शिमला: प्रदेश सरकार के फैसले को कांग्रेस ने तुगलकी फरमान करार दिया है. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने सरकार की तरफ से अध्यापकों संघों और कर्मचारियों की आवाज दबाने के लिए जारी पत्र को तत्काल वापस लेने की बात कही है.
कर्मचारियों की आवाज को दबाने की कोशिश
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने कहा कि कर्मचारी संघों से बात करने की बजाए अनुशासनात्मक कार्रवाई लोकतंत्र की भावनाओं के खिलाफ है. सरकार सीधे-सीधे अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रहार कर रही है. उन्होंने कहा कि कर्मचारी विभिन्न माध्यमों से अपनी आवाज उठाने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि सरकार उनकी मांगों पर उचित कदम न उठा कर आवाज दबाने का काम कर रही है.
पुरानी पेंशन बहाली सरकार का जुमला
मुकेश अग्रिहोत्री ने कहा कि कर्मचारियों को हिमाचल दिवस के अवसर पर सरकार से पंजाब की तर्ज पर छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर नया वेतनमान देने की घोषणा करने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इससे प्रदेश के लाखों कर्मचारी निराश हो गए हैं. सरकार पुरानी पेंशन बहाली पर जुमले ही दे रही है. इसी तरह अनुबंध काल को 3 साल से घटाकर 2 साल करने का वादा भी जुमला ही साबित हुआ. इसके अलावा आउटसोर्स कर्मचारियों का भी शोषण किया जा रहा है.
प्रदेश सरकार पर वार
मुकेश अग्रिहोत्री ने कहा कि सरकार कर्मचारियों को धमकाने की कोशिश न करें. आज तक रही सरकारों ने कर्मचारियों के साथ सौहार्दपूर्ण माहौल में काम किया. वहीं, जयराम सरकार द्वारा जारी पत्र कर्मचारियों के साथ टकराव की शुरुआत है. ऐसे में समय रहते सरकार को संभल जाना चाहिए.
क्या है मामला?
उच्च शिक्षा निदेशालय ने शिक्षक संघों और कर्मचारियों को सरकार के फैसलों के खिलाफ बोलने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है. साथ ही सभी शिक्षा उप निदेशकों और स्कूल प्रिंसिपलों को निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों को इस संदर्भ में जागरूक किया जाए.
सरकार द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि अध्यापक संघ और कर्मचारी समाचार पत्रों या सोशल मीडिया के माध्यम से खुले तौर पर सरकार के फैसलों पर विरोधाभासी बयान दे रहे हैं, जो कि सरकारी कर्मचारियों पर लागू केंद्रीय सिविल सेवा नियम 1964 का उल्लंघन है.
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