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MC Shimla Election 2023: शिमला के 8 वार्डों में परिवारों का दबदबा, पति-पत्नि रोटेशन पर लड़ते हैं इलेक्शन - Only one family dominates in 8 wards in Shimla

परिवारवाद की गूंज भले संसद से लेकर सड़कों पर सुनाई देती हो, लेकिन शिमला नगर निगम में 8 वार्डों में 1 ही परिवार का दबदबा कायम होने के कारण कांग्रेस-भाजपा इन्हीं परिवारों को टिकट देने को मजबूर है. इसलिए शहर की सरकार की इस चुनावी लड़ाई में परिवारवाद की गूंज सुनाई नहीं देती, क्योंकि दोनों दलों को उन रसूखदार परिवारों को टिकट देना ही पड़ता है.

शिमला नगर निगम
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Published : Apr 20, 2023, 8:59 AM IST

Updated : Apr 20, 2023, 10:12 AM IST

शिमला: नगर निगम शिमला के कई वार्डों की राजनीति पर एक ही परिवार की दबदबा है. शिमला के कई वार्ड ऐसे हैं, जहां पर टिकट एक ही परिवार को फिर से मिले हैं. शहर के 8 वार्ड ऐसे हैं ,जिनमें से पत्नि -पत्नी में से किसी 1 को पिछली बार भी टिकट दिया गया था और इस बार भी ,इनमें से किसी 1 को ही टिकट मिला है. इसकी वजह यह है कि इन परिवारों का वार्डों की राजनीति में दबदबा है. टिकट के प्रबल दावेदार न होने की वजह से पार्टी ने दोबारा से इनको टिकट देना उचित समझा.

हर वार्ड बदलता वार्डों का आरक्षण: शिमला नगर निगम के चुनावों में रोस्टर सिस्टम लागू होता है. सरकार ने शहरी निकायों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. यह सब रोस्टर के आधार पर ही होता है. इस तरह 5 साल के लिए कोई वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित रहता है तो और अगले 5 साल में वह अनारक्षित हो जाता है. इस तरह पहले के स्थान पर कोई दूसरा वार्ड अनारक्षित हो जाता है. रोस्टर सिस्टम लागू होने से 5 साल कार्यकाल पूरा होने के बाद अधिकतर पार्षदों का फिर नगर निगम की राजनीति में कोई सीधा संबंध नहीं रहता, लेकिन कई परिवार फिर से नगर निगम की सत्ता में काबिज होने में कामयाब हो रहे हैं. वे टिकट को रोटेशन के आधार पर हासिल भी कर रहे हैं.

अबकी बार 8 वार्डों में परिवार को ही मिले टिकट: शिमला नगर निगम के चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों को टिकट देकर उनको नामांकन भी करवा दिया है. इन चुनावों में भी 8 परिवार फिर से टिकट पाने में कामयाब रहे हैं. इन वार्डों में पिछले चुनाव में या तो पति पार्षद था या पत्नी पार्षद चुनी गई थी, लेकिन अबकी बार फिर से इन परिवार में से किसी एक को टिकट मिल गया है. टिकट पाने वाले प्रत्याशी बहुत मजबूत और अपने वार्डों में अच्छी खासी पैठ भी है, इसलिए पार्टी भी इनका टिकट नहीं काट पाती. यही वजह है कि पार्टियों ने भी अब की बार भी इनके परिवार के ही सदस्य को टिकट दिया है.

कांग्रेस ने 7 वार्डों में फिर से एक परिवार को दिया टिकट: नगर निगम शिमला के तहत कुल 34 वार्डों में से कांग्रेस ने 7 वार्डों में फिर से 1 ही परिवार को टिकट दिया है. इनमें भराड़ी, टुटीकंडी, लोअर बाजार, मज्याठ, छोटा शिमला, कनलोग और भट्टा कुफर वार्ड में कांग्रेस ने फिर से परिवार को टिकट दिया. भराड़ी वार्ड की बात करें तो यहां से अबकी बार जितेंद्र चौधरी को टिकट दिया गया है. पिछली बार उनकी पत्नी तनुजा चौधरी को टिकट दिया गया था और वे पार्षद बनी थीं. जितेंद्र चौधरी 2007 और 2002 में भी यहां से पार्षद रह चुके है.

इन परिवारों को यहां से फिर टिकट: टूटीकंडी वार्ड से अबकी बार कांग्रेस ने ऊमा कौशल को टिकट दिया. पिछली बार उनके पति आनंद कौशल पार्षद थे. ऊमा कौशल 1997 और 2012 में भी यहां से पार्षद रह चुकी हैं, जबकि आनंद कौशल इस वार्ड से 2012 में भी पार्षद रहे हैं. लोअर बाजार से अबकी बार उमंग बंगा को टिकट दिया गया है, पिछली बार इनके पति इंद्रजीत सिंह यहां से पार्षद चुने गए थे. इसी तरह मज्याठ वार्ड से अबकी बार अनीता शर्मा को टिकट दिया गया ,जबकि पिछली बार इनके पति दिवाकर शर्मा पार्षद चुने गए थे.

इन वार्डों में इन परिवारों का दबदबा,फिर देना पड़ा टिकट: छोटा शिमला वार्ड से अबकी बार सुरेंद्र चौहान को टिकट दिया गया है. पिछली बार उनकी पत्नी सीमा चौहान को टिकट दिया गया था. हालांकि ,वे चुनाव हार गई थीं. सुरेंद्र चौहान यहां से 2012 और 2007 में भी पार्षद रह चुके हैं. इसी तरह भट्टाकुफर वार्ड से अबकी बार कांग्रेस ने नरेंद्र ठाकुर को टिकट दिया है, पिछली बार उनकी पत्नी रीता ठाकुर यहां से पार्षद चुनी गई थीं. इससे पहले 2012 में भी नरेद्र चौहान जीत गए. कनलोग वार्ड से अबकी बार अलोक पठानिया को टिकट दिया गया , जबकि पिछली बार उनकी पत्नी पूनम पठानिया को टिकट दिया गया था. हालांकि, वे चुनाव नहीं जीत पाई थीं. अलोक पठानिया इससे पहले 2012 में भी यहां से पार्षद रह चुके हैं.

रूलदभट्टा से भाजपा ने दिया सरोज ठाकुर को टिकट: नगर निगम के रूलदभट्टा में एक ही परिवार का दबदबा रहा है. यहां से भाजपा के टिकट पर संजीव ठाकुर और उनकी पत्नी सरोज ठाकुर लगातार चार बार रोटेशन के आधार पर जीतते आए हैं. यहां से अबकी बार सरोज ठाकुर को टिकट दिया गया है, जबकि पिछली बार उनके पति संजीव ठाकुर यहां से पार्षद चुने गए थे. 2012 में भी इस वार्ड से सरोज ठाकुर पार्षद जीती थीं. 2007 में यहां से संजीव ठाकुर पार्षद रहे. इससे पहले 2002 में जब रूलदभट्टा शांकली वार्ड में था तो तब भी यहां से भी सरोज ठाकुर जीतने में कामयाब रही थीं. इस तरह पिछले 20 सालों से इस परिवार के खिलाफ कोई एंटी इनकंबेंसी यहां नहीं रही है. यही वजह है कि संजीव ठाकुर और सरोज ठाकुर लगातार यहां से जीतते आए हैं. दरअसल पार्षद रहते हुए इन्होंने यहां वार्ड में काफी विकास कार्य किए, जिससे जनता को इनका समर्थन लगातार मिलता रहा है. वहीं ,इनके सामने कोई टिकट का प्रबल दावेदार भी आगे नहीं आया.

लोगों का समर्थन मिलने से मिलता टिकट: शिमला नगर निगम चुनाव में जिन परिवारों को लगातार टिकट मिलता रहा है. इसकी एक बड़ी वजह उनका लोगों को लगातार समर्थन मिलना है. दरअसल पार्षद रहते हुए इन्होंने अपने वार्डों में विकासात्मक कार्यों को तवज्जो दी है. लोगों से भी लगातार इनका संवाद रहा है. यही वजह है कि कई परिवार 3 से 4 बार भी टिकट लेकर जीतते रहे हैं. वहीं, टिकट के लिए इन वार्डों से कोई बड़ा दावेदार नहीं है.ऐसे में पार्टी भी इनकी मजबूत दावेदारी को देखते हुए इनको टिकट देते आई है. इन वार्डों से इन पार्टियों का कोई बड़ा चेहरा टिकट के लिए आगे नहीं आया है.

पार्टी के फैसले का सम्मान करते हुए अधिकृत प्रत्याशी का करें समर्थनः कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे पार्टी कार्यकर्ताओं से चुनाव मैदान से हटने की अपील की है. नगर निगम चुनाव की समीक्षा बैठक में प्रतिभा सिंह ने कहा कि कई कार्यकर्ताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया था, लेकिन किसी कारण वश पार्टी उनको टिकट नहीं दे पाई है. ऐसे में इनमें जो कार्यकर्ता पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं वे चुनाव मैदान से पार्टी हित् में हट जाएं. उन्होंने कहा कि सगंठन में उन्हें आगे आने वाले समय में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाएंगी.

शिमला: नगर निगम शिमला के कई वार्डों की राजनीति पर एक ही परिवार की दबदबा है. शिमला के कई वार्ड ऐसे हैं, जहां पर टिकट एक ही परिवार को फिर से मिले हैं. शहर के 8 वार्ड ऐसे हैं ,जिनमें से पत्नि -पत्नी में से किसी 1 को पिछली बार भी टिकट दिया गया था और इस बार भी ,इनमें से किसी 1 को ही टिकट मिला है. इसकी वजह यह है कि इन परिवारों का वार्डों की राजनीति में दबदबा है. टिकट के प्रबल दावेदार न होने की वजह से पार्टी ने दोबारा से इनको टिकट देना उचित समझा.

हर वार्ड बदलता वार्डों का आरक्षण: शिमला नगर निगम के चुनावों में रोस्टर सिस्टम लागू होता है. सरकार ने शहरी निकायों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. यह सब रोस्टर के आधार पर ही होता है. इस तरह 5 साल के लिए कोई वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित रहता है तो और अगले 5 साल में वह अनारक्षित हो जाता है. इस तरह पहले के स्थान पर कोई दूसरा वार्ड अनारक्षित हो जाता है. रोस्टर सिस्टम लागू होने से 5 साल कार्यकाल पूरा होने के बाद अधिकतर पार्षदों का फिर नगर निगम की राजनीति में कोई सीधा संबंध नहीं रहता, लेकिन कई परिवार फिर से नगर निगम की सत्ता में काबिज होने में कामयाब हो रहे हैं. वे टिकट को रोटेशन के आधार पर हासिल भी कर रहे हैं.

अबकी बार 8 वार्डों में परिवार को ही मिले टिकट: शिमला नगर निगम के चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों को टिकट देकर उनको नामांकन भी करवा दिया है. इन चुनावों में भी 8 परिवार फिर से टिकट पाने में कामयाब रहे हैं. इन वार्डों में पिछले चुनाव में या तो पति पार्षद था या पत्नी पार्षद चुनी गई थी, लेकिन अबकी बार फिर से इन परिवार में से किसी एक को टिकट मिल गया है. टिकट पाने वाले प्रत्याशी बहुत मजबूत और अपने वार्डों में अच्छी खासी पैठ भी है, इसलिए पार्टी भी इनका टिकट नहीं काट पाती. यही वजह है कि पार्टियों ने भी अब की बार भी इनके परिवार के ही सदस्य को टिकट दिया है.

कांग्रेस ने 7 वार्डों में फिर से एक परिवार को दिया टिकट: नगर निगम शिमला के तहत कुल 34 वार्डों में से कांग्रेस ने 7 वार्डों में फिर से 1 ही परिवार को टिकट दिया है. इनमें भराड़ी, टुटीकंडी, लोअर बाजार, मज्याठ, छोटा शिमला, कनलोग और भट्टा कुफर वार्ड में कांग्रेस ने फिर से परिवार को टिकट दिया. भराड़ी वार्ड की बात करें तो यहां से अबकी बार जितेंद्र चौधरी को टिकट दिया गया है. पिछली बार उनकी पत्नी तनुजा चौधरी को टिकट दिया गया था और वे पार्षद बनी थीं. जितेंद्र चौधरी 2007 और 2002 में भी यहां से पार्षद रह चुके है.

इन परिवारों को यहां से फिर टिकट: टूटीकंडी वार्ड से अबकी बार कांग्रेस ने ऊमा कौशल को टिकट दिया. पिछली बार उनके पति आनंद कौशल पार्षद थे. ऊमा कौशल 1997 और 2012 में भी यहां से पार्षद रह चुकी हैं, जबकि आनंद कौशल इस वार्ड से 2012 में भी पार्षद रहे हैं. लोअर बाजार से अबकी बार उमंग बंगा को टिकट दिया गया है, पिछली बार इनके पति इंद्रजीत सिंह यहां से पार्षद चुने गए थे. इसी तरह मज्याठ वार्ड से अबकी बार अनीता शर्मा को टिकट दिया गया ,जबकि पिछली बार इनके पति दिवाकर शर्मा पार्षद चुने गए थे.

इन वार्डों में इन परिवारों का दबदबा,फिर देना पड़ा टिकट: छोटा शिमला वार्ड से अबकी बार सुरेंद्र चौहान को टिकट दिया गया है. पिछली बार उनकी पत्नी सीमा चौहान को टिकट दिया गया था. हालांकि ,वे चुनाव हार गई थीं. सुरेंद्र चौहान यहां से 2012 और 2007 में भी पार्षद रह चुके हैं. इसी तरह भट्टाकुफर वार्ड से अबकी बार कांग्रेस ने नरेंद्र ठाकुर को टिकट दिया है, पिछली बार उनकी पत्नी रीता ठाकुर यहां से पार्षद चुनी गई थीं. इससे पहले 2012 में भी नरेद्र चौहान जीत गए. कनलोग वार्ड से अबकी बार अलोक पठानिया को टिकट दिया गया , जबकि पिछली बार उनकी पत्नी पूनम पठानिया को टिकट दिया गया था. हालांकि, वे चुनाव नहीं जीत पाई थीं. अलोक पठानिया इससे पहले 2012 में भी यहां से पार्षद रह चुके हैं.

रूलदभट्टा से भाजपा ने दिया सरोज ठाकुर को टिकट: नगर निगम के रूलदभट्टा में एक ही परिवार का दबदबा रहा है. यहां से भाजपा के टिकट पर संजीव ठाकुर और उनकी पत्नी सरोज ठाकुर लगातार चार बार रोटेशन के आधार पर जीतते आए हैं. यहां से अबकी बार सरोज ठाकुर को टिकट दिया गया है, जबकि पिछली बार उनके पति संजीव ठाकुर यहां से पार्षद चुने गए थे. 2012 में भी इस वार्ड से सरोज ठाकुर पार्षद जीती थीं. 2007 में यहां से संजीव ठाकुर पार्षद रहे. इससे पहले 2002 में जब रूलदभट्टा शांकली वार्ड में था तो तब भी यहां से भी सरोज ठाकुर जीतने में कामयाब रही थीं. इस तरह पिछले 20 सालों से इस परिवार के खिलाफ कोई एंटी इनकंबेंसी यहां नहीं रही है. यही वजह है कि संजीव ठाकुर और सरोज ठाकुर लगातार यहां से जीतते आए हैं. दरअसल पार्षद रहते हुए इन्होंने यहां वार्ड में काफी विकास कार्य किए, जिससे जनता को इनका समर्थन लगातार मिलता रहा है. वहीं ,इनके सामने कोई टिकट का प्रबल दावेदार भी आगे नहीं आया.

लोगों का समर्थन मिलने से मिलता टिकट: शिमला नगर निगम चुनाव में जिन परिवारों को लगातार टिकट मिलता रहा है. इसकी एक बड़ी वजह उनका लोगों को लगातार समर्थन मिलना है. दरअसल पार्षद रहते हुए इन्होंने अपने वार्डों में विकासात्मक कार्यों को तवज्जो दी है. लोगों से भी लगातार इनका संवाद रहा है. यही वजह है कि कई परिवार 3 से 4 बार भी टिकट लेकर जीतते रहे हैं. वहीं, टिकट के लिए इन वार्डों से कोई बड़ा दावेदार नहीं है.ऐसे में पार्टी भी इनकी मजबूत दावेदारी को देखते हुए इनको टिकट देते आई है. इन वार्डों से इन पार्टियों का कोई बड़ा चेहरा टिकट के लिए आगे नहीं आया है.

पार्टी के फैसले का सम्मान करते हुए अधिकृत प्रत्याशी का करें समर्थनः कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे पार्टी कार्यकर्ताओं से चुनाव मैदान से हटने की अपील की है. नगर निगम चुनाव की समीक्षा बैठक में प्रतिभा सिंह ने कहा कि कई कार्यकर्ताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया था, लेकिन किसी कारण वश पार्टी उनको टिकट नहीं दे पाई है. ऐसे में इनमें जो कार्यकर्ता पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं वे चुनाव मैदान से पार्टी हित् में हट जाएं. उन्होंने कहा कि सगंठन में उन्हें आगे आने वाले समय में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाएंगी.

Last Updated : Apr 20, 2023, 10:12 AM IST
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