कुल्लू: हिमाचल प्रदेश की जेलों की दुर्दशा पर हाइकोर्ट ने बीते दिनों कड़ा संज्ञान लिया था. सोलन जिले की किशनपुरा जेल में व्यवस्थाओं की रिपोर्ट तलब करने के आदेश भी जारी किए गए थे. जिसके बाद से एक बार फिर प्रदेश में जेलों की दुर्दशा और क्षमता से अधिक कैदियों पर भी सवाल उठने लगे. डीजीपी संजय कुंडू के मुताबिक हिमाचल की जेलों की क्षमता करीब 2400 है जबकि औसतन हिमाचल की जेलों में 3 हजार कैदी बंद हैं. ये आंकड़ा कैदियों की रिहाई और नए कैदियों के आने के साथ बदलता रहता है.
पहले सुप्रीम कोर्ट ने उठाए थे सवाल- देशभर में जेलों की दशा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए थे. सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान पाया कि कैदियों के लिए उचित या उपयुक्त इंतजाम नहीं हैं. इन जेलों में कैदियों के लिए खराब हालत वाली जेलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को निर्देश दिए कि राज्यों में इसपर संज्ञान ले और सर्वोच्च न्यायालय को इस बारे में अवगत करवाए. जिसके बाद हिमाचल हाइकोर्ट ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया था.
हाइकोर्ट ने रिकॉर्ड किया तलब- हाइकोर्ट ने जेलों की दुर्दशा को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई. कोर्ट ने सोलन के नालागढ़ में स्थित किशनपुरा जेल में पानी, सीवरेज जैसी व्यवस्था दुरुस्त करने के आदेश दिए इसके अलावा शिमला की कंडा जेल में महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ तैनात करने का आदेश दिया था. इसी तरह कोर्ट ने शिमला की कंडा जेल में वेंडिंग मशीन के जरिये सैनिटरी नैपकिन की सुविधा पर विचार करने को कहा. कोर्ट ने बकायदा तीन अफसरों को तलब भी किया. कोर्ट ने दिए गए आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट भी पेश करने को कहा था. जेल में खाली पद भरने से लेकर कैदियों की सुविधाओं को लेकर भी कोर्ट ने आदेश जारी किए थे.
विधानसभा में भी उठा था सवाल- बीते बजट सत्र में भरमौर से बीजेपी विधायक डॉ. जनकराज ने प्रदेश की जेलों में कैदियों की संख्या को लेकर सवाल किया था. तीन साल में मरने वाले कैदियों की संख्या और इसकी वजह भी सरकार से पूछी गई थी. मुख्यमंत्री सुक्खू ने लिखित जवाब में बताया था कि प्रदेश की जेलों में 2900 कैदी बंद हैं जो जेलों में सिलाई से लेकर बेकरी मोबाइल कैंटीन में काम करते हैं. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते 3 साल में 23 कैदियों की मौत हुई है. मौत का वजह हार्ट अटैक, कैंसर और कोविड से लेकर अन्य बीमारियां बताई गई थी. सरकारी की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक हिमाचल की 14 जेल (धर्मशाला ओपन जेल अलग से) में 2900 कैदी हैं उनमें से 1984 विचाराधीन हैं और 916 सजायाफ्ता हैं. गौरतलब है कि हिमाचल दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस जैसे मौकों पर सरकारें कई कैदियों को रिहाई की राहत भी देती है.
हिमाचल पुलिस की पहल- जेलों में कैदियों की बढ़ रही संख्या को देखते हुए अब पुलिस विभाग जेलों की क्षमता बढ़ाने की ओर कदम बढ़ा दिया है. इसके लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस ने सरकार को एक प्रपोजल भी भेजा है और मांग रखी गई है कि हिमाचल प्रदेश में हर जिले में जेलों की क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि यहां पर कैदियों को रखने में किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े. वहीं डीजीपी संजय कुंडू ने बताया कि हिमाचल प्रदेश की जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी है. प्रदेश में 2400 कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन मौजूदा समय में 3000 कैदी जेलों में बंद है जेलों की क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार को भी प्रपोजल भेजा गया है. जेल में बंद कुल कैदियों में से 40% कैदी ऐसे हैं जो एनडीपीएस एक्ट के तहत जेल में बंद है बाकी 60% कैदी अन्य आपराधिक मामलों में गिरफ्तार हुए हैं.
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार कांगड़ा जिला के नूरपुर में नशे के कारोबार के चलते सबसे ज्यादा आरोपी आए दिन गिरफ्तार हो रहे हैं. नशा तस्करों के खिलाफ हिमाचल पुलिस विशेष अभियान चलाती है, जगह-जगह नाके लगाए जाते हैं ताकि नशा तस्करों पर नकेल कसी जा सके. कुल्लू पुलिस का सामना औसतन हर तीसरे दिन नशा तस्करी के मामले से होता है. बीते दिनों ही डीजीपी संजय कुंडू ने जिला कुल्लू पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की थी और यहां पर नशे तस्करी को रोकने के लिए भी अधिकारियों के साथ चर्चा की थी। ऐसे में पूरे प्रदेश में नशे की रोकथाम के लिए पुलिस के द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है। लेकिन अब जेलों की क्षमता को बढ़ाने के लिए पुलिस विभाग ने काम करना शुरू कर दिया है.