शिमला: हिमाचल में लगातार सामने आ रहे जातीय भेदभाव का मामला सोमवार को सदन में गूंजा. विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सदन में जम कर हंगामा किया और सदन से वॉकआउट किया. सोमवार को प्रश्नकाल के समाप्त होने के बाद विपक्ष ने सदन में इस मामले में चर्चा की मांग की.
विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार के समय न देने पर सदन में विपक्ष का हंगामा शुरू हो गया. वहीं, अध्यक्ष ने कांग्रेस के विधायक नंदलाल को बोलने की अनुमति दी. विधायक नंद लाल ने सदन में कहा कि मंडी में कुलदेवता को घर में आने पर जातीय भेदभाव हुआ है. इससे पहले शिवरात्रि में भी जातीय भेदभाव हुआ है. इसे लेकर सरकार कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रही है.
वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में इस तरह की घटनाओं के खिलाफ सख्ती से निपटने का आश्वाशन दिया और कहा कि जिन लोगों ने ये जातीय भेदभाव किया है उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. विपक्ष मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट नजर आया और सदन में नारेबाजी शुरू की और सदन से बाहर आ गए.
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश में आए दिन जातीय भेदभाव के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है. इस मुद्दे को लेकर आज जब चर्चा की मांग की गई, लेकिन अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री के जवाब पर चर्चा की अनुमति नहीं दी, जबकि इस पर चर्चा होनी चाहिए थी.
वहीं, विधायक नंद लाल ने कहा कि बीजेपी सरकार जातीय भेदभाव को लेकर गंभीर नहीं है. अभी हाल ही मंडी में जातीय भेदभाव हुआ है, लेकिन सरकार इन मामलों को लेकर सख्ती से नहीं निपट रही है. उन्होंने कहा कि जातीय भेदभाव करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.
वहीं, माकपा के विधायक राकेश सिंघा भी इस मामले पर कांग्रेस के साथ दिखे. उन्होंने कहा कि प्रदेश के कई हिस्सों में आए दिन जातीय भेदभाव के मामले सामने आना चिंता का विषय है. ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार भेदभाव करने वाले लोगों के साथ खड़ी है. सरकार को सख्ती से इनके खिलाफ निपटना चाहिए.
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