शिमला/चंडीगढ़: हिमाचल सरकार अब लग्जरी गाड़ियों के टैक्स में बढ़ोतरी करने जा रही है. जिसके तहत अब हिमाचल में दूसरे राज्यों की गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन टेंपरेरी एड्रेस पर करवाना उपभोक्ताओं को महंगा पड़ेगा.
गौरतलब है कि मौजूदै समय मे हिमाचल प्रदेश में 10 लाख से ऊपर की गाड़ियों पर 3% टैक्स लगता है, जबकि दूसरे राज्यों में 10% टैक्स का प्रावधान है. बता दें कि मंगलवार को चंडीगढ़ में हरियाणा के परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार की अध्यक्षता में हुई 7 राज्यों की बैठक में सभी राज्यों ने टैक्स बढ़ाने पर अपनी अंतरिम सहमति जाहिर की है.
बैठक के बाद हिमाचल के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने बताया कि आज का मुख्य एजेंडा सभी राज्यों में रजिस्ट्रेशन टैक्स को समानांतर करना था. साथ ही बैठक में हादसों में किस तरह कमी लाई जाए इस पर विचार किया गया.
ये भी पढे़ं-फिंगर प्रिंट घिस गए हैं साहब! नहीं बन रहा आधार, फिर कैसे मिलेगा योजनाओं का लाभ
परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि हमारी सरकार जल्द ही इसमें बढ़ोतरी करने जा रही है. इसी दौरान उन्होंने हिमाचल में लगातार हो रहे सड़क हादसों पर सफाई देते हुए कारण भी गिनाए. उन्होंने बताया कि कहा कि सरकार की कोशिश है कि हादसों में कमी आए इसके लिए सरकार निरंतर प्रयास में जुटी है.
दुर्घटनाओं का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि रोड इंजीनियरिंग भी दुर्घटना का एक प्रमुख कारण है क्योंकि बढ़ते हुए प्रचलन में सड़कों की कनेक्टिविटी कुछ ज्यादा हो रही है और लोग ज्यादा वाहनों के साथ पहाड़ी क्षेत्रों में आवाजाही कर रहे हैं.
ये भी पढे़ं-शिमला बस हादसा: संकरी सड़क, बेतरतीब पार्किंग और प्रशासन की लापरवाही ने ली मासूमों की जान
गोविंद ठाकुर ने कहा कि एसआरटीसी बस को चलाने के लिए न्यूनतम 3 वर्ष का अनुभव के साथ-साथ ड्राइवर के लिए एक महीने की अतिरिक्त ट्रेनिंग दी जाती है. जिसके बाद जो ये ट्रेनिंग पास करता है उसे ही एचआरटीसी ड्राइवर लगाया जाता है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट ट्रेंनिग सेन्टरों पर शिकंजा कसा जा रहा है, इन मे बायोमेट्रिक हाजरी का प्रावधान किया जा रहा है ताकि वे ऐसे ही किसी को सर्टिफिकेट जारी न कर सकें.
गोविंद ठाकुर ने कहा कि दरअसल हिंदुस्तान के कानून के अनुसार एक राज्य किसी भी दूसरे राज्य के ड्राइवर को अपने राज्य में वाहन लाने से नहीं रोक सकता है. बाहरी वाहनों के आने से भी हिमाचल में हादसों को बढ़ावा मिलता है .