शिमला: हिमाचल सरकार आर्थिक संकट से निजात पाने के लिए नए उपाय कर रही है. इसी कड़ी में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने हिमाचल में स्थापित जलविद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने का फैसला लिया है. कैबिनेट में इस फैसले के बाद जलशक्ति विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है. ये विधेयक 10 मार्च 2023 से लागू होगा. बजट सेशन में ये विधेयक पेश किया जाएगा.
राज्य सरकार वाटर सेस के जरिए एक हजार करोड़ रुपए सालाना जुटाने चाहती है. हालांकि इस बारे में विधेयक सदन में बजट सेशन में पेश किया जाना है, लेकिन इसे लागू करने की तारीख संबंधी अधिसूचना औपचारिक रूप से जारी की गई है। ये अधिसूचना 10 मार्च से लागू होगी. राज्य सरकार वाटर सेस के लिए एक कमीशन का गठन करेगी. इसमें चेयरमैन सहित चार सदस्य होंगे. बिल को हिमाचल प्रदेश वाटर सेस ऑन हाइड्रो पावर जेनरेशन आर्डिनेंस-2023 का नाम दिया गया है. किस स्तर की परियोजना में कितना वाटर सेस लगेगा, इसका खुलासा सदन में पेश होने वाले बिल में होगा.
अनुमान है कि वाटर सेस से एक हजार करोड़ रुपए से अधिक का सालाना राजस्व हासिल हो सकेगा. हिमाचल में कई जलविद्युत परियोजनाएं चल रही हैं. इन परियोजनाओं में हिमाचल की नदियों का पानी प्रयोग किया जाता है. गौरतलब बात है कि राज्य में संचालित हो रही परियोजनाओं पर वॉटर सेस लगाने का सरकार को पूरा अधिकार है. वैसे तो जलविद्युत परियोजनाएं उर्जा विभाग का हिस्सा हैं, लेकिन किसी भी राज्य की जल संपदा और जल संसाधनों का स्वामित्व जल शक्ति विभाग के पास होता है. संभवत: अभी जिन परियोजनाओं का प्रोजेक्ट हैड 30 मीटर तक होगा, उन पर 10 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर पानी के हिसाब से सेस लगाया जाना प्रस्तावति है.
इसके अलावा जिन परियोजनाओं का हैड 60 से 90 मीटर होगा, उन पर 50 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर पानी के हिसाब से वाटर सेस लागू करने का विचार है. राज्य की नदियों पर चल रही बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में जिनका हेड 90 मीटर से अधिक है, उन पर 50 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर वाटर सेस देना होगा. इस टैरिफ की पूरी जानकारी सदन में पेश होने वाले बिल में ही पता चलेगी. फिलहाल, रेवेन्यू जेनरेट करने की कड़ी में राज्य सरकार ने एक अहम कदम बढ़ाया है.
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