शिमला: मुख्यमंत्री व कैबिनेट को बताए बिना सरकारी पोर्टल राइजिंग हिमाचल पर पर्यटन विभाग की तरफ से डाले गए विवादित डॉक्यूमेंट मामले में मंगलवार को सदन में खूब हंगामा हुआ.
विपक्ष ने इस मसले पर सरकार को जमकर घेरा. इस मामले में सदन के भीतर भाजपा सरकार की किरकिरी हुई, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्थिति को संभाला और जांच के आदेश दिए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्य के मुख्य सचिव को इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं. मुख्य सचिव तीन दिन में सारी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे. बड़ी बात ये है कि पर्यटन व उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की भूमिका भी जांच के दायरे में है.
मामला ये है कि नवंबर महीने में धर्मशाला में होने वाली इन्वेस्टर्स मीट के लिए राज्य सरकार ने राइजिंग हिमाचल के नाम से एक पोर्टल बनाया है. इस पोर्टल पर पर्यटन विभाग ने एक ऐसा डॉक्यूमेंट अपलोड कर दिया, जिसकी जानकारी न तो मुख्यमंत्री कार्यालय को दी गई और न ही कैबिनेट को इसका पता था. पर्यटन विभाग ने लैंड सीलिंग एक्ट को बदलने तक की बात कह डाली.
हैरानी की बात है कि पर्यटन निगम ने निवेशकों को ये भी प्रस्ताव दे डाला कि घाटे में चल रहे निगम के होटलों को भी लीज पर दे दिया जाएगा. इसमें कुल 14 होटल लीज पर देने की बात कही गई. साथ ही चाय बागानों में कमर्शियल गतिविधियों के लिए लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव का आश्वासन दिया गया. मीडिया में मामला उछलने के बाद विवाद बढ़ा और विपक्ष ने सरकार पर हिमाचल के हितों को बेचने का आरोप लगाया.
सोमवार को हालांकि सीएम जयराम ठाकुर ने इस मसले पर स्थिति स्पष्ट की थी और कहा था कि न तो धारा-118 में संशोधन का कोई इरादा है और न ही लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव का. लेकिन मंगलवार को जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्ष ने इस मसले पर हंगामा शुरू कर दिया.
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने आरोप लगाया कि सरकारी संपत्तियों को बेचा जा रहा है. उन्होंने नियम 67 के तहत इस पर चर्चा की मांग की. स्पीकर डॉ. राजीव बिंदल ने इस मांग को ठुकरा दिया. विपक्ष ने आधे घंटे तक इस मुद्दे पर हंगामा किया और फिर वॉकआउट कर दिया. बाद में सीएम जयराम ठाकुर ने स्थिति स्पष्ट की और कहा कि सरकारी पोर्टल पर ऐसा डॉक्यूमेंट अपलोड होना दुर्भाग्यपूर्ण है. कई बार मानवीय त्रुटि हो जाती है.
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सीएम ने कहा कि विवादित डॉक्यूमेंट को तुरंत राइजिंग हिमाचल पोर्टल से हटा दिया गया है. मुख्य सचिव को मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं. वे तीन दिन में रिपोर्ट देंगे. सीएम ने पूर्व की कांग्रेस सरकार पर तंज कसा कि हमारी सरकार ने तो कुछ नहीं बेचा, लेकिन कांग्रेस के समय में बेशकीमती संपत्ति होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल को ही बेच दिया गया. इक्विटी के तौर पर हिमाचल को उस सौदे में अभी तक एक रुपया भी नहीं मिला.