रामरपुर: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के आयुर्वेदिक अस्पताल रामपुर में पिछले एक साल में विभिन्न बिमारियों से ग्रसित मरीजों का पंचकर्म पद्धति से इलाज किया गया है. पिछले एक साल में आयुर्वेदिक अस्पताल रामपुर में 2300 पंचकर्म क्रियाओं द्वारा 450 से 500 मरीजों को स्वस्थ किया गया है. इसके अलावा शिरोधार्य, तर्रार, ग्रीवा वस्ति, कटी बस्ती, जानुबस्ति, अक्षितर्पण, कपिंग, षष्ठी शाली, पत्र पिंड स्वेद जैसी कई क्रियाओं द्वारा विभिन्न बीमारियों का इलाज सफल रुप से किया जा रहा है.
'शमन एवं शोधन पद्धति में हो रहा इलाज': जानकारी देते हुए डॉ. नीतू पान्टा मण्डियाल प्रभारी आयुर्वेदिक चिकित्सालय रामपुर ने बताया कि आयुर्वेदिक अस्पताल में लोग आर्थराइटिस, स्पॉन्डिलाइटिस, पक्षाघात, ड्राई आई सिंड्रोम, डिटॉक्स, मांसपेशियों में तनाव, अनिद्रा, मानसिक अवसाद, साइटिका, अर्श आदि का इलाज करवाने पहुंचते हैं और आयुर्वेदिक एवं पंचकर्म पद्धति से लाभान्वित हो रहे हैं. यहां शमन एवं शोधन पद्धति में चिकित्सकों द्वारा इलाज किया जा रहा है.
'पंचकर्म से शरीर में होते हैं दोष संतुलित': डॉ. नीतू पान्टा मण्डियाल ने बताया कि आयुर्वेद में पंचकर्म जैसा कि नाम से ज्ञात होता है पंचकर्म अर्थात पांच क्रियांए हैं. यह ऐसी पांच क्रियाएं हैं जो असंतुलित हुए दोषों को संतुलित करती हैं. आयुर्वेद की दो चिकित्सा पद्धतियां हैं. शमन चिकित्सा एवं शोधन चिकित्सा. शमन चिकित्सा द्वारा शरीर के असंतुलित दोषों के कारण हुए रोगों के लक्षणों को शांत किया जाता है, लेकिन शोधन चिकित्सा एक ऐसी चिकित्सा है, जिससे रोगों के कारणों से मुक्ति मिलती है. अर्थात इन पंचकर्म क्रियाओं द्वारा शरीर से विषाक्त रसायनों को शरीर से बाहर निकाल कर शरीर की पूर्ण शुद्धि कर रोगों का पूरी तरह से खत्म किया जाता है. विकृत आहार, ऋतु परिवर्तन, वय : परिवर्तन आदि कारणों से शरीर में दोष असंतुलित हो जाते हैं.
'स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी पंचकर्म जरुरी': डॉक्टर नीतू ने बताया की पंचकर्म क्रियाओं से केवल शारीरिक व्याधियों में ही नहीं अपितु मानसिक व्याधियों में भी लाभ मिलता है. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद के दो चिकित्सा सिद्धांत हैं. पहला स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और दूसरा रोगी के रोगों का नाश करना. पंचकर्म की क्रियाएं केवल बीमार व्यक्ति के लिए ही नहीं हैं, अपितु स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी लाभकारी हैं. पंचकर्म द्वारा स्वस्थ व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है.
'तीन अवस्थाओं में होती हैं पंचकर्म पद्धति': डॉ नीतू ने बताया कि पंचकर्म तीन अवस्थाओं में किया जाता है. पहली अवस्था में व्यक्ति की जठराग्नि जागृत करने हेतु आयुर्वेदिक औषधियां दी जाती हैं. तत्पश्चात स्नेहन, बाह्य अभ्यंग, स्वेदन कर्म किया जाता है. द्वितीय अवस्था में मुख्य कर्म किया जाता है. यह पांच प्रकार का होता है, वमन, विरेचन, आस्थापन वस्ति, अनुशासन बस्ती, नस्य. यह कर्म रोगानुसार, ॠतु अनुसार, व्यक्ति के शारीरिक बल अनुसार, मानसिक बल चिकित्सकों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं. तृतीय अवस्था में पश्चात कर्म होता है.
'स्वस्थ होने की उम्मीद खो चुके लोग भी ठीक होकर घर लौटे': जिन रोगों की चिकित्सा औषधी द्वारा सम्भव नहीं होती, उनकी चिकित्सा पंचकर्म से शोधन द्वारा की जाती है. यह पद्धति दीर्घकालिक रोगों से मुक्ति दिलाने में बहुत लाभकारी है. वहीं डॉक्टर नीतू ने बताया कि यहां पर चार जिलों से लोग अपना इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं और स्वस्थ होकर अपने घर को लौट जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस पद्धति का लाभ सभी को उठाना चाहिए. यहां पर ऐसे कई लोग आते हैं जो ठीक होने की उम्मीद खो चुके होते हैं. वह भी यहां से ठीक होकर जा रहे हैं. डॉक्टर नीतू ने लोगों से आग्रह किया है कि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठाएं और स्वस्थ जीवन जिएंं.
क्या कहते हैं पंचकर्म पद्धति से स्वस्थ हुए मरीज: वहीं इस दौरान पंचकर्म करवा रहे मरीज ने बताया कि वह कई अस्पतालों से अपना इलाज करवाकर चुके हैं, लेकिन कहीं से भी आराम नहीं हुआ. अब वह अपना पंचकर्म के माध्यम से पैरालिसिस का इलाज करवा रहे हैं, जिससे उन्हें आराम मिल रहा है और हाथ बाजू भी हिलने लग गए हैं. एक और महिला ने बताया कि रामपुर में डॉक्टर नीतू व उनकी टीम द्वारा उनका इलाज पंचकर्म से बेहतरीन तरीके से किया है जिससे वह स्वास्थ्य होकर अपने घर को लौट रही हैं.
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