शिमला: देश भर में कोविड के संकट के बीच में आयोजित करवाई जा रही नीट और जेईई की परीक्षाओं का लगातार विरोध छात्र संगठन कर रहे हैं. इसी कडी में एनएसयूआई ने अपनी क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की है. इस भूख हड़ताल के माध्यम से एनएसयूआई यह मांग उठा रही है कि कोविड के संकट के बीच छात्रों की यह परीक्षाएं ना करवाई जाए.
इन परीक्षाओं में प्रदेश से भी हजारों की संख्या में छात्र बैठते हैं, ऐसे में अगर यह परीक्षाएं करवाई जाती हैं, तो छात्र बसों में इन परीक्षाओं को देने के लिए सफर करेंगे. ऐसे में देखा गया है कि बसों में किसी तरह की सोशल डिस्टेंसिंग नहीं हो रही है, जिससे कि छात्रों के संक्रमित होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.
इसके साथ ही एनएसयूआई ने कहा कि कोविड के इस संकट के बीच शैक्षणिक संस्थान बंद है, लेकिन इसके बाद भी छात्रों से भारी भरकम फीस ली जा रही है. एनएसयूआई ने मांग की है कि छात्रों की कम से कम छह माह की फीस माफ की जाए, जिससे छात्रों की पर आर्थिक बोझ ना पड़े.
अपनी मांगों को लेकर एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष छत्तर सिंह ने कहा देश भर में जेईई और नीट की परीक्षाएं करवाई जा रही हैं. एनएसयूआई इन परीक्षाओं को करवाने के विरोध में है. अभी हालात प्रदेश में कोविड को लेकर खराब बने हुए हैं, ऐसे में इन परीक्षाओं को करवाने का मतलब छात्रों को जानबूझकर इस महामारी में डालना है.
कोविड की वजह से पहले ही आर्थिक हालात बिगड़े हुए हैं और ऐसे में अतिरिक्त फीस का बोझ भी छात्रों पर डाला जा रहा है, जो सही नहीं है. एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है, यह क्रमिक भूख हड़ताल जारी रहेगी.
अभी छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट से परीक्षाओं को करवाने को लेकर जो मंजूरी दी है. उस पर विचार कर कोई अन्य फैसला सुनाया जाए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार परीक्षाओं को करवाने के इस फैसले को नहीं बदलती है, तो एनएसयूआई अपने इस आंदोलन को आगे बढ़ाएगी.
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