शिमला: आईजीएमसी आउटसोर्स कर्मचारी वर्कर यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर आईजीएमसी प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. आउटसोर्स कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा, ना ही उन्हें कोरोना काल में बढ़ाया गया. 15 सौ रुपए अतिरिक्त वेतन नहीं दिया गया है. इसके आलावा कर्मचारियों को कपड़े बदलने के लिए अलग कमरा नहीं है. इसी मुद्दे को लेकर आउटसोर्स कर्मचारियों ने वीरवार को आईजीएमसी गेट के बाहर सीटू के नेतृत्व में मूक प्रदर्शन किया.
इस संबंध में सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि आईजीएमसी में तैनात आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण लगातार बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा तीन साल पहले किए गए करार में न्यूनतम वेतन देने की बात कही थी, लेकिन अब तक किसी को भी न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है. कोरोना काल में सरकार ने दो महीने के लिए वेतन 15 सौ रुपए बढ़ाया था, वह भी कर्मचारियों को नहीं मिला. इसके अलावा आइसोलेशन वार्ड में काम करने वाले सफाई कर्मी को अतिरिक्त 200 देने की बात कही थी, लेकिन आज तक वह भी नहीं दिया गया.
आईजीएमसी में सफाई कर्मचारियों को कपड़े बदलने के लिए जगह नहीं मिलती. उन्हें मजबूरन शौचालय में जाकर कपड़े बदलने पड़ते हैं. इतना ही नहीं कर्मचारियों को छुट्टी भी नहीं मिलती है, जिसके कारण आउटसोर्स कर्मचारी परेशान हैं.
सीटू के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि कर्मचारियों की मांगों को लेकर आईजीएमसी के प्रिंसिपल को ज्ञापन दिया गया है. कर्मचारियों का कहना है कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो आने वाले समय में हड़ताल की जाएगी. उन्होंने कोरोना काल में निकाले गए 15 कर्मचारियों को वापस लेने की भी मांग की गई है.
गौरतलब है कि आईजीएमसी में आउटसोर्स पर सफाई कर्मचारी वह वार्ड बॉय तैनात हैं, जो अपनी मांगों को लेकर कई बार प्रशासन को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन उनकी मांग नहीं मानी गई है. इसी को लेकर आईजीएमसी आउटसोर्स वर्क ने गेट पर मूक प्रदर्शन किया.
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