदे जाते थे वहां लोगों की उतनी भीड़ नजर नहीं आ रही है जितनी कि बीते वर्ष धनतेरस पर इन दुकानों पर नजर आ रही थी.

इसके पीछे एक वजह यह भी है कि इस बार धनतेरस को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति थी. कुछ लोगों ने वीरवार को भी धनतेरस की खरीदारी कर ली है, तो कुछ लोग शुक्रवार को आज धनतेरस की खरीदारी कर रहे हैं.

कोविड-19 का असर भी सीधे तौर पर इस त्यौहार पर दिखा जा रहा है. छोटी-छोटी खरीद ही लोग इस पर्व पर शुभ फल के रूप में कर रहे हैं जिससे कि वह धनतेरस की परंपरा को भी पूरा कर सकें और उनका बजट भी ना बिगड़े.

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस बार धनतेरस पर भद्रा का किसी भी तरह का कोई प्रभाव नहीं है. यही वजह है कि लोग बेफिक्र होकर पूरा दिन भर खरीदारी कर सकते हैं और अपनी पसंद की कोई भी चीज इस शुभ दिन पर खरीद सकते हैं.

यह है धनतेरस की मान्यता

धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि का जन्मदिवस भी माना जाता है. इस दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि उत्पन्न हुए थे. उत्पन्न होने के समय उनके हाथ में एक अमृतकलश था, जिसके चलते धनतेरस पर बर्तन खरीदने का भी रिवाज बढ़ा.

इस दिन खरीदारी करने से 13 गुना वृद्धि होती है. इस दिन मां लक्ष्मी, गणेश भगवान, धनवंतरि के साथ ही कुबेर की पूजा का खास महत्व है. इस दिन किसी भी तरह की जो वस्तु खरीदी जाती है उससे पूरे साल मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.

पढ़ें: चाइल्ड लाइन ने रुकवाई नाबालिग लड़की की शादी, परिजनों को नहीं थी कानूनी जानकारी

शिमला: धनतेरस के मौके पर शिमला के बाजारों में लोगों की भीड़ बढ़ी है. बाजारों में भीड़ देखकर यहां नहीं लग रहा है कि कोरोना महामारी का कोई डर अब लोगों के मन में बाकी रह गया है.

वहीं, लोग बाजारों में घूम तो रहे हैं, लेकिन यह देखा जा रहा है कि धनतेरस पर जितनी भीड़ बर्तनों और आभूषणों की दुकानों पर होती थी, उतनी भीड़ इस बार दुकानों के अंदर नहीं है. लोग धनतेरस के दिन ना तो बर्तनों की खरीदारी में रुझान दिखा रहे हैं और ना ही सोने चांदी के आभूषण या सिक्कों की बिक्री हुई है.

वीडियो.

कुछ एक लोग ही हैं जो आभूषणों और बर्तनों की दुकानों पर खरीदारी करते हुए धनतेरस के पर्व पर नजर आ रहे हैं. बाजारों में त्योहार को देखते हुए भीड़ तो है. लोग दीपावली के पर्व के लिए भी बाजारों में ज्यादा खरीदारी करते हुए नजर आ रहे हैं. मिठाई की दुकानें भी सज गई हैं. वहीं, दिवाली के सामान के लिए लगाए गए स्टॉल में दीए और सजावट के लिए सामान रखा है. इन स्टॉलों पर भी लोगों की भीड़ देखी जा रही है.

इसके साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा में इस्तेमाल होने वाले खिल-बताशों के स्टॉल पर भी लोग खरीदारी करते हुए नजर आ रहे हैं. अगर धनतेरस के पर्व की बात की जाए तो इस धनतेरस के पर्व में जहां लोग कांसे और तांबे या किसी भी तरह के बर्तनों की खरीदारी को ज्यादा तवज्जो देते हैं. वह इस बार नहीं दिख रहा है.

साथ ही सोने और चांदी के आभूषण या सिक्के इस दिन पर खरीदे जाते थे वहां लोगों की उतनी भीड़ नजर नहीं आ रही है जितनी कि बीते वर्ष धनतेरस पर इन दुकानों पर नजर आ रही थी.

इसके पीछे एक वजह यह भी है कि इस बार धनतेरस को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति थी. कुछ लोगों ने वीरवार को भी धनतेरस की खरीदारी कर ली है, तो कुछ लोग शुक्रवार को आज धनतेरस की खरीदारी कर रहे हैं.

कोविड-19 का असर भी सीधे तौर पर इस त्यौहार पर दिखा जा रहा है. छोटी-छोटी खरीद ही लोग इस पर्व पर शुभ फल के रूप में कर रहे हैं जिससे कि वह धनतेरस की परंपरा को भी पूरा कर सकें और उनका बजट भी ना बिगड़े.

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस बार धनतेरस पर भद्रा का किसी भी तरह का कोई प्रभाव नहीं है. यही वजह है कि लोग बेफिक्र होकर पूरा दिन भर खरीदारी कर सकते हैं और अपनी पसंद की कोई भी चीज इस शुभ दिन पर खरीद सकते हैं.

यह है धनतेरस की मान्यता

धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि का जन्मदिवस भी माना जाता है. इस दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि उत्पन्न हुए थे. उत्पन्न होने के समय उनके हाथ में एक अमृतकलश था, जिसके चलते धनतेरस पर बर्तन खरीदने का भी रिवाज बढ़ा.

इस दिन खरीदारी करने से 13 गुना वृद्धि होती है. इस दिन मां लक्ष्मी, गणेश भगवान, धनवंतरि के साथ ही कुबेर की पूजा का खास महत्व है. इस दिन किसी भी तरह की जो वस्तु खरीदी जाती है उससे पूरे साल मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.

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