शिमला: हिमाचल प्रदेश के किसान नेकराम शर्मा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज 5 अप्रैल, 2023 को राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कार 2023 समारोह के दौरान किसान नेकराम शर्मा को ये सम्मान दिया. दसवीं तक पढ़े नेकराम शर्मा को प्राकृतिक खेती की 'नेक' सोच से पहचान मिली है. बता दें कि 30 साल पहले 1993 में उन्होंने बिना केमिकल के नेचुरल खेती की शुरुआत की थी. वहीं, आज उनके गांव के आसपास सिर्फ गोबर की मदद से किसान खेती करते हैं. 59 साल के किसान नेकराम ने सरकारी नौकरी को अनदेखा कर प्राकृतिक खेती की शुरुआत की.
गौरतलब है कि प्राकृतिक खेती बीमारियों को दूर रखने में भी सहायक होती है. केमिकल खेती ना केवल मानव शरीर के लिए हानिकारक है, बल्कि उपजाऊ जमीन को भी खराब करती है. किसान नेकराम शर्मा ने ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खेती को नई दिशा देने का काम किया. आज प्राकृतिक रूप से गेहूं, मक्की, बाजरा, जौ और अन्य सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं.
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Nekram Sharma - ‘Nau Anaj ke Nayak’
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) April 5, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
🏅Padma Shri
Others (Agriculture) |📍HP
➡️Organic farmer, reviving the traditional crop system - 'Nau-Anaj’, cutting water usage
➡️Also produces local indigenous seeds & distributes it to 10,000+ farmers at no cost#PeoplesPadma pic.twitter.com/67Np4CjL47
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— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) April 5, 2023
🏅Padma Shri
Others (Agriculture) |📍HP
➡️Organic farmer, reviving the traditional crop system - 'Nau-Anaj’, cutting water usage
➡️Also produces local indigenous seeds & distributes it to 10,000+ farmers at no cost#PeoplesPadma pic.twitter.com/67Np4CjL47Nekram Sharma - ‘Nau Anaj ke Nayak’
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) April 5, 2023
🏅Padma Shri
Others (Agriculture) |📍HP
➡️Organic farmer, reviving the traditional crop system - 'Nau-Anaj’, cutting water usage
➡️Also produces local indigenous seeds & distributes it to 10,000+ farmers at no cost#PeoplesPadma pic.twitter.com/67Np4CjL47
प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में मिला है पद्मश्री अवार्ड: किसान नेकराम शर्मा की प्राकृतिक सब्जियों की Demand हिमाचल प्रदेश से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक है. 1 मई 1964 को जन्मे नेकराम शर्मा ने सिर्फ दसवीं तक की पढ़ाई की है. नेकराम शर्मा ने किसानों को केमिकल खेती की ओर बढ़ते देखकर ठान लिया कि इस खेती से छुटकारा दिलाना है.
30 साल की मेहनत लाई रंग: प्राकृतिक खेती की शुरुआत के साथ उन्होंने केमिकल का इस्तेमाल पहले कम कराया और धीरे-धीरे खत्म कर दिया. नेकराम शर्मा की प्राकृतिक खेती के फार्मूले का इस्तेमाल न केवल हिमाचल प्रदेश में बल्कि अन्य राज्यों में भी हो रहा है. 30 साल की कड़ी मेहनत के बाद नेकराम शर्मा को पद्मश्री मिलने से पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है.