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Exclusive: मानव भारती यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियों का मास्टर माइंड है राणा, महिला मित्रों के माध्यम से बेची बोगस डिग्रियां - पुणे की स्पाइसर एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी के वीसी

सोलन जिला प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के नाम पर डिग्रियां बेचने के धंधे का सेंटर प्वाइंट बन गया है. मानव भारती यूनिवर्सिटी के फर्जी डिग्री कांड का खुलासा होने के बाद जांच में कई हैरतअंगेज तथ्य सामने आ रहे हैं. बोगस डिग्री फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड यूनिवर्सिटी का चेयरमैन राजकुमार राणा है. हिमाचल पुलिस की विशेष जांच टीम अब राणा पर शिकंजा कसेगी.

MBU degree fraud case
एमबीयू डिग्री फ्रॉड का मामला
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Published : Mar 9, 2020, 9:35 PM IST

शिमला: सोलन जिला प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के नाम पर डिग्रियां बेचने के धंधे का सेंटर प्वाइंट बन गया है. मानव भारती यूनिवर्सिटी के फर्जी डिग्री कांड का खुलासा होने के बाद जांच में कई हैरतअंगेज तथ्य सामने आ रहे हैं. बोगस डिग्री फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड यूनिवर्सिटी का चेयरमैन राजकुमार राणा है. हिमाचल पुलिस की विशेष जांच टीम अब राणा पर शिकंजा कसेगी.

खुलासा हुआ है कि फर्जी डिग्रियां एक लाख रुपए तक में बेची गईं. राजकुमार राणा की कुछ महिला मित्रों की संलिप्तता भी सामने आई है. एसआईटी की जांच में तीन महिला मित्रों की संलिप्तता पाई गई है. उनके माध्यम से भी डिग्रियां बेची गईं. महिला मित्रों ने भी इस धंधे से खूब पैसा बटोरा है. ये सब पुलिस की एसआईटी की रडार पर हैं.

हिमाचल पुलिस की साउथ रेंज के आईजी आसिफ जलाल के अनुसार एसआईटी पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है. किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. अभी कुल एक हजार डिग्रियां बेचने के अकाट्य साक्ष्य मिले हैं. ये घपला कम से कम 25 करोड़ तक पहुंचने के आसार हैं और तो और पुणे के एक निजी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ने भी मानव भारती यूनिवर्सिटी से पीएचडी की बोगस डिग्री हासिल की थी.

वीडियो

पुणे की स्पाइसर एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी के वीसी रहे नोबल प्रसाद पिल्लई की शिकायत होने के बाद उन्हें पद से हटाया गया था. ये मामला 2018 का है. तब पुणे के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल की थी. उसके बाद पिल्लई के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ था. पिल्लई ने मानव भारती यूनिवर्सिटी से पीएचडी की फर्जी डिग्री लेकर प्रमोशन व अन्य वित्तीय लाभ ले लिए थे.

एसआईटी की जांच में पता चला है कि फर्जी डिग्री का जाल हिमाचल के पड़ोसी राज्य हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु से लेकर नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों नागालैंड आदि तक फैला है.

एमए से लेकर पीएचडी तक की फर्जी डिग्रियां बांटती रही मानव भारती यूनिवर्सिटी

जांच में पता चला है कि यूनिवर्सिटी से एमए से लेकर पीएचडी तक की फर्जी डिग्रियां बेची गई. सोमवार को इस मामले में यूनिवर्सिटी के सहायक रजिस्ट्रार को गिरफ्तार किया गया है. ये इस फर्जीवाड़े की पहली गिरफ्तारी है. पुलिस अब राजकुमार राणा पर शिकंजा कस रही है. पुणे की स्पाइसर एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी के वीसी सहित पांच अन्य पर भी यहीं से फर्जी डिग्री हासिल करने के आरोप साबित हुए. ये मामला 2018 का है, लेकिन मानव भारती यूनिवर्सिटी का धंधा चलता रहा. विशेष जांच दल ने यूनिवर्सिटी के कई शिक्षकों के भी बयान लिए हैं.

ये भी पढ़ें: गिरि पेयजल परियोजना की मेन पाइप लाइन टूटी, राजधानी में गहराया पानी का संकट

शिमला: सोलन जिला प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के नाम पर डिग्रियां बेचने के धंधे का सेंटर प्वाइंट बन गया है. मानव भारती यूनिवर्सिटी के फर्जी डिग्री कांड का खुलासा होने के बाद जांच में कई हैरतअंगेज तथ्य सामने आ रहे हैं. बोगस डिग्री फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड यूनिवर्सिटी का चेयरमैन राजकुमार राणा है. हिमाचल पुलिस की विशेष जांच टीम अब राणा पर शिकंजा कसेगी.

खुलासा हुआ है कि फर्जी डिग्रियां एक लाख रुपए तक में बेची गईं. राजकुमार राणा की कुछ महिला मित्रों की संलिप्तता भी सामने आई है. एसआईटी की जांच में तीन महिला मित्रों की संलिप्तता पाई गई है. उनके माध्यम से भी डिग्रियां बेची गईं. महिला मित्रों ने भी इस धंधे से खूब पैसा बटोरा है. ये सब पुलिस की एसआईटी की रडार पर हैं.

हिमाचल पुलिस की साउथ रेंज के आईजी आसिफ जलाल के अनुसार एसआईटी पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है. किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. अभी कुल एक हजार डिग्रियां बेचने के अकाट्य साक्ष्य मिले हैं. ये घपला कम से कम 25 करोड़ तक पहुंचने के आसार हैं और तो और पुणे के एक निजी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ने भी मानव भारती यूनिवर्सिटी से पीएचडी की बोगस डिग्री हासिल की थी.

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पुणे की स्पाइसर एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी के वीसी रहे नोबल प्रसाद पिल्लई की शिकायत होने के बाद उन्हें पद से हटाया गया था. ये मामला 2018 का है. तब पुणे के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल की थी. उसके बाद पिल्लई के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ था. पिल्लई ने मानव भारती यूनिवर्सिटी से पीएचडी की फर्जी डिग्री लेकर प्रमोशन व अन्य वित्तीय लाभ ले लिए थे.

एसआईटी की जांच में पता चला है कि फर्जी डिग्री का जाल हिमाचल के पड़ोसी राज्य हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु से लेकर नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों नागालैंड आदि तक फैला है.

एमए से लेकर पीएचडी तक की फर्जी डिग्रियां बांटती रही मानव भारती यूनिवर्सिटी

जांच में पता चला है कि यूनिवर्सिटी से एमए से लेकर पीएचडी तक की फर्जी डिग्रियां बेची गई. सोमवार को इस मामले में यूनिवर्सिटी के सहायक रजिस्ट्रार को गिरफ्तार किया गया है. ये इस फर्जीवाड़े की पहली गिरफ्तारी है. पुलिस अब राजकुमार राणा पर शिकंजा कस रही है. पुणे की स्पाइसर एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी के वीसी सहित पांच अन्य पर भी यहीं से फर्जी डिग्री हासिल करने के आरोप साबित हुए. ये मामला 2018 का है, लेकिन मानव भारती यूनिवर्सिटी का धंधा चलता रहा. विशेष जांच दल ने यूनिवर्सिटी के कई शिक्षकों के भी बयान लिए हैं.

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