शिमला: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशासन की लापरवाही मरीजों पर बार-बार भारी पड़ रही है. रविवार को सरकारी और निजी कृष्णा लैब दोनों में ही मरीजों के टेस्ट नहीं हुए. ऐसे में मरीज टेस्ट करवाने के लिए दर दर भटकते रहे. आधे से ज्यादा मरीजों ने तो भारी पैसे खर्च कर निजी लैब में टेस्ट करवाए हैं. हैरानी की बात है कि आईजीएमसी में एक आपातकालीन लैब खोली गई है, उसमें भी टेस्ट नहीं हुए. टेस्ट न होने का मुख्य कारण मशीनें खराब होना बताया जा रहा है.
3000 से 3500 मरीज कराने आते हैं इलाज: अगर समय से मशीनों को ठीक नहीं करवाया गया तो मरीजों को और ज्यादा परेशानी आएगी. बता दें आईजीएमसी में प्रतिदिन 3 हजार से 3500 मरीज इलाज कराने आते हैं. ऐसे में सभी मरीजों को डॉक्टर पहले टेस्ट के लिए ही लिखते है. सरकारी लैब में टेस्ट नहीं होने के कारण अब मरीजों को बाजार में टेस्ट करवाने के लिए जाना पड़ रहा है.
बता दें कि आईजीएमसी की अपनी सरकारी लैब में सरकार ने कई सारे टेस्ट निशुल्क किए हैं. वहीं, निजी कृष्णा लैब को भी अस्पताल के अंदर स्थापित किया गया है, ताकी कम दरों पर टेस्ट किए जाएंगे, लेकिन इन दिनों स्थिति ऐसी बन चुकी है कि इस सुविधा का मरीजों को बिल्कुल भी लाभ नहीं मिल रहा है. यहां प्रशासन और सरकार के टेस्ट को लेकर किए जा रहे सभी दावों की पोल खुलती नजर आ रही है.
तीनों लैब में नहीं हो रहे टेस्ट: आईजीएमसी की सरकारी लैब में सिर्फ 12 बजे तक सैंपल लिए जाते है उसके बाद कृष्णा लैब में सैंपल लिए जाते है. वहीं, आपातकालीन लैब में रात के समय भी टेस्ट होते हैं. तीनों ही जगह पर अब टेस्ट नहीं हो रहे हैं. प्रशासन की यह लापरवाही मरीजों पर भारी पड़ रही है. जिला मंडी से उपचार करवाने आए रमेश ने बताया कि वह अपने पिता के इलाज के लिए आपातकाल विभाग में आए हैं. यहां चिकित्सकों ने उनके टेस्ट लिखे हैं, लेकिन यहां सरकारी और निजी लैब में टेस्ट करने से मना कर दिया है अब उन्हें बाहर जाकर महंगे टेस्ट करवाना पड़ेगा. वहीं, आईजीएमसी में डिप्टी एमएस प्रवीण एस भाटिया ने बताया कि कुछ तकनीकी कारणों से कुछ टेस्ट नहीं हुए हैं जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा.
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