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मां-बाप ने शादियां कर मुश्किल वक्त में बेसहारा छोड़ दिए दो बच्चे, मासूमों ने टैंक को बना लिया बसेरा

बच्चों ने एक निर्माणाधीन मकान के अंडर ग्राउंड वाटर टैंक को ही अपना बसेरा बना लिया. यह बच्चे वहां किस तरह अंधेरे और बारिश- तूफान में जिंदगी बसर कर रहे होंगें बयान करना मुश्किल है.

Nepali Parents left two minor children
बेसहारा छोड़ दिए दो बच्चे
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Published : Apr 8, 2020, 4:27 PM IST

शिमला : कोरोना संकट के समय में जब आम लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं अगर छोटे बच्चों को बेसहारा छोड़ दिया जाए तो उनकी जिंदगी किस तरह से बीत रही होगी इसका आप अंदाजा लगा सकते है. ऐसी ही दिल दहला देने वाला मामला शिमला के संजौली में सामने आया है जहां नेपाली मूल के दो नाबालिग बच्चों को उनके मां-बाप ने ही इस संकट के समय में अकेला छोड़ दिया.

बच्चों के पास रहने के लिए भी कोई ठिकाना नहीं था तो ऐसे में उन्होंने संजौली के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के एक निर्माणाधीन मकान के अंडर ग्राउंड वाटर टैंक को ही अपना बसेरा बना लिया. यह बच्चे वहां किस तरह अंधेरे और बारिश- तूफान में जिंदगी बसर कर रहे होंगें बयान करना मुश्किल है.

इन बच्चों में एक कि उम्र 11 और एक कि 10 साल है. दोनों बच्चों को उनके माता-पिता छोड़कर कहीं चले गए और बेसहारा बच्चे लॉकडाउन और कर्फ्यू के बीच खतरनाक परिस्थितियों में अंधेरे वाटर टैंक में रात गुजार रहे थे. हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के निवासी और एसजीवीएन में कार्यरत सनी सराफ को बच्चों के बारे में पता चला उन्होंने बच्चों को खाना व कपड़े दिए और इस बारे में समाजसेवी संस्था 'उमंग फॉउंडेशन' को इसकी सूचना दी.

जानकारी मिलने के बाद उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो.अजय श्रीवास्तव ने तुरंत चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के जिला अध्यक्ष जीके शर्मा से मासूम बच्चों को रेस्क्यू करने का अनुरोध किया. दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जीके शर्मा ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में असमर्थता जताते हुए श्रीवास्तव को चाइल्ड लाइन या पुलिस को फोन करने की सलाह दी. जिसके बाद एएसपी प्रवीर चौधरी को फोन कर इस पूरे मामले के बारे में सूचना दी गई. एसएसपी ने तुरंत ही थाना ढली के एसएसओ को फोन कर मौके पर भेजा और उन दोनों बच्चों को उस असुरक्षित टैंक से निकाल कर रात 12:30 सर्वोदय बाल आश्रम में सुरक्षित पहुंचाया गया.

प्रारंभिक पूछताछ में बच्चों ने बताया है कि उनके माता-पिता ने अलग-अलग दूसरी शादी कर ली हैं. जब वह अपनी माँ के पास गए तो उसके नए पति ने उन्हें वहां से भगाकर अपने पिता के पास जाने को कहा. वहीं पिता ने भी उन बच्चों को अपने साथ रखने से मना कर दी जिसके बाद उनके पास कोई चारा नहीं था और रहने के लिए कोई जगह भी नहीं थी तो टैंक में रहने लगे. अभी पुलिस की ओर से अस्थाई रूप से इन दोनों बच्चों को सर्वोदय बाल आश्रम में रखा गया है.आगे उनके माता पिता से संपर्क कर उन बच्चों को लेकर फैसला किया जाएगा.

एएसपी प्रवीर ठाकुर ने बताया कि रात साढ़े 10 बजे के करीब उनके पास उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव का फोन आया जिस पर उन्होंने संजौली के हाउसिंग बोर्ड कालोनी में एक निर्माणाधीन मकान के सूखे वाटर टैंक में दो नेपाली मूल के बच्चों के होने की बात बताई. इन बच्चों की वीडियो को एसजीवीएन में कार्यरत एक कर्मचारी सन्नी ने बनाकर अजय श्रीवास्तव को भेजी थी उसे देखने के बाद उन्होंने एसएचओ ढली थाना को वीडियो और लोकेशन सेंड की जिसके बाद बच्चों को वहां से रेस्क्यू कर सर्वोदय बाल आश्रम मे रखा गया है. मामले को लेकर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को भी जानकारी दे दी गई है जो आगामी मामले को देखेगी.

एएसपी प्रवीर ठाकुर ने बताया कि जिस टैंक में यह बच्चे रह रहे थे वहां उनके पास मात्र एक कंबल था और टैंक में काफी कूड़ा कचरा भी था और लगभग 2 दिनों से बच्चों को खाने के लिए खाना भी नहीं मिल पा रहा था, लेकिन अब बच्चे सुरक्षित हैं और उनका मेडिकल भी करवाया गया है.

शिमला : कोरोना संकट के समय में जब आम लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं अगर छोटे बच्चों को बेसहारा छोड़ दिया जाए तो उनकी जिंदगी किस तरह से बीत रही होगी इसका आप अंदाजा लगा सकते है. ऐसी ही दिल दहला देने वाला मामला शिमला के संजौली में सामने आया है जहां नेपाली मूल के दो नाबालिग बच्चों को उनके मां-बाप ने ही इस संकट के समय में अकेला छोड़ दिया.

बच्चों के पास रहने के लिए भी कोई ठिकाना नहीं था तो ऐसे में उन्होंने संजौली के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के एक निर्माणाधीन मकान के अंडर ग्राउंड वाटर टैंक को ही अपना बसेरा बना लिया. यह बच्चे वहां किस तरह अंधेरे और बारिश- तूफान में जिंदगी बसर कर रहे होंगें बयान करना मुश्किल है.

इन बच्चों में एक कि उम्र 11 और एक कि 10 साल है. दोनों बच्चों को उनके माता-पिता छोड़कर कहीं चले गए और बेसहारा बच्चे लॉकडाउन और कर्फ्यू के बीच खतरनाक परिस्थितियों में अंधेरे वाटर टैंक में रात गुजार रहे थे. हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के निवासी और एसजीवीएन में कार्यरत सनी सराफ को बच्चों के बारे में पता चला उन्होंने बच्चों को खाना व कपड़े दिए और इस बारे में समाजसेवी संस्था 'उमंग फॉउंडेशन' को इसकी सूचना दी.

जानकारी मिलने के बाद उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो.अजय श्रीवास्तव ने तुरंत चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के जिला अध्यक्ष जीके शर्मा से मासूम बच्चों को रेस्क्यू करने का अनुरोध किया. दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जीके शर्मा ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में असमर्थता जताते हुए श्रीवास्तव को चाइल्ड लाइन या पुलिस को फोन करने की सलाह दी. जिसके बाद एएसपी प्रवीर चौधरी को फोन कर इस पूरे मामले के बारे में सूचना दी गई. एसएसपी ने तुरंत ही थाना ढली के एसएसओ को फोन कर मौके पर भेजा और उन दोनों बच्चों को उस असुरक्षित टैंक से निकाल कर रात 12:30 सर्वोदय बाल आश्रम में सुरक्षित पहुंचाया गया.

प्रारंभिक पूछताछ में बच्चों ने बताया है कि उनके माता-पिता ने अलग-अलग दूसरी शादी कर ली हैं. जब वह अपनी माँ के पास गए तो उसके नए पति ने उन्हें वहां से भगाकर अपने पिता के पास जाने को कहा. वहीं पिता ने भी उन बच्चों को अपने साथ रखने से मना कर दी जिसके बाद उनके पास कोई चारा नहीं था और रहने के लिए कोई जगह भी नहीं थी तो टैंक में रहने लगे. अभी पुलिस की ओर से अस्थाई रूप से इन दोनों बच्चों को सर्वोदय बाल आश्रम में रखा गया है.आगे उनके माता पिता से संपर्क कर उन बच्चों को लेकर फैसला किया जाएगा.

एएसपी प्रवीर ठाकुर ने बताया कि रात साढ़े 10 बजे के करीब उनके पास उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव का फोन आया जिस पर उन्होंने संजौली के हाउसिंग बोर्ड कालोनी में एक निर्माणाधीन मकान के सूखे वाटर टैंक में दो नेपाली मूल के बच्चों के होने की बात बताई. इन बच्चों की वीडियो को एसजीवीएन में कार्यरत एक कर्मचारी सन्नी ने बनाकर अजय श्रीवास्तव को भेजी थी उसे देखने के बाद उन्होंने एसएचओ ढली थाना को वीडियो और लोकेशन सेंड की जिसके बाद बच्चों को वहां से रेस्क्यू कर सर्वोदय बाल आश्रम मे रखा गया है. मामले को लेकर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को भी जानकारी दे दी गई है जो आगामी मामले को देखेगी.

एएसपी प्रवीर ठाकुर ने बताया कि जिस टैंक में यह बच्चे रह रहे थे वहां उनके पास मात्र एक कंबल था और टैंक में काफी कूड़ा कचरा भी था और लगभग 2 दिनों से बच्चों को खाने के लिए खाना भी नहीं मिल पा रहा था, लेकिन अब बच्चे सुरक्षित हैं और उनका मेडिकल भी करवाया गया है.

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