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'सहारा' योजना पर सरकार थपथपा रही है अपनी पीठ, फाइल पर कुंडली मारकर बैठी अफरशाही

सहारा योजना को लेकर स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने आपत्तियां लगा दी है. वित्त विभाग का तर्क है कि अगर हर वर्ग को योजना का लाभ दिया गया, तो सरकार पर हर साल 48 करोड़ का खर्च आएगा, इसलिए योजना को सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर लोगों तक ही रखा जाए.

जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश (वीडियो).
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Published : Jun 21, 2019, 4:56 AM IST

Updated : Jun 21, 2019, 8:18 AM IST

शिमला: एक तरफ सरकार सहारा योजना को ऐतिहासिक बताकर जनता के सामने अपनी पीठ थपथपा रही है. वहीं, दूसरी तरफ अफसरशाही योजना की फाइल को अटकाने के जुगाड़ में दिख रही है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा योजना का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजने पर विभाग ने इसपर आपत्तियां लगा दी.

जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश (वीडियो).

सहारा योजना पर वित्त विभाग का कहना है कि अगर इस तरह से योजना को लागू किया गया, तो सरकार पर हर साल 48 करोड़ का खर्च आएगा, इसलिए योजना को सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर लोगों तक ही रखा जाए. विभाग की इस आपत्ति से अब योजना कैबिनेट में जाने के कारण अटक गई है. बता दें कि सहारा योजना के तहत जिन सात रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को सहायता मिलनी है, वो ऐसे रोग हैं कि एक बार किसी को लग जाए तो मौत के बाद ही पीछा छोड़ते हैं.

ये भी पढ़ें: कुल्लू बस हादसे पर PM मोदी और राहुल गांधी ने जताई संवेदना, घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए, यह योजना शुरू की थी कि इन रोगियों की देखभाल की लगातार जरूरत रहती है. ताकि ये लोग भी आर्थिक रूप से कुछ हद तक आत्मनिर्भर हो सके और परिवार वाले इन्हें बोझ न समझे. ऐसे में सहारा योजना यदि उसी तरह लागू होती है जैसी वित्त विभाग ने आपत्तियां लगाई है, तो मुख्यमंत्री की इस योजना को लागू करने के पीछे का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा.

शिमला: एक तरफ सरकार सहारा योजना को ऐतिहासिक बताकर जनता के सामने अपनी पीठ थपथपा रही है. वहीं, दूसरी तरफ अफसरशाही योजना की फाइल को अटकाने के जुगाड़ में दिख रही है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा योजना का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजने पर विभाग ने इसपर आपत्तियां लगा दी.

जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश (वीडियो).

सहारा योजना पर वित्त विभाग का कहना है कि अगर इस तरह से योजना को लागू किया गया, तो सरकार पर हर साल 48 करोड़ का खर्च आएगा, इसलिए योजना को सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर लोगों तक ही रखा जाए. विभाग की इस आपत्ति से अब योजना कैबिनेट में जाने के कारण अटक गई है. बता दें कि सहारा योजना के तहत जिन सात रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को सहायता मिलनी है, वो ऐसे रोग हैं कि एक बार किसी को लग जाए तो मौत के बाद ही पीछा छोड़ते हैं.

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए, यह योजना शुरू की थी कि इन रोगियों की देखभाल की लगातार जरूरत रहती है. ताकि ये लोग भी आर्थिक रूप से कुछ हद तक आत्मनिर्भर हो सके और परिवार वाले इन्हें बोझ न समझे. ऐसे में सहारा योजना यदि उसी तरह लागू होती है जैसी वित्त विभाग ने आपत्तियां लगाई है, तो मुख्यमंत्री की इस योजना को लागू करने के पीछे का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा.

Intro:सरकार थपथपा रही अपनी पीठ, अफसरशाही ने योजना शरू होने से पहले ही अड़ा रही पेच।

शिमला। एक तरफ सरकार सहारा योजना को ऐतिहासिक बताकर जनता के सामने अपनी पीठ थपथपा रही है वहीं दूसरी तरफ अफसरशाही योजना की फ़ाइल को अटकाने के जुगाड़ में दिख रही है। जब योजना का प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग ने बनाकर वित्त विभाग को भेजा तो वित्त विभाग ने आपत्तियां लगा दी।




Body:कहा गया कि इस तरह से अगर योजना को लागू किया गया तो हर साल 48 करोड़ का खर्च सरकार पर आएगा। इसलिए इस योजना को केवल आर्थिक रूप से कमजोर लोगों तक ही रखा जाए। इस आपत्ति के कारण अब यह योजना कैबिनेट में जाने के कारण अटक गई है। सहारा योजना के तहत जिन सात रोगों से ग्रसित व्यक्तियो को सहायता मिलनी वो ऐसे रोग हैं कि एक बार किसी को लग जाये तो मौत के बाद ही पीछा छोड़ते हैं।

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह योजना शुरू की थी कि इन रोगियों की देखभाल की लगातार जरूरत रहती है। ताकि ये लोग भी आर्थिक रूप से कुछ हद तक आत्मनिर्भर हो सके और परिवार वाले इनको बोझ ना समझे।




Conclusion:लेकिन अगर अब यदि यह योजना उसी प्रकार लागू होती है जैसी वित्त विभाग ने आपत्तियां लगाई है तो मुख्यमंत्री की इस योजना को लागू करने के पीछे का उद्देश्य पूरा नही हो पायेगा।
Last Updated : Jun 21, 2019, 8:18 AM IST
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