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काम आई हाईकोर्ट की सख्ती, परवाणू-शिमला फोरलेन के किनारे 15 हेक्टेयर भूमि पर बनेंगे सार्वजनिक शौचालय - परवाणू शिमला फोरलेन पर बनेंगे सार्वजनिक शौचालय

ईकोर्ट के आदेश के बाद अब परवाणू-शिमला फोरलेन के किनारे 15 हेक्टेयर भूमि पर सार्वजनिक शौचालय बनेंगे. केंद्र सरकार के जवाब के बाद अब हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 28 जून को निर्धारित की है.

काम आई हाईकोर्ट की सख्ती
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Published : May 18, 2023, 6:41 AM IST

शिमला: आखिरकार हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की सख्ती काम आई. हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब परवाणू-शिमला फोरलेन के किनारे 15 हेक्टेयर भूमि पर सार्वजनिक शौचालय बनेंगे. इस संदर्भ में चल रहे एक मामले में केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में ये जानकारी दी. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.

अगली सुनवाई 28 जून को: केंद्र सरकार के जवाब के बाद अब हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 28 जून को निर्धारित की है. अदालत में केंद्र सरकार ने बताया कि फोरलेन पर विभिन्न जगहों पर सार्वजनिक शौचालय बनाए जाएंगे. इसके लिए वन भूमि को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को ट्रांसफर किया जाएगा.इस पर जून माह की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा. इसके बाद खंडपीठ ने सुनवाई 28 जून को तय कर दी.

मामला लंबे समय से अदालत में: इससे पूर्व मामले पर मार्च महीने में सुनवाई हुई थी. तब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एनएचएआई को आदेश दिए थे कि वह तीन महीनों की भीतर सड़क किनारे शौचालय आदि की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करे, ताकि बरसात से पहले इसका निर्माण शुरू किया जा सके. उल्लेखनीय है कि ये मामला लंबे समय से अदालत में है. इसी मामले में 4 साल पहले भी संबंधित एजेंसियों ने हाईकोर्ट को बताया गया था कि प्रदेश भर के नेशनल और स्टेट हाईवे पर यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाए उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार ने 1490.65 लाख रुपए मंजूर किए हैं. कोर्ट को बताया गया था कि नेशनल हाईवे के किनारे शौचालय बनाने और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने उक्त राशि स्वीकृत की है.

निर्माण कार्य कागजों तक ही सीमित: यह रकम हिमाचल प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग को देकर रखरखाव आदि कार्य किये जाने का जिम्मा सौंपा गया है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर खुली अदालत में नकारात्मक टिप्पणी भी दर्ज की थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार मूलभूत सुविधाओं के लिए करोडों रुपए का बजट राज्य सरकार को देती है, लेकिन राज्य सरकार इस बजट को खर्च नहीं कर पाती और यह बजट लैप्स हो जाता है. मामले में नियुक्त किए गए एमिकस क्यूरी यानी कोर्ट मित्र ने अदालत को बताया था कि मुख्य सचिव के पिछले शपथपत्र के अनुसार प्रदेश में सड़कों के किनारे शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है. हकीकत में निर्माण कार्य कागजों तक ही सीमित है.

कार्यों की प्रोग्रेस मांगी गई: अदालत को यह भी बताया गया था कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत हिमाचल प्रदेश को विश्व बैंक ने 9 हजार करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है. अदालत ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताए कि नेशनल और स्टेट हाईवे पर यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए क्या काम किए और उन कार्यों की प्रोग्रेस क्या है? अब मामले की सुनवाई 28 जून को होगी.

ये भी पढ़ें : High Court Closes PIL: शिमला के चिखड़ स्कूल में नहीं हो रहा जातिगत भेदभाव, हाईकोर्ट ने बंद की जनहित याचिका

शिमला: आखिरकार हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की सख्ती काम आई. हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब परवाणू-शिमला फोरलेन के किनारे 15 हेक्टेयर भूमि पर सार्वजनिक शौचालय बनेंगे. इस संदर्भ में चल रहे एक मामले में केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में ये जानकारी दी. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.

अगली सुनवाई 28 जून को: केंद्र सरकार के जवाब के बाद अब हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 28 जून को निर्धारित की है. अदालत में केंद्र सरकार ने बताया कि फोरलेन पर विभिन्न जगहों पर सार्वजनिक शौचालय बनाए जाएंगे. इसके लिए वन भूमि को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को ट्रांसफर किया जाएगा.इस पर जून माह की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा. इसके बाद खंडपीठ ने सुनवाई 28 जून को तय कर दी.

मामला लंबे समय से अदालत में: इससे पूर्व मामले पर मार्च महीने में सुनवाई हुई थी. तब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एनएचएआई को आदेश दिए थे कि वह तीन महीनों की भीतर सड़क किनारे शौचालय आदि की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करे, ताकि बरसात से पहले इसका निर्माण शुरू किया जा सके. उल्लेखनीय है कि ये मामला लंबे समय से अदालत में है. इसी मामले में 4 साल पहले भी संबंधित एजेंसियों ने हाईकोर्ट को बताया गया था कि प्रदेश भर के नेशनल और स्टेट हाईवे पर यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाए उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार ने 1490.65 लाख रुपए मंजूर किए हैं. कोर्ट को बताया गया था कि नेशनल हाईवे के किनारे शौचालय बनाने और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने उक्त राशि स्वीकृत की है.

निर्माण कार्य कागजों तक ही सीमित: यह रकम हिमाचल प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग को देकर रखरखाव आदि कार्य किये जाने का जिम्मा सौंपा गया है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर खुली अदालत में नकारात्मक टिप्पणी भी दर्ज की थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार मूलभूत सुविधाओं के लिए करोडों रुपए का बजट राज्य सरकार को देती है, लेकिन राज्य सरकार इस बजट को खर्च नहीं कर पाती और यह बजट लैप्स हो जाता है. मामले में नियुक्त किए गए एमिकस क्यूरी यानी कोर्ट मित्र ने अदालत को बताया था कि मुख्य सचिव के पिछले शपथपत्र के अनुसार प्रदेश में सड़कों के किनारे शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है. हकीकत में निर्माण कार्य कागजों तक ही सीमित है.

कार्यों की प्रोग्रेस मांगी गई: अदालत को यह भी बताया गया था कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत हिमाचल प्रदेश को विश्व बैंक ने 9 हजार करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है. अदालत ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताए कि नेशनल और स्टेट हाईवे पर यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए क्या काम किए और उन कार्यों की प्रोग्रेस क्या है? अब मामले की सुनवाई 28 जून को होगी.

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