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70 लाख आबादी, 40 हजार किमी लंबी सड़कें और 19 लाख वाहन, गाड़ियों के बोझ तले कराह रहा हिमाचल

छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की सड़कें गाड़ियों के बोझ तले कराह रही हैं. हिमाचल प्रदेश में कुल 40 हजार किलोमीटर लंबी सड़कें हैं. यहां जटिल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण रेल और हवाई नेटवर्क का विस्तार कठिन है. ऐसे में एक मात्र विकल्प सड़क परिवहन ही बचता है. हिमाचल की सड़कों पर इस समय 19 लाख के करीब वाहन (Vehicles registered in Himachal Pradesh) दौड़ रहे हैं. यदि बाहर से आने वाले वाहनों की संख्या जोड़ दी जाए तो हिमाचल में हर माह 2 लाख से अधिक वाहन प्रवेश करते हैं.

The burden of vehicles on the roads of Himachal.
हिमाचल की सड़कों पर गाड़ियों का बोझ.
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Published : Apr 20, 2022, 12:12 PM IST

Updated : Apr 20, 2022, 1:30 PM IST

शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की सड़कें गाड़ियों के बोझ तले कराह रही हैं. हिमाचल प्रदेश में कुल 40 हजार किलोमीटर लंबी सड़कें (Roads in Himachal) हैं. यहां जटिल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण रेल और हवाई नेटवर्क का विस्तार कठिन है. ऐसे में एक मात्र विकल्प सड़क परिवहन ही बचता है. पहाड़ी राज्य होने के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश पर्यटन राज्य भी है. यहां समर और विंटर टूरिस्ट सीजन के दौरान देश और विदेश से सालाना पौने दो करोड़ से अधिक सैलानी (Tourist places in Himachal) आते हैं.

हिमाचल प्रदेश में इस समय समर टूरिस्ट सीजन चल रहा है. तीन दिन पहले वीक एंड पर अकेले शिमला शहर में 36 घंटे के भीतर 11 हजार 596 वाहन पहुंचे. हिमाचल की सड़कों पर इस समय 19 लाख के करीब वाहन (number of vehicle registered in himachal pradesh) दौड़ रहे हैं. यदि बाहर से आने वाले वाहनों की संख्या जोड़ दी जाए तो हिमाचल में हर माह 2 लाख से अधिक वाहन प्रवेश करते हैं. इस तरह हिमाचल की सड़कें वाहनों के बोझ तले कराह रही हैं. हिमाचल प्रदेश में हर साल औसतन 3 हजार सड़क हादसे होते हैं और साल भर में 1200 से अधिक अनमोल जीवन हादसों की भेंट चढ़ जाते हैं.

हिमाचल की सड़कों पर बढ़ता गाड़ियों का बोझ: हिमाचल प्रदेश में निरंतर बढ़ रहे वाहनों का आंकड़ा देखा जाए तो वर्ष 2017 में प्रदेश में रजिस्टर्ड गाड़ियों (Vehicles registered in Himachal Pradesh) की संख्या 13.50 लाख थी. पांच साल में यह बढ़कर 19 लाख हो गई है. इनमे से सबसे अधिक संख्या दोपहिया वाहनों की हैं. इनकी संख्या करीब 10 लाख है जबकि चौपहिया वाहनों में कारों की संख्या 6 लाख के करीब है. जिला शिमला में देखा जाए तो बीते 2 साल में सात हजार नए वाहन रजिस्टर्ड हुए हैं. शिमला जिले में पौने पांच लाख के करीब वाहन हैं जिनमें से सवा लाख गाड़ियां अकेले शिमला शहर में रजिस्टर्ड (number of vehicle registered in shimla) हैं.

हिमाचल प्रदेश के परिवहन विभाग के पास मार्च 2020 तक के वाहनों के आंकड़े कंपाइल हो चुके हैं. प्रदेश में 31 मार्च 2020 तक सड़कों पर 17 लाख, 60 हजार, 433 वाहन थे. सबसे अधिक संख्या मोटरसाइकिल और अन्य दुपहिया वाहनों की है. 2020 तक 9 लाख से अधिक टू व्हीलर हिमाचल की सड़कों पर थे. प्रदेश में 21 हजार 676 बसें चल रही हैं. इसके अलावा कारों की संख्या 5 लाख 35 हजार 812 के करीब है. वर्ष 2016 में हिमाचल में देश और विदेश से 1.79 करोड़ सैलानी आए. 2017 में 1 करोड़ 96 लाख 9 हजार सैलानी, वर्ष 2018 में 1 करोड़ 64 लाख 50 हजार, 2019 में 1 करोड़ 72 लाख 12 हजार सैलानी आए. चूंकि मार्च 2020 में कोरोना के कारण लॉकडाउन लगता रहा, लिहाजा दिसंबर 2020 तक हिमाचल में कुल 32 लाख 13 हजार सैलानी आए.

सालाना पौने दो करोड़ सैलानी आते हैं हिमाचल: इस तरह देखें तो साल भर में औसतन पौने दो करोड़ सैलानी हिमाचल आते हैं. इस कारण भी हिमाचल की सड़कें वाहनों के बोझ तले दबती हैं. हिमाचल प्रदेश में मौजूदा समय में 19 नेशनल हाईवे हैं. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से 5 नेशनल हाईवे और बीआरओ की तरफ से तीन नेशनल हाईवे रख रखाव के लिए तय हैं. हिमाचल में 250 किमी से कम रेल लाइनें हैं. इनमें सबसे बड़ी रेल लाइन जोगिंद्रनगर-पठानकोट 113 किमी है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में परिवहन का सारा भार सड़कों पर ही पड़ता है.

90 के दशक से ही हिमाचल में सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने लगी थी. प्रदेश में 1990-91 में कुल 67 हजार 103 वाहन ही रजिस्टर्ड थे. जिनकी संख्या 2016-17 में 12,93,755 थी और अब अब ये आंकड़ा 19 लाख को पार कर गया है. इस तरह तीन दशक में ही हिमाचल में वाहनों की संख्या 67 हजार से बढ़कर 19 लाख तक पहुंच गई है. वाहनों की बढ़ती संख्या से सड़क हादसे होने की खतरा भी अधिक हो जाता है. हिमाचल में हर साल 1,200 से अधिक लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं. हिमाचल के परिवहन विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो मार्च 2017 तक हिमाचल की सड़कों पर 14 लाख, 94 हजार, 857 वाहन रजिस्टर्ड थे. इसके बाद के आठ महीने में करीब 60 हजार और नए वाहन जुड़े. तब प्रदेश में खेती-बाड़ी के काम में 6624 ट्रैक्टर लगे थे. चार साल पहले के आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में 1,157 एंबुलेंस सेवाएं दे रही हैं. निजी और सरकारी बसों का आंकड़ा 22,976 बसों का है. निर्माण कार्य में प्रयोग होने वाले वाहनों की संख्या 441 है. हिमाचल में 413 क्रेन रजिस्टर्ड हैं, सबसे अधिक वाहनों में सामान ढोने वाले वाहनों की संख्या है. ऐसे वाहनों की संख्या 1,77,913 है. मैक्सी कैब- 16013, दो पहिया 7,62,275 हैं.

करोड़ों का राजस्व जुटाता है परिवहन विभाग: ऐसा नहीं है कि ये वाहन सड़कों पर बोझ ही बढ़ा रहे हैं, इनसे करोड़ों रुपए का टैक्स भी हासिल होता है. इसके अलावा जुर्माना भी वसूल किया जाता है. वर्ष 2016-17 में सरकार को वाहनों से 279 करोड़ का राजस्व मिला था. इसी तरह वर्ष 2017-18 में परिवहन विभाग (Transport Department Himachal) ने 367 करोड़ रुपए राजस्व जुटाया. वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 408 करोड़, 2019-20 में 465 करोड़ व 2020-21 में 382 करोड़ रहा.

परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर के अनुसार हिमाचल प्रदेश में निश्चित तौर पर वाहनों की संख्या बढ़ रही है. राज्य सरकार परिस्थितियों के अनुसार सड़कों के मरम्मत और रखरखाव करती है. हिमाचल प्रदेश में इस समय 40 हजार किमी के करीब सड़कें हैं. ग्रामीण इलाकों में भी सड़कों का जाल बिछा है. खेती-बाड़ी में जुटे किसान अपनी उपज को मंडियों तक ले जाने के लिए खुद ही वाहन खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में सीमेंट फैक्ट्रियों के कारण भी ट्रकों की संख्या अधिक है. फिर सेब सीजन (Apple season in Himachal) के दौरान भी सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ती है. उन्होंने कहा कि वाहनों की बढ़ती संख्या के अनुरूप सड़कों के रखरखाव को पर्याप्त बजट का इंतजाम किया जाता है.

शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की सड़कें गाड़ियों के बोझ तले कराह रही हैं. हिमाचल प्रदेश में कुल 40 हजार किलोमीटर लंबी सड़कें (Roads in Himachal) हैं. यहां जटिल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण रेल और हवाई नेटवर्क का विस्तार कठिन है. ऐसे में एक मात्र विकल्प सड़क परिवहन ही बचता है. पहाड़ी राज्य होने के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश पर्यटन राज्य भी है. यहां समर और विंटर टूरिस्ट सीजन के दौरान देश और विदेश से सालाना पौने दो करोड़ से अधिक सैलानी (Tourist places in Himachal) आते हैं.

हिमाचल प्रदेश में इस समय समर टूरिस्ट सीजन चल रहा है. तीन दिन पहले वीक एंड पर अकेले शिमला शहर में 36 घंटे के भीतर 11 हजार 596 वाहन पहुंचे. हिमाचल की सड़कों पर इस समय 19 लाख के करीब वाहन (number of vehicle registered in himachal pradesh) दौड़ रहे हैं. यदि बाहर से आने वाले वाहनों की संख्या जोड़ दी जाए तो हिमाचल में हर माह 2 लाख से अधिक वाहन प्रवेश करते हैं. इस तरह हिमाचल की सड़कें वाहनों के बोझ तले कराह रही हैं. हिमाचल प्रदेश में हर साल औसतन 3 हजार सड़क हादसे होते हैं और साल भर में 1200 से अधिक अनमोल जीवन हादसों की भेंट चढ़ जाते हैं.

हिमाचल की सड़कों पर बढ़ता गाड़ियों का बोझ: हिमाचल प्रदेश में निरंतर बढ़ रहे वाहनों का आंकड़ा देखा जाए तो वर्ष 2017 में प्रदेश में रजिस्टर्ड गाड़ियों (Vehicles registered in Himachal Pradesh) की संख्या 13.50 लाख थी. पांच साल में यह बढ़कर 19 लाख हो गई है. इनमे से सबसे अधिक संख्या दोपहिया वाहनों की हैं. इनकी संख्या करीब 10 लाख है जबकि चौपहिया वाहनों में कारों की संख्या 6 लाख के करीब है. जिला शिमला में देखा जाए तो बीते 2 साल में सात हजार नए वाहन रजिस्टर्ड हुए हैं. शिमला जिले में पौने पांच लाख के करीब वाहन हैं जिनमें से सवा लाख गाड़ियां अकेले शिमला शहर में रजिस्टर्ड (number of vehicle registered in shimla) हैं.

हिमाचल प्रदेश के परिवहन विभाग के पास मार्च 2020 तक के वाहनों के आंकड़े कंपाइल हो चुके हैं. प्रदेश में 31 मार्च 2020 तक सड़कों पर 17 लाख, 60 हजार, 433 वाहन थे. सबसे अधिक संख्या मोटरसाइकिल और अन्य दुपहिया वाहनों की है. 2020 तक 9 लाख से अधिक टू व्हीलर हिमाचल की सड़कों पर थे. प्रदेश में 21 हजार 676 बसें चल रही हैं. इसके अलावा कारों की संख्या 5 लाख 35 हजार 812 के करीब है. वर्ष 2016 में हिमाचल में देश और विदेश से 1.79 करोड़ सैलानी आए. 2017 में 1 करोड़ 96 लाख 9 हजार सैलानी, वर्ष 2018 में 1 करोड़ 64 लाख 50 हजार, 2019 में 1 करोड़ 72 लाख 12 हजार सैलानी आए. चूंकि मार्च 2020 में कोरोना के कारण लॉकडाउन लगता रहा, लिहाजा दिसंबर 2020 तक हिमाचल में कुल 32 लाख 13 हजार सैलानी आए.

सालाना पौने दो करोड़ सैलानी आते हैं हिमाचल: इस तरह देखें तो साल भर में औसतन पौने दो करोड़ सैलानी हिमाचल आते हैं. इस कारण भी हिमाचल की सड़कें वाहनों के बोझ तले दबती हैं. हिमाचल प्रदेश में मौजूदा समय में 19 नेशनल हाईवे हैं. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से 5 नेशनल हाईवे और बीआरओ की तरफ से तीन नेशनल हाईवे रख रखाव के लिए तय हैं. हिमाचल में 250 किमी से कम रेल लाइनें हैं. इनमें सबसे बड़ी रेल लाइन जोगिंद्रनगर-पठानकोट 113 किमी है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में परिवहन का सारा भार सड़कों पर ही पड़ता है.

90 के दशक से ही हिमाचल में सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने लगी थी. प्रदेश में 1990-91 में कुल 67 हजार 103 वाहन ही रजिस्टर्ड थे. जिनकी संख्या 2016-17 में 12,93,755 थी और अब अब ये आंकड़ा 19 लाख को पार कर गया है. इस तरह तीन दशक में ही हिमाचल में वाहनों की संख्या 67 हजार से बढ़कर 19 लाख तक पहुंच गई है. वाहनों की बढ़ती संख्या से सड़क हादसे होने की खतरा भी अधिक हो जाता है. हिमाचल में हर साल 1,200 से अधिक लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं. हिमाचल के परिवहन विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो मार्च 2017 तक हिमाचल की सड़कों पर 14 लाख, 94 हजार, 857 वाहन रजिस्टर्ड थे. इसके बाद के आठ महीने में करीब 60 हजार और नए वाहन जुड़े. तब प्रदेश में खेती-बाड़ी के काम में 6624 ट्रैक्टर लगे थे. चार साल पहले के आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में 1,157 एंबुलेंस सेवाएं दे रही हैं. निजी और सरकारी बसों का आंकड़ा 22,976 बसों का है. निर्माण कार्य में प्रयोग होने वाले वाहनों की संख्या 441 है. हिमाचल में 413 क्रेन रजिस्टर्ड हैं, सबसे अधिक वाहनों में सामान ढोने वाले वाहनों की संख्या है. ऐसे वाहनों की संख्या 1,77,913 है. मैक्सी कैब- 16013, दो पहिया 7,62,275 हैं.

करोड़ों का राजस्व जुटाता है परिवहन विभाग: ऐसा नहीं है कि ये वाहन सड़कों पर बोझ ही बढ़ा रहे हैं, इनसे करोड़ों रुपए का टैक्स भी हासिल होता है. इसके अलावा जुर्माना भी वसूल किया जाता है. वर्ष 2016-17 में सरकार को वाहनों से 279 करोड़ का राजस्व मिला था. इसी तरह वर्ष 2017-18 में परिवहन विभाग (Transport Department Himachal) ने 367 करोड़ रुपए राजस्व जुटाया. वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 408 करोड़, 2019-20 में 465 करोड़ व 2020-21 में 382 करोड़ रहा.

परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर के अनुसार हिमाचल प्रदेश में निश्चित तौर पर वाहनों की संख्या बढ़ रही है. राज्य सरकार परिस्थितियों के अनुसार सड़कों के मरम्मत और रखरखाव करती है. हिमाचल प्रदेश में इस समय 40 हजार किमी के करीब सड़कें हैं. ग्रामीण इलाकों में भी सड़कों का जाल बिछा है. खेती-बाड़ी में जुटे किसान अपनी उपज को मंडियों तक ले जाने के लिए खुद ही वाहन खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में सीमेंट फैक्ट्रियों के कारण भी ट्रकों की संख्या अधिक है. फिर सेब सीजन (Apple season in Himachal) के दौरान भी सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ती है. उन्होंने कहा कि वाहनों की बढ़ती संख्या के अनुरूप सड़कों के रखरखाव को पर्याप्त बजट का इंतजाम किया जाता है.

Last Updated : Apr 20, 2022, 1:30 PM IST
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