ETV Bharat / state

जांच के समय अपराधियों की जुटाई जाए पूरी जानकारी, संपत्तियों का भी हो पूरा ब्यौरा- HC

अपराधिक मामलों में जांच से जुड़े विभिन्न पहलुओं को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग के लिए विशेष दिशा निर्देश किए जारी. प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठठ न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश  अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने अपराधिक मामले से जुड़ी एक अपील की सुनवाई के दौरान जारी किए दिशा निर्देश.

new guidelines HP police by high court
new guidelines HP police by high court
author img

By

Published : Nov 28, 2019, 11:52 PM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपराधिक मामलों में जांच से जुड़े विभिन्न पहलुओं को लेकर पुलिस विभाग के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी किए हैं. प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठठ न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने अपराधिक मामले से जुड़ी एक अपील की सुनवाई के दौरान यह विशेष निर्देश जारी किए गए हैं.

प्रदेश हाईकोर्ट के जारी किए निर्देशों के तहत पुलिस को अपराधियों की जांच करते समय उनके बारे पूरी जानकारी इकट्ठी होना चाहिए. हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक और प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को इस बाबत जरूरी निर्देश जारी करने को कहा है. जिससे प्रदेश के सभी पुलिस थानों व जांच अधिकारियों को इस बाबत जानकारी मिल सके और कोर्ट के आदेशानुसार कार्य हो. प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अपराधियों की उनके चरित्र व चल-अचल संपत्तियों से जुड़ी पूरी जानकारी इकट्ठी कर लेनी चाहिए.

प्रदेश हाईकोर्ट ने अपराधिक मामले से जुड़ी एक अपील की सुनवाई के दौरान यह पाया कि अपराधी को जमानत देते वक्त यह शर्त रखी गई थी कि वह अपने और उसके जमानती से अरेस्टिंग ऑथोरिटी की संतुष्टी के लिए ₹20000 के मुचलके पेश करेगा.

साथ ही जमानती को यह लिख कर देना होगा कि जब भी उसे कोर्ट के समक्ष हाजिर होने को कहा जाएगा वह जरूर पेश होगा. कोर्ट ने मामले पाया कि अभियुक्त ने जो अपना पता दिया था, वह उसके किराए पर लिये आवास का था. जिसे वह 9 साल पूर्व छोड़कर चला गया था.

इसके अलावा उसका संबंधित पंचायत में भी कोई रिकॉर्ड नहीं पाया गया. न्यायालय ने पाया कि विशेषतया विदेशी और प्रवासी अभियुक्तों के मामले में यह देखा गया है कि वे भारत में किराए पर लिए मकान का पता दे देते हैं और अपराधिक मामलों में संलिप्त होने के बाद विदेश भाग जाते हैं. उन पर अदालत के जारी किए गए समन की तामील नहीं हो पाती है.

प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब जांच अधिकारी उनके मामले में जांच करते हैं तो उस समय उनके पते के बारे में पूरी तरह से जांच परख कर लेनी चाहिए. हाईकोर्ट ने इसके अलावा ट्रायल कोर्ट को भी यह सुनिश्चित करने को कहा कि मामले में आरोपी को रिहा करने से पूर्व जब उनके निजी मुचलके पेश करने को कहा जाता है, तो उस समय ट्रायल कोर्ट को भी उनके दिए पते के बारे में पूरी तरीके से सुनिश्चित कर लेना चाहिए. जिससे सरकार उनके खिलाफ अपील करने की स्थिति में उन पर नोटिस व समन की तामील हो सके.

शिमलाः हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपराधिक मामलों में जांच से जुड़े विभिन्न पहलुओं को लेकर पुलिस विभाग के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी किए हैं. प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठठ न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने अपराधिक मामले से जुड़ी एक अपील की सुनवाई के दौरान यह विशेष निर्देश जारी किए गए हैं.

प्रदेश हाईकोर्ट के जारी किए निर्देशों के तहत पुलिस को अपराधियों की जांच करते समय उनके बारे पूरी जानकारी इकट्ठी होना चाहिए. हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक और प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को इस बाबत जरूरी निर्देश जारी करने को कहा है. जिससे प्रदेश के सभी पुलिस थानों व जांच अधिकारियों को इस बाबत जानकारी मिल सके और कोर्ट के आदेशानुसार कार्य हो. प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अपराधियों की उनके चरित्र व चल-अचल संपत्तियों से जुड़ी पूरी जानकारी इकट्ठी कर लेनी चाहिए.

प्रदेश हाईकोर्ट ने अपराधिक मामले से जुड़ी एक अपील की सुनवाई के दौरान यह पाया कि अपराधी को जमानत देते वक्त यह शर्त रखी गई थी कि वह अपने और उसके जमानती से अरेस्टिंग ऑथोरिटी की संतुष्टी के लिए ₹20000 के मुचलके पेश करेगा.

साथ ही जमानती को यह लिख कर देना होगा कि जब भी उसे कोर्ट के समक्ष हाजिर होने को कहा जाएगा वह जरूर पेश होगा. कोर्ट ने मामले पाया कि अभियुक्त ने जो अपना पता दिया था, वह उसके किराए पर लिये आवास का था. जिसे वह 9 साल पूर्व छोड़कर चला गया था.

इसके अलावा उसका संबंधित पंचायत में भी कोई रिकॉर्ड नहीं पाया गया. न्यायालय ने पाया कि विशेषतया विदेशी और प्रवासी अभियुक्तों के मामले में यह देखा गया है कि वे भारत में किराए पर लिए मकान का पता दे देते हैं और अपराधिक मामलों में संलिप्त होने के बाद विदेश भाग जाते हैं. उन पर अदालत के जारी किए गए समन की तामील नहीं हो पाती है.

प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब जांच अधिकारी उनके मामले में जांच करते हैं तो उस समय उनके पते के बारे में पूरी तरह से जांच परख कर लेनी चाहिए. हाईकोर्ट ने इसके अलावा ट्रायल कोर्ट को भी यह सुनिश्चित करने को कहा कि मामले में आरोपी को रिहा करने से पूर्व जब उनके निजी मुचलके पेश करने को कहा जाता है, तो उस समय ट्रायल कोर्ट को भी उनके दिए पते के बारे में पूरी तरीके से सुनिश्चित कर लेना चाहिए. जिससे सरकार उनके खिलाफ अपील करने की स्थिति में उन पर नोटिस व समन की तामील हो सके.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपराधिक मामलों में जांच से जुड़े विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए स्पष्ट किया है कि पुलिस को अपराधियों की जांच करते समय उनके बारे संपूर्ण व्योरा इकट्ठा कर लेना चाहिए।  वरिष्ठम न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने अपराधिक मामले से जुड़ी एक अपील की सुनवाई के दौरान ये आदेश पारित किए। कोर्ट ने  पुलिस महानिदेशक व प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को इस बाबत जरूरी निर्देश जारी करने को कहा है ताकि प्रदेश के सभी पुलिस थानों व जांच अधिकारियों को इस बाबत जानकारी मिल सके और कोर्ट के आदेशानुसार कार्य हो। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अपराधियों की उनके चरित्र व चल-अचल संपत्तियों से जुड़ी पूरी जानकारी इकट्ठी कर लेनी चाहिए। कोर्ट ने अपराधिक मामले से जुड़ी एक अपील की सुनवाई के दौरान यह पाया कि अपराधी को जमानत देते वक्त यह शर्त रखी गई थी कि वह अपने व उसके जमानती द्वारा अरेस्टिंग ऑथोरिटी की संतुष्ठी के लिए ₹20000 के मुचलके पेश करेगा। साथ में उसे यह लिख कर देना होगा कि जब भी उसे कोर्ट के समक्ष हाजिर होने को कहा जाएगा वह जरूर पेश होगा। कोर्ट ने पाया कि अभियुक्त ने जो अपना पता दिया था वह उसके किराए पर लिये आवास का था । जिसे वह 9 साल पूर्व छोड़कर चला गया था । इसके अलावा उसका सम्बधित पंचायत में भी कोई रिकॉर्ड नहीं पाया गया।  न्यायालय ने पाया कि विशेषतया विदेशी अभियुक्तों के मामले में यह देखा गया है कि वे भारत में किराए पर लिए मकान का पता दे देते हैं एवं अपराधिक मामलों में संलिप्त होने के पश्चात विदेश भाग जाते हैं और उन पर अदालत द्वारा जारी किए गए समन की तामील नहीं हो पाती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब जांच अधिकारी उनके मामले में जांच करते हैं तो उस समय उनके पते के बारे में पूरी तरह से जांच परख कर लेनी चाहिए कि उनके द्वारा दिया गया पता वास्तव में ठीक है या नहीं। कोर्ट ने इसके अलावा ट्रायल कोर्ट को भी यह सुनिश्चित करने को कहा कि मामले में आरोपी को रिहा करने से पूर्व जब उनके निजी मुचलके पेश करने को कहा जाता है तो उस समय ट्रायल कोर्ट को भी उनके दिए पते के बारे में पूरी तरीके से सुनिश्चित कर लेना चाहिए ताकि सरकार द्वारा उनके खिलाफ अपील करने की स्थिति में उन पर नोटिस अथवा समन की तामील हो सके।  
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.