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बीमार हॉस्पिटल: PHC में चल रहा हिमाचल का ये 75 बिस्तर का सिविल अस्पताल

नेरवा के कार्यकारी खंड चिकित्सा अधिकारी के अनुसार कोरोना के इस नाजुक दौर में संकरी जगह में मरीजों की स्वास्थ्य जांच करना जोखिम भरा काम है, लेकिन नेरवा अस्पताल में पर्याप्त जगह न होने की वजह से मेडिकल स्टाफ को मजबूरन जोखिम उठाना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि नेरवा हेल्थ ब्लॉक में हाल ही में 5 डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव हुए हैं, जिन्हें फिलहाल होम आइसोलेशन पर रखा गया है.

नेरवा अस्पताल
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Published : Dec 3, 2020, 5:07 PM IST

शिमला: उपमंडल चौपाल में कोरोना महामारी के नाजुक दौर में जनता की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है. यहां के सिविल हॉस्पिटल की हालत ऐसी है कि डॉक्टर तक को बैठने की जगह नहीं है. सरकार ने कागजों में इस अस्पताल को 75 बिस्तर का करार दिया है, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है.

ये तस्वीरें शिमला जिला के नागरिक अस्पताल नेरवा की है जिसे कागजों में सरकार ने 75 बिस्तर वाला बड़ा अस्पताल बना दिया है. मगर आज भी काम 1987 में बने 6 बिस्तर वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में चल रहा है. सरकारी अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली सुविधा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां डॉक्टर के लिए बैठने की जगह नहीं है. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर खुले आसमान के नीचे रोगियों की जांच करने को मजबूर हैं. बेबसी का आलम ऐसा है की सुविधाओं के आभाव के चलते छोटी-मोटी बीमारी के ईलाज के लिए मरीज को हाइअर सेंटर रेफर किया जाता है.

वीडियो

नेरवा के कार्यकारी खंड चिकित्सा अधिकारी के अनुसार कोरोना के इस नाजुक दौर में संकरी जगह में मरीजों की स्वास्थ्य जांच करना जोखिम भरा काम है, लेकिन नेरवा अस्पताल में पर्याप्त जगह न होने की वजह से मेडिकल स्टाफ को मजबूरन जोखिम उठाना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि नेरवा हेल्थ ब्लॉक में हाल ही में 5 डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव हुए हैं, जिन्हें फिलहाल होम आइसोलेशन पर रखा गया है. अस्पताल प्रबंधन के लिए स्टाफ की कमी भी परेशानी बनी हुई है. यहां डॉक्टर के 3 पद खाली चल रहे हैं.

सरकार ने पिछले 14 सालों में 3 बार नेरवा अस्पताल का दर्जा बढ़ाया है. वर्ष 2006 में तत्कालीन सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से इस अस्पताल को प्रथम रेफरल इकाई में स्तरोन्नत किया था. वर्ष 2014 में एक बार फिर अस्पताल का दर्जा बढ़ा कर इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील किया गया था. वर्ष 2018 में जयराम सरकार ने नेरवा अस्पताल को स्तरोन्नत करके 75 बिस्तर वाला नागरिक अस्पताल बना दिया, लेकिन अभी तक अस्पताल की नई बिल्डिंग का काम शुरू नहीं हो पाया है. इस वजह से लोग परेशान हैं.

सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे करती नहीं थकती है. मगर जमीनी हकीकीत सब दावों की हवा निकल रही है. कागजों में बीते 14 सालों से चल रहे नेरवा अस्पताल भवन के निर्माण कार्य को देखकर अब तो जनता भी ये समझ नहीं पा रही है कि यहां हॉस्पिटल की बिल्डिंग बन रही है या सरकार ताजमहल बनवा रही है. लिहाजा अब देखने वाली बात ये है कि क्या सूबे की जयराम सरकार जनता को सहूलियत प्रदान करने के लिए कोई कदम उठाएगी या लोगों को कोरोना काल में अपने हाल पर छोड़ देगी.

शिमला: उपमंडल चौपाल में कोरोना महामारी के नाजुक दौर में जनता की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है. यहां के सिविल हॉस्पिटल की हालत ऐसी है कि डॉक्टर तक को बैठने की जगह नहीं है. सरकार ने कागजों में इस अस्पताल को 75 बिस्तर का करार दिया है, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है.

ये तस्वीरें शिमला जिला के नागरिक अस्पताल नेरवा की है जिसे कागजों में सरकार ने 75 बिस्तर वाला बड़ा अस्पताल बना दिया है. मगर आज भी काम 1987 में बने 6 बिस्तर वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में चल रहा है. सरकारी अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली सुविधा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां डॉक्टर के लिए बैठने की जगह नहीं है. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर खुले आसमान के नीचे रोगियों की जांच करने को मजबूर हैं. बेबसी का आलम ऐसा है की सुविधाओं के आभाव के चलते छोटी-मोटी बीमारी के ईलाज के लिए मरीज को हाइअर सेंटर रेफर किया जाता है.

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नेरवा के कार्यकारी खंड चिकित्सा अधिकारी के अनुसार कोरोना के इस नाजुक दौर में संकरी जगह में मरीजों की स्वास्थ्य जांच करना जोखिम भरा काम है, लेकिन नेरवा अस्पताल में पर्याप्त जगह न होने की वजह से मेडिकल स्टाफ को मजबूरन जोखिम उठाना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि नेरवा हेल्थ ब्लॉक में हाल ही में 5 डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव हुए हैं, जिन्हें फिलहाल होम आइसोलेशन पर रखा गया है. अस्पताल प्रबंधन के लिए स्टाफ की कमी भी परेशानी बनी हुई है. यहां डॉक्टर के 3 पद खाली चल रहे हैं.

सरकार ने पिछले 14 सालों में 3 बार नेरवा अस्पताल का दर्जा बढ़ाया है. वर्ष 2006 में तत्कालीन सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से इस अस्पताल को प्रथम रेफरल इकाई में स्तरोन्नत किया था. वर्ष 2014 में एक बार फिर अस्पताल का दर्जा बढ़ा कर इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील किया गया था. वर्ष 2018 में जयराम सरकार ने नेरवा अस्पताल को स्तरोन्नत करके 75 बिस्तर वाला नागरिक अस्पताल बना दिया, लेकिन अभी तक अस्पताल की नई बिल्डिंग का काम शुरू नहीं हो पाया है. इस वजह से लोग परेशान हैं.

सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे करती नहीं थकती है. मगर जमीनी हकीकीत सब दावों की हवा निकल रही है. कागजों में बीते 14 सालों से चल रहे नेरवा अस्पताल भवन के निर्माण कार्य को देखकर अब तो जनता भी ये समझ नहीं पा रही है कि यहां हॉस्पिटल की बिल्डिंग बन रही है या सरकार ताजमहल बनवा रही है. लिहाजा अब देखने वाली बात ये है कि क्या सूबे की जयराम सरकार जनता को सहूलियत प्रदान करने के लिए कोई कदम उठाएगी या लोगों को कोरोना काल में अपने हाल पर छोड़ देगी.

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