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सरखान क्षेत्र में जुजुराना के जोड़े को जंगल में छोड़ा गया, वन मंत्री ने की कार्यक्रम की ऑनलाइन अध्यक्षता

सरखान क्षेत्र में गुरुवार को जुजुराना पक्षी के दो व्यस्क जोड़ों को चूजों सहित सफलतापूर्वक जंगल में छोड़ा गया. वन, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री राकेश पठानिया ने ऑनलाइन माध्यम से इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की.

Rakesh Pathania
राकेश पठानिया
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Published : Oct 8, 2020, 7:28 PM IST

शिमला: सराहन पक्षीशाला के दारनघाटी वन्य प्राणी शरण्यस्थल की सराहन वन्य प्राणी बीट के सरखान क्षेत्र में गुरुवार को जुजुराना पक्षी के दो व्यस्क जोड़ों को चूजों सहित सफलतापूर्वक जंगल में छोड़ा गया. वन, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री राकेश पठानिया ने ऑनलाइन माध्यम से इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की.

गौरतलब है कि जुजुराना (वैस्ट्रन ट्रैगोपेन) को वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी घोषित किया गया था, जो अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की लाल सूची में दर्ज एक विलुप्त होने के कगार पर खड़ा एक हिमालयी फीजेंट है. विश्व में जुजुराणा का जंगल में सफल पुनर्स्थापन का यह पहला प्रयास है.

वन मंत्री ने बताया कि सराहन स्थित पक्षीशाला में जुजुराना के संरक्षित प्रजनन की योजना कार्यान्वित की जा रही है. अक्तूबर 2019 में जडगी में जुजुराना के संरक्षित प्रजनन के लिए छह प्रजनन युग्मों को रखा गया. पिछले कुछ वर्षों में व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक प्रबंधन से सराहन पक्षीशाला में जुजुराना की 46 पक्षियों की स्वस्थ व सक्षम आबादी स्थापित की जा चुकी है.

राकेश पठानिया ने इस अवसर पर शिमला में बंदरों की समस्या के निवारण के लिए एक विशिष्ट हेल्पलाइन नंबर 1800-4194575 का भी ऑनलाइन उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि लोगों की वन्य प्राणियों से संबंधित समस्याओं को तुरंत विभाग तक पहुंचाने के लिए इस टॉल फ्री नंबर की सुविधा शुरू की गई है. शिमला के टूटीकंडी बचाव और पुनर्वास केंद्र में इसका नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है. उन्होंने कहा कि स्वयं भी लोगों की शिकायतों का डैशबोर्ड पर निरीक्षण करेंगे.

वन मंत्री ने विभागीय अधिकारियां को निर्देश दिए कि बंदरों की समस्या को लेकर जागरूकता कार्यक्रम में तेजी लाई जाए और स्थानीय लोगों को बंदरों की समस्या से निजात पाने के लिए पैंफलेट के माध्यम से जागरूक किया जाए, जहां बंदरों की संख्या अधिक है, वहां वन विभाग स्थानीय लोगों को गुलेल आदि भी बांटेगा.

प्रधान मुख्य अरण्यपाल, वन्य प्राणी एवं चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अर्चना शर्मा ने जानकारी दी कि सरखान क्षेत्र को निर्गमन के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया. इस क्षेत्र में रहने वाले प्राकृतिक पराभक्षियों के बारे में अनुश्रवण व विश्लेशण किया गया, ताकि जहां ये पक्षी छोडे़ जा रहे हैं. वहां पराभक्षी कम या लगभग न के बराबर हों. अर्चना शर्मा ने कहा कि जुजुराना पक्षी से पूर्व वर्ष 2019 में सोलन जिले के चायल के सेरी गांव में चैहड़ पक्षी को भी सफलतापूर्वक जंगल में पुनर्स्थापित किया गया है.

शिमला: सराहन पक्षीशाला के दारनघाटी वन्य प्राणी शरण्यस्थल की सराहन वन्य प्राणी बीट के सरखान क्षेत्र में गुरुवार को जुजुराना पक्षी के दो व्यस्क जोड़ों को चूजों सहित सफलतापूर्वक जंगल में छोड़ा गया. वन, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री राकेश पठानिया ने ऑनलाइन माध्यम से इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की.

गौरतलब है कि जुजुराना (वैस्ट्रन ट्रैगोपेन) को वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी घोषित किया गया था, जो अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की लाल सूची में दर्ज एक विलुप्त होने के कगार पर खड़ा एक हिमालयी फीजेंट है. विश्व में जुजुराणा का जंगल में सफल पुनर्स्थापन का यह पहला प्रयास है.

वन मंत्री ने बताया कि सराहन स्थित पक्षीशाला में जुजुराना के संरक्षित प्रजनन की योजना कार्यान्वित की जा रही है. अक्तूबर 2019 में जडगी में जुजुराना के संरक्षित प्रजनन के लिए छह प्रजनन युग्मों को रखा गया. पिछले कुछ वर्षों में व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक प्रबंधन से सराहन पक्षीशाला में जुजुराना की 46 पक्षियों की स्वस्थ व सक्षम आबादी स्थापित की जा चुकी है.

राकेश पठानिया ने इस अवसर पर शिमला में बंदरों की समस्या के निवारण के लिए एक विशिष्ट हेल्पलाइन नंबर 1800-4194575 का भी ऑनलाइन उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि लोगों की वन्य प्राणियों से संबंधित समस्याओं को तुरंत विभाग तक पहुंचाने के लिए इस टॉल फ्री नंबर की सुविधा शुरू की गई है. शिमला के टूटीकंडी बचाव और पुनर्वास केंद्र में इसका नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है. उन्होंने कहा कि स्वयं भी लोगों की शिकायतों का डैशबोर्ड पर निरीक्षण करेंगे.

वन मंत्री ने विभागीय अधिकारियां को निर्देश दिए कि बंदरों की समस्या को लेकर जागरूकता कार्यक्रम में तेजी लाई जाए और स्थानीय लोगों को बंदरों की समस्या से निजात पाने के लिए पैंफलेट के माध्यम से जागरूक किया जाए, जहां बंदरों की संख्या अधिक है, वहां वन विभाग स्थानीय लोगों को गुलेल आदि भी बांटेगा.

प्रधान मुख्य अरण्यपाल, वन्य प्राणी एवं चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अर्चना शर्मा ने जानकारी दी कि सरखान क्षेत्र को निर्गमन के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया. इस क्षेत्र में रहने वाले प्राकृतिक पराभक्षियों के बारे में अनुश्रवण व विश्लेशण किया गया, ताकि जहां ये पक्षी छोडे़ जा रहे हैं. वहां पराभक्षी कम या लगभग न के बराबर हों. अर्चना शर्मा ने कहा कि जुजुराना पक्षी से पूर्व वर्ष 2019 में सोलन जिले के चायल के सेरी गांव में चैहड़ पक्षी को भी सफलतापूर्वक जंगल में पुनर्स्थापित किया गया है.

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