शिमलाः हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपराधिक मामलों में जांच से जुड़े विभिन्न पहलुओं को लेकर पुलिस विभाग के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी किए हैं. प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठठ न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने अपराधिक मामले से जुड़ी एक अपील की सुनवाई के दौरान यह विशेष निर्देश जारी किए गए हैं.
प्रदेश हाईकोर्ट के जारी किए निर्देशों के तहत पुलिस को अपराधियों की जांच करते समय उनके बारे पूरी जानकारी इकट्ठी होना चाहिए. हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक और प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को इस बाबत जरूरी निर्देश जारी करने को कहा है. जिससे प्रदेश के सभी पुलिस थानों व जांच अधिकारियों को इस बाबत जानकारी मिल सके और कोर्ट के आदेशानुसार कार्य हो. प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अपराधियों की उनके चरित्र व चल-अचल संपत्तियों से जुड़ी पूरी जानकारी इकट्ठी कर लेनी चाहिए.
प्रदेश हाईकोर्ट ने अपराधिक मामले से जुड़ी एक अपील की सुनवाई के दौरान यह पाया कि अपराधी को जमानत देते वक्त यह शर्त रखी गई थी कि वह अपने और उसके जमानती से अरेस्टिंग ऑथोरिटी की संतुष्टी के लिए ₹20000 के मुचलके पेश करेगा.
साथ ही जमानती को यह लिख कर देना होगा कि जब भी उसे कोर्ट के समक्ष हाजिर होने को कहा जाएगा वह जरूर पेश होगा. कोर्ट ने मामले पाया कि अभियुक्त ने जो अपना पता दिया था, वह उसके किराए पर लिये आवास का था. जिसे वह 9 साल पूर्व छोड़कर चला गया था.
इसके अलावा उसका संबंधित पंचायत में भी कोई रिकॉर्ड नहीं पाया गया. न्यायालय ने पाया कि विशेषतया विदेशी और प्रवासी अभियुक्तों के मामले में यह देखा गया है कि वे भारत में किराए पर लिए मकान का पता दे देते हैं और अपराधिक मामलों में संलिप्त होने के बाद विदेश भाग जाते हैं. उन पर अदालत के जारी किए गए समन की तामील नहीं हो पाती है.
प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब जांच अधिकारी उनके मामले में जांच करते हैं तो उस समय उनके पते के बारे में पूरी तरह से जांच परख कर लेनी चाहिए. हाईकोर्ट ने इसके अलावा ट्रायल कोर्ट को भी यह सुनिश्चित करने को कहा कि मामले में आरोपी को रिहा करने से पूर्व जब उनके निजी मुचलके पेश करने को कहा जाता है, तो उस समय ट्रायल कोर्ट को भी उनके दिए पते के बारे में पूरी तरीके से सुनिश्चित कर लेना चाहिए. जिससे सरकार उनके खिलाफ अपील करने की स्थिति में उन पर नोटिस व समन की तामील हो सके.