शिमला: हिमाचल में विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रियंका वाड्रा ने सोलन के ठोडो ग्राउंड में ओपीएस की बहाली का वादा किया था. प्रियंका वाड्रा ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि सत्ता में आते ही पहली कैबिनेट में ओपीएस की बहाली की जाएगी. इसके अलावा प्रियंका ने पहली ही कैबिनेट में एक लाख रोजगार के ऐलान का वादा भी किया था. अब सत्ता में आने के बाद प्रियंका वाड्रा के वादे का हिमाचल की सुखविंदर सिंह सरकार ने मान रखा है. पहली ही कैबिनेट मीटिंग में ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली कर दी गई है. (OPS restored in Himachal Pradesh) न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के सदस्य शुक्रवार को शिमला पहुंचे थे. उन्होंने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व कांग्रेस सरकार का आभार जताया.
अब नोटिफिकेशन का है इंतजार: चलिए, ओल्ड पेंशन स्कीम तो हिमाचल में बहाल हो गई, लेकिन अब इससे जुड़ी नोटिफिकेशन का इंतजार है. नोटिफिकेशन के बाद ही सारी स्थितियां स्पष्ट हो पाएंगी. अलबत्ता सरकार ने कुछ पक्के संकेत दिए हैं. पहला ये कि छत्तीसगढ़ का मॉडल अपनाया गया है, लेकिन इसमें कुछ पॉइंट अपने राज्य के हिसाब से जोड़े गए हैं. कर्मियों के लिए एनपीएस का ऑप्शन भी खुला रखा गया है. केंद्र से एनपीएस के फंड में जमा 8000 करोड़ रुपए की रकम को लेकर भी आगामी प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसके अलावा राज्य में आर्थिक प्रबंधन किया जाएगा. नए संसाधन जोड़े जाएंगे. अलबत्ता सीएम सुखविंदर सिंह ने ये जरूर कह दिया है कि एरियर आदि के लिए इंतजार करना होगा.
ओपीएस बहाली का लाभ 1.36 लाख कर्मियों को मिलेगा: कांग्रेस की दस गारंटियों में से एक तो पूरी हो गई. इसके अलावा महिलाओं को पंद्रह सौ रुपए प्रति माह देने के लिए कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया गया है. इसके साथ ही एक लाख रोजगार के लिए भी कमेटी बनाई गई है. ये दोनों कमेटियां एक महीने में रिपोर्ट देंगी. उम्मीद जताई जा रही है कि ये वादे भी पूरे होंगे. लेकिन कांग्रेस को सबसे अधिक लाभ ओपीएस की बहाली से मिलेगा. सुखविंदर सिंह सरकार के अनुसार राज्य में ओपीएस बहाली का लाभ 1.36 लाख कर्मियों को मिलेगा. (Old Pension Scheme)
ओपीएस बहाली का लाभ क्या लोकसभा चुनाव में मिलेगा: ये देखना भी दिलचस्प होगा कि ओपीएस की बहाली का लाभ कांग्रेस को आने वाले लोकसभा चुनाव में भी मिलेगा या नहीं. वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. यानी एक साल बाद ही ओपीएस के वादे का लिटमस टेस्ट होगा. हिमाचल प्रदेश में यदि एक परिवार में पांच सदस्यों और पांच ही करीबियों की औसत देखी जाए तो हिमाचल में कम से कम दस लाख लोग कर्मचारियों के वोट बैंक के रूप में है. यदि ओपीएस की बहाली से कर्मचारी गदगद हुए हैं तो क्या ये आगामी लोकसभा चुनाव में वोट में भी तब्दील होगा या नहीं.
ओपीएस की बहाली से आर्थिक बोझ बढ़ेगा: फिलहाल, ओपीएस की बहाली से कर्मचारी वर्ग तो खुश है, लेकिन सरकार के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं. कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान का कहना है कि सरकारी खजाना खाली है. ओपीएस की बहाली से आर्थिक बोझ काफी होगा. इसके लिए संसाधन जुटाने होंगे. वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी एक दिन पूर्व यानी गुरूवार को कह चुके थे कि अफसर तो अड़ रहे थे, लेकिन उन्होंने फार्मूला निकाल लिया. इससे पता चलता है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पर्याप्त होम वर्क किया है.
वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि हिमाचल की राजनीति में इस बार के चुनाव अभूतपूर्व कहे जाएंगे. यहां ओपीएस एक ऐसा मुद्दा था, जिसे लेकर हर तरफ चर्चा थी. एक आशंका जताई जा रही थी कि कहीं ओपीएस की बहाली चुनावी वादा ही बनकर न रह जाए. लेकिन सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने इसे पूरा कर हिमाचल की राजनीति को बदल दिया है. इससे जनता में ये संकेत गया है कि इच्छा के साथ शक्ति जुड़ जाए तो कोई भी फैसला मुश्किल नहीं है. अब यदि कांग्रेस ने महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देने की तरफ निर्णायक कदम बढ़ा दिया तो ये तय है कि आगामी समय में कांग्रेस हिमाचल में काफी मजबूत हो जाएगी.
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