शिमला: कोरोना संक्रमण के बाद कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है. मीट और मुर्गों से कोरोना फैलने की अफवाहों से मीट कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया है. नॉनवेज की बिक्री में भी काफी गिरावट आई है. कोरोना के भय से लोग चिकन और मीट खाने से परहेज कर रहे हैं.
शिमला की मीट मार्केट में पहले काफी भीड़ भाड़ देखने को मिलती थी, लेकिन आजकल मार्केट में कुछ लोग ही नजर आते हैं. शिमला में मार्केट में मीट तो नहीं मिल रहा है, लेकिन चिकन तो उपलब्ध है. बाजवूद इसके लोग मार्केट में बहुत कम पहुंच रहे हैं. जिसके चलते कीमतों में भी काफी गिरावट आई है. कोरोना से पहले जहां मुर्गे 220 रुपए किलो मिलते थे वहीं, अब 160 से 200 रुपए तक मिल रहे हैं.
मुर्गों का कारोबार भी 20 प्रतिशत तक सिमट कर रह गया है. राजधानी में मीट मार्केट भी 20 दिन से बंद पड़ी है. शिमला में बकरे बाहरी राज्यों से सप्लाई होते हैं. लॉकडाउन के बाद से सप्लाई आना बंद हो गई है. जिससे लोगों को मीट खाने को मिल नहीं रहा. हालांकि बाजारों में लोगों को ताजा मछली मिल रही है, लेकिन कोरोना के डर से मांसाहारी भी सब्जियां खाने लगे हैं.
मीट कारोबारियों का कहना है कि बीते 20 दिन से मार्केट में मीट नहीं बेच रहे है. ऐसे में परिवार का पालन शोषण करना भी मुश्किल हो गया है. हालांकि मुर्गे तो पहुंच रहे हैं, लेकिन कोरोना कर्फ्यू में छूट का समय कम होने से बिक्री नहीं हो पा रही है. जिससे रेट भी कम करने पड़े हैं, लेकिन कोरोना फैलने की अफवाहों से लोग बहुत कम चिकन खरीदने आ रहे हैं.
कारोबारियों का कहना है कि कर्फ्यू के चलते होटल ढाबे बंद हैं. ऐसे में मुर्गों की मांग भी कम है और अब 20 फीसदी ही काम रह गया है. बता दें कि राजधानी शिमला में राजस्थान से ही बकरों की सप्लाई होती है और हर रोज पहले 40 बकरे लगते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद बकरों की सप्लाई बंद हो गई है.
ऐसे में लोगों को मीट खाने को नहीं मिल रहा है और मीट के कारोबार से जुड़े लोगों का रोजगार भी छीन गया है. वहीं, शहर में हर रोज 4 क्विंटल मुर्गे की बिक्री होती थी जो कि अब बहुत कम हो रही है.
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