शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगम शिमला की कार्यप्रणाली पर अफसोस जताया है. अदालत ने शिमला के लोअर बाजार में अतिक्रमण के मामले में निगम प्रशासन से शपथ पत्र दाखिल करने को कहा था. निगम की तरफ से शपथ पत्र दायर न करने पर हाईकोर्ट ने उसकी कार्यप्रणाली पर अफसोस जाहिर किया. नगर निगम की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि एमसी के एकमात्र विधि अधिकारी के सेवानिवृत होने के कारण शपथ पत्र दायर नहीं किया जा सका. (MC Shimla did not file affidavit in High Court)
3 सप्ताह में दाखिल करना था शपथ पत्र: मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने निगम को तीन सप्ताह के भीतर शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए थे. कोर्ट ने लॉ ऑफिसर के बगैर निगम आयुक्त की लाचारी पर अफसोस जताते हुए कहा कि 4 सप्ताह के भीतर यदि कोई नया लॉ ऑफिसर नहीं आया तो निगम आयुक्त स्वयं शपथ पत्र तैयार कर दायर करे. (Encroachment in Shimla Lower Bazar)
सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश जारी किए थे: शिमला शहर में अतिक्रमण को रोकने के लिए हाईकोर्ट ने उपयुक्त जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश जारी किए थे. कोर्ट ने नगर निगम शिमला से पूछा था कि शिमला शहर की सभी सड़कों पर अतिक्रमण करने वाले दुकानदारों के अभी तक कितने लाइसेंस रद्द किए गए हैं. निगम ने शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताया था कि 139 अतिक्रमणकारियों के चालान काटे गए हैं और 47 हजार रुपये की राशि वसूली गई है.
500 रुपये जुर्माने का प्रावधान: अतिक्रमण करने वालों के लिए 500 रुपये जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. 4 कर्मचारियों को लोअर बाजार में निगरानी के लिए तैनात किया गया है. अदालत ने पाया कि निगम के संशोधित नियमों के अनुसार 1000 रुपये जुर्माना और 1 महीने की कारावास का प्रावधान किया गया है. अदालत ने निगम से आशा जताई है कि अतिक्रमणकारियों को संशोधित नियमों के तहत दंडित किया जाए.
हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था: अदालत ने निगम से पूछा था कि शिमला शहर से अतिक्रमण हटाने के लिए अदालत की ओर से पारित आदेशों की अनुपालना में क्या कदम उठाए गए हैं. लोअर बाजार में मरीज को ले जा रही एंबुलेंस के फंसने पर मीडिया में आई खबरों में हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि पूरे शिमला में किसी भी दुकानदार को नालियों के किनारों पर सामान को प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं होगी. दुकान के आगे तिरपाल भी लगाने नहीं दिया जाएगा. नगर निगम अधिनियम की धारा 227 में दिए प्रावधानों के तहत अतिक्रमणकारियों के लाइसेंस रद्द किए जाएं. फिलहाल, अब नगर निगम को शपथ पत्र दाखिल करना होगा.
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