शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में गुरूवार को प्रश्नकाल के बाद राज्यपाल के अभिभाषण पर सत्तापक्ष की तरफ से लाए गए धन्यावाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरु हुई. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने सरकार पर जमकर जुबानी हमले किए.
मुकेश अग्रिहोत्री ने राज्यपाल के अभिभाषण को एक राजनीतिक दस्तावेज करार दिया. मुकेश ने कहा की सरकार ने राज्यपाल से 57 पेज का लंबा चौड़ा भाषण पढ़वाया. राज्यपाल का अभिभाषण बजट का आयना होता है. बजट में की गई घोषणाएं पूरी हुई हैं या नहीं उसका उल्लेख होता है, लेकिन यह सब चीजे राज्यपाल के अभिभाषण से निकाल दी गई और राजनितिक दस्तावेज बना कर पेश किया गया.
नेता प्रतिपक्ष मुकेश ने कहा कि यह सरकार दिल्ली की कटपुतली सरकार बन कर रह गई है. बजट भाषण में सीएए, राम मंदिर जैसे मुद्दों पर चर्चा की जा रही है जबकि प्रदेश में हुए विकास के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए थी. मुकेश ने कहा कि इस सरकार ने नेशेनल हाइवे, रेल विस्तार को लेकर बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन अब उसका नाम तक नहीं लिया जा रहा.
मुकेश अग्रिहोत्री ने कहा कि हवाई अड्डों के विस्तार के दावे किये गए थे, जलशक्ति विभाग ने जलजीवन मिशन के तहत 2500 करोड़ रुपये के टेंडर जारी किए जबकि उसे केंद्र से महज 150 करोड़ रुपये ही मिला है. उन्होंने कहा कि विभाग की इस मनमानी के खिलाफ वित्त विभाग और योजना विभाग को न केवल जलशक्ति विभाग बल्कि अन्य विभागों को भी पत्र लिखना पड़ा कि बिना पैसे के टेंडर न लगाएं.
अग्रिहोत्री ने कहा कि अफसरशाही प्रदेश सरकार को गंभीरता से नहीं ले रही है. इसी का नतीजा है कि कभी पुलिस भर्ती में घोटाला हो रहा है तो कभी पटवारी भर्ती में घोटाले की खबरें सामने आ रही हैं. उन्होंने कहा कि सरकार एक ओर दावा कर रही है कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में गैर हिमाचलियों की भर्ती नहीं होगी, लेकिन अफसरशाही में आज दिन तक अधिसूचना को सार्वजनिक नहीं किया है.
मुकेश अग्रिहोत्री ने आबकारी नीति के तहत प्रदेश में रात दो बजे तक शराब के ठेके और बार खुले रखने पर भी आपत्ति जताई और कहा कि सरकार हिमाचल को पर्यटन की आड़ में बैंकॉक या थाईलैंड न बनाएं. अग्निहोत्री ने सरकार से पूछा कि वह बताए कि बीते दो सालों में कौन की बड़ी कंपनी प्रदेश में निवेश करने आई है. उन्होंने कहा कि इन्वेस्टर मीट में हुए एमओयू में से 15 हजार करोड़ रुपये के एमओयू डुप्लीकेट पाए गए हैं और बड़ी संख्या में उद्योग हिमाचल से पलायन कर गए हैं.
बता दें कि मुकेश ने सरकार पर पर्यटन विकास के नाम पर प्रदेश को बेचने का आरोप भी लगाया है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर गंभीर नहीं है. उन्होंने विधानसभा में एडीबी से वित्तपोषित शिवा प्रोजेक्ट का मामला भी उठाया और कहा कि सरकार ने इस परियोजना की दुर्गति कर दी है. इसी के चलते एशियन विकास बैंक ने अपनी समीक्षा बैठक में साफ तौर पर कहा है कि सरकार के साथ भविष्य में बैंक को इस तरह की परियोजना पर काम नहीं करना चाहिए.
गौर रहे कि मुकेश ने इस संबंध में सदन में एडीबी की समीक्षा बैठक के दस्तावेज भी रखे और जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह को चुनौती दी कि अगर उनके दस्तावेज गलत साबित होते हैं तो वह अपने पद से इस्तीफा देंगे और अगर दस्तावेज सही पाए जाते हैं तो महेंद्र अपने पद से इस्तीफा दें.
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