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नगर निगम संशोधन बिल पास, नगर निगम चुनाव में ऑप्शनल रहेगा पार्टी सिंबल - शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज

हिमाचल विधानसभा में नगर निगम संशोधन बिल पारित हो गया है. हालांकि विपक्ष ने इस पर आपत्तियां जताई थीं, लेकिन वॉकआउट के बीच इसे पारित कर दिया गया. इससे पहले विपक्ष के सदस्य जगत सिंह नेगी ने नाराजगी जताई कि बिल को लाने से जुड़ी जानकारी उचित प्रक्रिया के माध्यम से विपक्ष को नहीं बताई गई. विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने कहा कि संशोधन बिल को लाए जाने के बारे में सारी जानकारी नियमों के अनुरूप ही दी गई थी. हालांकि विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं था.

Municipal Corporation Amendment Bill Pass
नगर निगम संशोधन बिल पास
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Published : Mar 8, 2021, 9:32 PM IST

शिमलाः हिमाचल विधानसभा में नगर निगम संशोधन बिल पारित हो गया है. हालांकि विपक्ष ने इस पर आपत्तियां जताई थीं, लेकिन वॉकआउट के बीच इसे पारित कर दिया गया. शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पहले हिमाचल में शिमला के रूप में एक ही नगर निगम था, तो कानून में संशोधन की जरूरत नहीं थी. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि अब पांच नगर निगम हो गए हैं और अब इसमें संशोधन की दो जरूरतें हैं.

पार्टी सिंबल का प्रावधान राजनीतिक दलों पर निर्भर

पहली जरूत यह है कि प्रदेश में अब नगर निगम 5 हो गए हैं और इनमें से 4 में चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले भी डायरेक्ट चुनाव हो चुके हैं. पार्टी सिंबल का प्रावधान राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है. इसे आवश्यक रूप से नहीं जोड़ा गया है. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि नगर निगम शिमला 1978 में बना था. यहां पहली बार 1986 में चुनाव हुए और राकेश सिंघा भी पार्षद के तौर पर जीत कर निगम सदन में पहुंचे थे.

हिमाचल में बढ़ रहा शहरीकरण

बाद में वर्ष 2016 में पहली बार मेयर व डिप्टी मेयर के लिए सीधे चुनाव हुए थे. फिर धर्मशाला नगर निगम बना, क्योंकि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का मसला था. अब संशोधन की दूसरी वजह ये है कि हिमाचल में शहरीकरण बढ़ रहा है. वित्तायोग की ग्रांट भी अब शहरों के लिए 35 फीसदी है. बेशक हम यह कहते रहें कि हिमाचल में केवल 10 फीसदी क्षेत्र शहरी है. मंत्री ने इसके लिए पालमपुर सोलन और मंडी का उदाहरण भी दिया. जहां बड़े-बड़े होटल बन गए हैं और शहर का भी विस्तार हो गया है.

पढ़ें- मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से की मुलाकात

शहरों का दायरा बढ़ाना जरूरी

ऐसे में इन शहरों का दायरा बढ़ाना जरूरी था. बिल पर लगाई गई आपत्तियों को लेकर उनका कहना था कि डिसक्वालीफिकेशन पर डीसी या उसके समकक्ष अधिकारी का फैसला जुडिशियल रिव्यू के तहत ही होगा, क्योंकि ऐसे किसी भी फैसले को के ऊपर संविधान की व्यवस्था के अनुसार हाईकोर्ट की रिट जूरिडिक्शन है. जहां तक ओबीसी आरक्षण की बात है, तो सरकार सिर्फ ओबीसी आरक्षण जोड़ ही रही है.

विपक्ष के सदस्य जगत सिंह नेगी ने जताई नाराजगी

इसमें ड्रॉ से चयन वाला प्रावधान रूल्स में शामिल नहीं किया जाएगा. नगर निगमों में 7 साल की सेवा वाला आईएएस और 9 साल की सेवा वाले एचएएस अफसर ही बतौर कमिश्नर नियुक्त हो पाएंगे. इससे पहले विपक्ष के सदस्य जगत सिंह नेगी ने नाराजगी जताई कि बिल को लाने से जुड़ी जानकारी उचित प्रक्रिया के माध्यम से विपक्ष को नहीं बताई गई. विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने कहा कि संशोधन बिल को लाए जाने के बारे में सारी जानकारी नियमों के अनुरूप ही दी गई थी. हालांकि विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं था.

ये भी पढ़ेंः CM जयराम ठाकुर ने पीएम से की मुलाकात, रथ यात्रा का उद्घाटन करने के लिए किया आमंत्रित

शिमलाः हिमाचल विधानसभा में नगर निगम संशोधन बिल पारित हो गया है. हालांकि विपक्ष ने इस पर आपत्तियां जताई थीं, लेकिन वॉकआउट के बीच इसे पारित कर दिया गया. शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पहले हिमाचल में शिमला के रूप में एक ही नगर निगम था, तो कानून में संशोधन की जरूरत नहीं थी. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि अब पांच नगर निगम हो गए हैं और अब इसमें संशोधन की दो जरूरतें हैं.

पार्टी सिंबल का प्रावधान राजनीतिक दलों पर निर्भर

पहली जरूत यह है कि प्रदेश में अब नगर निगम 5 हो गए हैं और इनमें से 4 में चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले भी डायरेक्ट चुनाव हो चुके हैं. पार्टी सिंबल का प्रावधान राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है. इसे आवश्यक रूप से नहीं जोड़ा गया है. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि नगर निगम शिमला 1978 में बना था. यहां पहली बार 1986 में चुनाव हुए और राकेश सिंघा भी पार्षद के तौर पर जीत कर निगम सदन में पहुंचे थे.

हिमाचल में बढ़ रहा शहरीकरण

बाद में वर्ष 2016 में पहली बार मेयर व डिप्टी मेयर के लिए सीधे चुनाव हुए थे. फिर धर्मशाला नगर निगम बना, क्योंकि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का मसला था. अब संशोधन की दूसरी वजह ये है कि हिमाचल में शहरीकरण बढ़ रहा है. वित्तायोग की ग्रांट भी अब शहरों के लिए 35 फीसदी है. बेशक हम यह कहते रहें कि हिमाचल में केवल 10 फीसदी क्षेत्र शहरी है. मंत्री ने इसके लिए पालमपुर सोलन और मंडी का उदाहरण भी दिया. जहां बड़े-बड़े होटल बन गए हैं और शहर का भी विस्तार हो गया है.

पढ़ें- मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से की मुलाकात

शहरों का दायरा बढ़ाना जरूरी

ऐसे में इन शहरों का दायरा बढ़ाना जरूरी था. बिल पर लगाई गई आपत्तियों को लेकर उनका कहना था कि डिसक्वालीफिकेशन पर डीसी या उसके समकक्ष अधिकारी का फैसला जुडिशियल रिव्यू के तहत ही होगा, क्योंकि ऐसे किसी भी फैसले को के ऊपर संविधान की व्यवस्था के अनुसार हाईकोर्ट की रिट जूरिडिक्शन है. जहां तक ओबीसी आरक्षण की बात है, तो सरकार सिर्फ ओबीसी आरक्षण जोड़ ही रही है.

विपक्ष के सदस्य जगत सिंह नेगी ने जताई नाराजगी

इसमें ड्रॉ से चयन वाला प्रावधान रूल्स में शामिल नहीं किया जाएगा. नगर निगमों में 7 साल की सेवा वाला आईएएस और 9 साल की सेवा वाले एचएएस अफसर ही बतौर कमिश्नर नियुक्त हो पाएंगे. इससे पहले विपक्ष के सदस्य जगत सिंह नेगी ने नाराजगी जताई कि बिल को लाने से जुड़ी जानकारी उचित प्रक्रिया के माध्यम से विपक्ष को नहीं बताई गई. विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने कहा कि संशोधन बिल को लाए जाने के बारे में सारी जानकारी नियमों के अनुरूप ही दी गई थी. हालांकि विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं था.

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