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जेंडर सेंसटाइजेशन पर शिक्षा विभाग की पहल, जागरूक होंगे छात्र - Shimla

प्रदेश में छात्रों को जेंडर सेंसटाइजेशन को लेकर जागरूक करने के लिए शिक्षा विभाग एक पहल शूरू करने जा रहा है. जिसके तहत स्कूलों और कॉलेजों में वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा. इस प्रोग्राम के तहत छात्रों को समाज को समझने और किस तरह की धारणा किसी के प्रति रखनी चाहिए इस बात को लेकर जागरूक किया जाएगा.

जेंडर सेंसटाइजेशन पर जागरूक होंगे छात्र
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Published : Jul 17, 2019, 9:57 AM IST

शिमला: प्रदेश के स्कूल और कॉलेजों में छात्रों को जेंडर सेंसटाइजेशन को लेकर जागरूक किया जाएगा. इसके लिए पहल शिक्षा विभाग की ओर से महिला एवं बाल विकास आयोग के साथ मिलकर की जा रही है. इस प्रोग्राम के तहत छात्रों को समाज को समझने और किस तरह की धारणा किसी के प्रति रखनी चाहिए इस बात को लेकर जागरूक किया जाएगा.

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शिक्षा विभाग द्वारा छात्रों को जागरूक करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. कार्यशाला करवाने से पहले एक टेस्ट छात्रों का लिया जाएगा जिसके आधार पर जेंडर सेंसटाइजेशन को लेकर उनके एटीट्यूड का आंकलन किया जाएगा और फिर ऐसा ही टेस्ट कार्यशालाओं का आयोजन करने के बाद किया जाएगा जिससे कि यह पता चल सके कि इस विषय को लेकर कितनी जानकारी छात्रों को मिली और कितना उनका नजरिया बदला. बता दें कि टेस्ट के लिए प्रश्न पत्र भी शिक्षा विभाग की ओर से इन दिनों तैयार किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: कुलभूषण जाधव मामले में आज फैसला सुनाएगी अंतरराष्ट्रीय अदालत

इस कार्यक्रम को शिक्षा विभाग अभी पायलट बेस पर दो स्कूलों और दो कॉलेजों में शुरू करने जा रहा है. इसमें सोलन के अर्की और छोटा शिमला स्कूल को चुना गया है. साथ ही शिमला जिला के ठियोग के साथ एक अन्य कॉलेज का चयन जल्द ही किया जाएगा. बताया जा रहा है कि चयनित स्कूल और कॉलेजों में अगस्त माह में यह कार्यक्रम शुरू कर दिया जाएगा. कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए शिक्षाविद और मनोविज्ञान से जुड़े शिक्षक शामिल किए गए हैं.

ये भी पढ़ें: नागरिक आपूर्ति निगम की उचित मूल्य दवाई-दुकानें होंगी ऑनलाइन, गोदामों पर CCTV कैमरे से निगरानी

शिक्षा विभाग की संयुक्त निदेशक सोनिया ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए शिक्षा विभाग खुद ही वर्कशॉप का मॉड्यूल तैयार कर रहा है. कार्यक्रम का मकसद जेंडर सेंसटाइजेशन पर छात्रों को जागरूक करना है. अगस्त माह तक इस प्रोग्राम को पायलट बेस पर शुरू कर दिया जाएगा.

शिमला: प्रदेश के स्कूल और कॉलेजों में छात्रों को जेंडर सेंसटाइजेशन को लेकर जागरूक किया जाएगा. इसके लिए पहल शिक्षा विभाग की ओर से महिला एवं बाल विकास आयोग के साथ मिलकर की जा रही है. इस प्रोग्राम के तहत छात्रों को समाज को समझने और किस तरह की धारणा किसी के प्रति रखनी चाहिए इस बात को लेकर जागरूक किया जाएगा.

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शिक्षा विभाग द्वारा छात्रों को जागरूक करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. कार्यशाला करवाने से पहले एक टेस्ट छात्रों का लिया जाएगा जिसके आधार पर जेंडर सेंसटाइजेशन को लेकर उनके एटीट्यूड का आंकलन किया जाएगा और फिर ऐसा ही टेस्ट कार्यशालाओं का आयोजन करने के बाद किया जाएगा जिससे कि यह पता चल सके कि इस विषय को लेकर कितनी जानकारी छात्रों को मिली और कितना उनका नजरिया बदला. बता दें कि टेस्ट के लिए प्रश्न पत्र भी शिक्षा विभाग की ओर से इन दिनों तैयार किया जा रहा है.

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इस कार्यक्रम को शिक्षा विभाग अभी पायलट बेस पर दो स्कूलों और दो कॉलेजों में शुरू करने जा रहा है. इसमें सोलन के अर्की और छोटा शिमला स्कूल को चुना गया है. साथ ही शिमला जिला के ठियोग के साथ एक अन्य कॉलेज का चयन जल्द ही किया जाएगा. बताया जा रहा है कि चयनित स्कूल और कॉलेजों में अगस्त माह में यह कार्यक्रम शुरू कर दिया जाएगा. कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए शिक्षाविद और मनोविज्ञान से जुड़े शिक्षक शामिल किए गए हैं.

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शिक्षा विभाग की संयुक्त निदेशक सोनिया ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए शिक्षा विभाग खुद ही वर्कशॉप का मॉड्यूल तैयार कर रहा है. कार्यक्रम का मकसद जेंडर सेंसटाइजेशन पर छात्रों को जागरूक करना है. अगस्त माह तक इस प्रोग्राम को पायलट बेस पर शुरू कर दिया जाएगा.

Intro:प्रदेश के स्कूल और कॉलेजों में छात्रों को लिंग सवेंदीकरण को लेकर जागरूक किया जाएगा। इसके लिए पहल शिक्षा विभाग की ओर से महिला एवं बाल विकास आयोग के साथ मिलकर की जा रही है। इसके तहत शिक्षा विभाग की ओर से जेंडर सेंसटाइजेशन को लेकर एक प्रोग्राम तैयार किया जा रहा है। इस प्रोग्राम के तहत स्कूल और कॉलेजों में छात्र और छात्राओं को समाज को समझने और किस तरह की धारणा किसी के प्रति रखनी चाहिए इस बात की इस बात को लेकर जागरूक किया जाएगा। शिक्षा विभाग की ओर से इस कार्यक्रम को शुरू करने को लेकर एक मॉड्यूल तैयार किया जा रहा है जिसके आधार पर पहले तो यह आंकलन किया जाएगा कि छात्रों का जेंडर सेंसटाइजेशन को लेकर किस तरह का रवैया है। छात्र किस तरह के विचार रखते हैं यह जानने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से एक टेस्ट छात्रों का किया जाएगा जिसमें उनका आंकलन किया जाएगा। इसके टेस्ट के लिए प्रश्न पत्र भी शिक्षा विभाग की ओर से इन दिनों तैयार किया जा रहा है।


Body:शिक्षा विभाग की ओर से इस कार्यक्रम को अभी पायलट बेस पर प्रदेश के 2 स्कूलों और दो कॉलेजों में शुरू किया जा रहा है। इन स्कूल और कॉलेजों का चयन भी शिक्षा विभाग की ओर से किया गया है । इसमें सोलन के अर्की और छोटा शिमला स्कूल में पायलट बेस पर इस कार्यक्रम को शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही शिमला जिला के ठियोग के साथ एक अन्य कॉलेज का चयन इस कार्यक्रम को शुरू करने के लिए जल्द ही किया जाएगा। अगस्त माह में अपनी इस प्रोजेक्ट को इन चयनित स्कूल और कॉलेजों में शिक्षा विभाग की ओर से शुरू कर दिया जाएगा, जिसके बाद इसके परिणाम को देखते हुए इसे प्रदेश के अन्य स्कूल और कॉलेजों में भी शुरू करने की योजना शिक्षा विभाग तैयार करेगा। इस कार्यक्रम के लिए जो मॉड्यूल तैयार किया जा रहा है उसमें शिक्षा विभाग की ओर से विश्वविद्यालय और कॉलेजों के शिक्षाविद और मनोविज्ञान से जुड़े शिक्षक शामिल किए गए हैं। प्रोगाम के तहत शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल और कॉलेजों में छात्रों को जेंडर सेंसटाइजेशन को लेकर जागरूक करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। कार्यशाला में किस तरह के टॉपिक रहेंगे इसे लेकर पूरी तैयारी शिक्षा विभाग की ओर से की जा रही है। विभाग स्कूल और कॉलेजों में कार्यशाला करवाने से पहले एक टेस्ट छात्रों का लेगा जिसके आधार पर उनका एटीट्यूड का आंकलन किया जाएगा और फिर ऐसा ही टेस्ट कार्यशालाओं का आयोजन करने के बाद किया जाएगा जिससे कि यह पता चल सके की इस विषय को लेकर कितनी जानकारी छात्रों को प्राप्त हुई ओर कितना उनका नज़रिया बदला।


Conclusion:किस तरह से एक लड़का और लड़की में भेदभाव किया जाता है। लड़कियों को कम आंका जाता है। स्कूल में छात्रों की इसे लेकर क्या राय है यह जानने के लिए विभाग का यह कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षा विभाग की संयुक्त निदेशक सोनिया ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए छात्रों का एटीट्यूड जानने के लिए शिक्षा विभाग खुद ही प्रश्नपत्र ओर वर्कशॉप का मॉड्यूल तैयार कर रहे है। अगस्त माह तक इस प्रोगाम को पायलट बेस पर शुरु कर दिया जाएगा। छात्रों की सोच बदले ओर उन्हें इस महत्वपूर्ण विषय पर जागरूक किया जा सके इसके लिए यह प्रोग्राम चलाया जा रहा है।
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