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सदन में गूंजा पोर्टल पर अपलोड विवादित डॉक्यूमेंट मामला, CM ने दिए जांच के आदेश, 3 दिन में आएगी रिपोर्ट - सरकारी पोर्टल राइजिंग हिमाचल

हिमाचल टूरिज्म के होटल को ठेके पर देने के आरोप में विपक्ष ने मंगलवार को सदन में जमकर हंगामा किया. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विपक्ष के आरोप पर मामले की जांच करने के आदेश दे दिए और सदन में ही मुख्य सचिव से तीन दिन में रिपोर्ट भी मांग ली.

सदन में गूंजा पोर्टल पर अपलोड विवादित डॉक्यूमेंट मामला, CM ने दिए जांच के आदेश, 3 दिन में आएगी रिपोर्ट
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Published : Aug 27, 2019, 7:59 PM IST

शिमला: मुख्यमंत्री व कैबिनेट को बताए बिना सरकारी पोर्टल राइजिंग हिमाचल पर पर्यटन विभाग की तरफ से डाले गए विवादित डॉक्यूमेंट मामले में मंगलवार को सदन में खूब हंगामा हुआ.

विपक्ष ने इस मसले पर सरकार को जमकर घेरा. इस मामले में सदन के भीतर भाजपा सरकार की किरकिरी हुई, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्थिति को संभाला और जांच के आदेश दिए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्य के मुख्य सचिव को इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं. मुख्य सचिव तीन दिन में सारी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे. बड़ी बात ये है कि पर्यटन व उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की भूमिका भी जांच के दायरे में है.

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मामला ये है कि नवंबर महीने में धर्मशाला में होने वाली इन्वेस्टर्स मीट के लिए राज्य सरकार ने राइजिंग हिमाचल के नाम से एक पोर्टल बनाया है. इस पोर्टल पर पर्यटन विभाग ने एक ऐसा डॉक्यूमेंट अपलोड कर दिया, जिसकी जानकारी न तो मुख्यमंत्री कार्यालय को दी गई और न ही कैबिनेट को इसका पता था. पर्यटन विभाग ने लैंड सीलिंग एक्ट को बदलने तक की बात कह डाली.

हैरानी की बात है कि पर्यटन निगम ने निवेशकों को ये भी प्रस्ताव दे डाला कि घाटे में चल रहे निगम के होटलों को भी लीज पर दे दिया जाएगा. इसमें कुल 14 होटल लीज पर देने की बात कही गई. साथ ही चाय बागानों में कमर्शियल गतिविधियों के लिए लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव का आश्वासन दिया गया. मीडिया में मामला उछलने के बाद विवाद बढ़ा और विपक्ष ने सरकार पर हिमाचल के हितों को बेचने का आरोप लगाया.

सोमवार को हालांकि सीएम जयराम ठाकुर ने इस मसले पर स्थिति स्पष्ट की थी और कहा था कि न तो धारा-118 में संशोधन का कोई इरादा है और न ही लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव का. लेकिन मंगलवार को जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्ष ने इस मसले पर हंगामा शुरू कर दिया.

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने आरोप लगाया कि सरकारी संपत्तियों को बेचा जा रहा है. उन्होंने नियम 67 के तहत इस पर चर्चा की मांग की. स्पीकर डॉ. राजीव बिंदल ने इस मांग को ठुकरा दिया. विपक्ष ने आधे घंटे तक इस मुद्दे पर हंगामा किया और फिर वॉकआउट कर दिया. बाद में सीएम जयराम ठाकुर ने स्थिति स्पष्ट की और कहा कि सरकारी पोर्टल पर ऐसा डॉक्यूमेंट अपलोड होना दुर्भाग्यपूर्ण है. कई बार मानवीय त्रुटि हो जाती है.

ये भी पढ़ें: पर्यटन निगम के होटल बेचने के आरोप में सदन में हंगामा, विपक्ष ने किया सदन से वॉकआउट

सीएम ने कहा कि विवादित डॉक्यूमेंट को तुरंत राइजिंग हिमाचल पोर्टल से हटा दिया गया है. मुख्य सचिव को मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं. वे तीन दिन में रिपोर्ट देंगे. सीएम ने पूर्व की कांग्रेस सरकार पर तंज कसा कि हमारी सरकार ने तो कुछ नहीं बेचा, लेकिन कांग्रेस के समय में बेशकीमती संपत्ति होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल को ही बेच दिया गया. इक्विटी के तौर पर हिमाचल को उस सौदे में अभी तक एक रुपया भी नहीं मिला.

शिमला: मुख्यमंत्री व कैबिनेट को बताए बिना सरकारी पोर्टल राइजिंग हिमाचल पर पर्यटन विभाग की तरफ से डाले गए विवादित डॉक्यूमेंट मामले में मंगलवार को सदन में खूब हंगामा हुआ.

विपक्ष ने इस मसले पर सरकार को जमकर घेरा. इस मामले में सदन के भीतर भाजपा सरकार की किरकिरी हुई, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्थिति को संभाला और जांच के आदेश दिए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्य के मुख्य सचिव को इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं. मुख्य सचिव तीन दिन में सारी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे. बड़ी बात ये है कि पर्यटन व उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की भूमिका भी जांच के दायरे में है.

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मामला ये है कि नवंबर महीने में धर्मशाला में होने वाली इन्वेस्टर्स मीट के लिए राज्य सरकार ने राइजिंग हिमाचल के नाम से एक पोर्टल बनाया है. इस पोर्टल पर पर्यटन विभाग ने एक ऐसा डॉक्यूमेंट अपलोड कर दिया, जिसकी जानकारी न तो मुख्यमंत्री कार्यालय को दी गई और न ही कैबिनेट को इसका पता था. पर्यटन विभाग ने लैंड सीलिंग एक्ट को बदलने तक की बात कह डाली.

हैरानी की बात है कि पर्यटन निगम ने निवेशकों को ये भी प्रस्ताव दे डाला कि घाटे में चल रहे निगम के होटलों को भी लीज पर दे दिया जाएगा. इसमें कुल 14 होटल लीज पर देने की बात कही गई. साथ ही चाय बागानों में कमर्शियल गतिविधियों के लिए लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव का आश्वासन दिया गया. मीडिया में मामला उछलने के बाद विवाद बढ़ा और विपक्ष ने सरकार पर हिमाचल के हितों को बेचने का आरोप लगाया.

सोमवार को हालांकि सीएम जयराम ठाकुर ने इस मसले पर स्थिति स्पष्ट की थी और कहा था कि न तो धारा-118 में संशोधन का कोई इरादा है और न ही लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव का. लेकिन मंगलवार को जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्ष ने इस मसले पर हंगामा शुरू कर दिया.

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने आरोप लगाया कि सरकारी संपत्तियों को बेचा जा रहा है. उन्होंने नियम 67 के तहत इस पर चर्चा की मांग की. स्पीकर डॉ. राजीव बिंदल ने इस मांग को ठुकरा दिया. विपक्ष ने आधे घंटे तक इस मुद्दे पर हंगामा किया और फिर वॉकआउट कर दिया. बाद में सीएम जयराम ठाकुर ने स्थिति स्पष्ट की और कहा कि सरकारी पोर्टल पर ऐसा डॉक्यूमेंट अपलोड होना दुर्भाग्यपूर्ण है. कई बार मानवीय त्रुटि हो जाती है.

ये भी पढ़ें: पर्यटन निगम के होटल बेचने के आरोप में सदन में हंगामा, विपक्ष ने किया सदन से वॉकआउट

सीएम ने कहा कि विवादित डॉक्यूमेंट को तुरंत राइजिंग हिमाचल पोर्टल से हटा दिया गया है. मुख्य सचिव को मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं. वे तीन दिन में रिपोर्ट देंगे. सीएम ने पूर्व की कांग्रेस सरकार पर तंज कसा कि हमारी सरकार ने तो कुछ नहीं बेचा, लेकिन कांग्रेस के समय में बेशकीमती संपत्ति होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल को ही बेच दिया गया. इक्विटी के तौर पर हिमाचल को उस सौदे में अभी तक एक रुपया भी नहीं मिला.

Intro:Body:शिमला।जयराम सरकार पर हिमाचल पर्यटन निगम के 16 होटलों को बेचने का इल्जाम लगाते हुए कांग्रेस विधायकों ने आज सदन में जमकर हंगामा किया और नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर दिया। प्रश्नकाल शुरू होने पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने जयराम सरकार पर इल्जामों की झड़ी लगा दी। अग्निहोत्री ने सरकार को घेरते हुए कहा कि हिमाचल की बोली लगाई जा रही है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने मुकेश को टोकते हुए कहा कि आप बिना नियम के इस तरह सदन में नहीं बोल सकते । मुकेश ने कहा कि उन्होंने नियम 67 के तहत नोटिस दे रखा है। यह मामला हिमाचल के हित से जुड़ा है। सरकार पूरा हिमाचल बेच दे और कांग्रेस पार्टी चुप रहे है ये नहीं हो सकता। विधानसभा अध्यक्ष ने दखल देने की कोशिश की लेकिन सतापक्ष और विपक्ष दोनों से नारेबाजी शुरू हो गई।

मुकेश ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बीते रोज कहा कि इन होटलों को बेचने को लेकर जो सूची सरकारी वेबसाइट राइजिंग हिमाचल पर अपलोड़ हुई है उसमें चूक हुई है। मुकेश ने कहा कि यह चूक नहीं साजिश है। विपक्ष पर गुमराह करने का इल्जाम भी गलत है। उन्होंने कहा कि सरकार बताएं कि मुख्यमंत्री के उपर वो कौन ताकत है जो इन होटलों को बेच रही है। उन्होंने कहा कि किन किन लोगों ने इन होटलों को लीज पर लेने के लिए सरकार के साथ पत्राचार किया है वह भी कांग्रेस विधयकों के पास पहुंच चुका है। इस दौरान दोनों ओर से सदन में शोरशराबा किए जाने लगा।

मुकेश ने इल्जाम लगाया कि अधिकारियों ने प्रदेश की बोली लगा दी है। शोरशराबे के बीच विधानसभा अध्यक्ष बिंदल ने प्रश्नकाल शुरू कर दिया। विपक्ष के शोरगुल को देखते हुए मुख्यमंत्री प्रश्न के जवाब के बजाय विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे मसले का जवाब देते हुए कहा कि किसी होटल को बेचने का सवाल ही पैदा नहीं है। न मंत्रिमंडल ने न राजस्व विभाग और न ही पर्यटन विभाग ने किसी तरह की मंजूरी दी है।

उन्होंने पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए कहा कि वाइल्ड फलावर होटल को किसने बेचा था।आज तक इस होटल से सरकार को एक भी पैसा नहीं मिला है। यही नहीं जयराम ने कांग्रेस विधायकों से उल्टा सवाल पूछा कि वह बताएं कि 2014 में कुल्लू में सरकारी होटल किसने बेचा था। उन्होंने कहा‍ कि वह जिम्मेदारी से सदन में बता रहे है कि किसी भी संपति को बेचने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।



मुकेश ने कहा कि सरकार ये बताएं कि इस सूची को किसने अपलोड़ किया व किसने साजिश की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक भी होटल को बेचने नहीं देगी। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि वह बताएं कि वह कौन लोगा है जिन्होंने हिमाचल को बेचने का मास्टर प्लान बना दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि माना कि विपक्ष को मुददा मिल गया है। इसलिए वह इस मसले को यहां उठा सकते हैं। विपक्ष के पास और कुछ तो उठाने के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये सूची अपलोड हो गई। फाइल पर कुछ नहीं है, ये मसला चर्चा में ही नहीं है।

मुख्य सचिव तीन दिन में देंगे रिपोर्ट

कांग्रेस विधायकों की ओर से सदन में दबाव बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री ने इन होटलों की सूची सरकारी वेबसाइट पर कैसे अपलोड हो गई इस बावत मुख्य सचिव को जांच के आदेश दिए व कहा कि वह तीन दिन में पूरी विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री को देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इंवेस्टर मीट के लिए सरकार प्रयासरत है, इस मीट के लिए जो एजेंसी सरकार की सहयोगी है, हो सकता है उनके स्तर पर कोई चूक हुई हो। इस पूरे मामले की रिपोर्ट तीन दिनों में आ जाएगी।कांग्रेस विधायक दल मुख्यमंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ व विरोध में वाकआउट कर दिया। वाकआउट के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस विधायक सनसनी फैलाने के लिए सदन में हगामा कर रहे है। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष की ओर से अधिकारियों पर इल्जाम लगाने पर भी एतराज जताया व कहा कि अधिकारी सदन में अपना पक्ष नहीं रख सकते है, ऐसे में उनका नाम नहीं लिया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने चाय बगानों को पर्यटन के लिए खोलने व यहां पर कुछ और उद्यम शुरू करने को सरकार इजाजत नहीं देंगे। ऐसे प्रसताव को लेकर बहुत से लोग उनके पास आएं थे व उन्होंने पूर्व की कांग्रेस सरकार के 27 सितंबर 2017 के मंत्रिमंडल के फैसले का जिक्र किया जिसमें पूर्व सरकार ने चाय बागानों की जगह कुछ और करने को सहमति दे दी थी। लेकिन उनकी सरकार ने पूर्व सरकार के फैसले को भी रदद कर दिया। अगर पूर्व की सरकार ने गलत किया है तो उनकी सरकार उसे आगे नहीं बढ़ाएगी।

वाइल्ड फलावर हाल पर घेरा कांग्रेस को

मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि 1995 में वाइल्ड फलावर होटल को कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने बेच दिया था। यह होटल प्रदेश में सबसे प्राइम लैंड में था। इसकी जमीन को भी लीज पर दे दिया।कांग्रेस सरकार ने तो सरकारी संपति बेच दी थी और हमारी सरकार ने कुछ भी नहीं किया है और हमीं पर हिमाचल को बेचने का इल्जाम लगाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस होटल को बेचने से लेकर अब तक सरकार को एक भी पैसा नहीं मिला है।

Conclusion:
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