शिमला: हिमाचल में इस बार भी मेधावी छात्रों को लैपटॉप आवंटन की प्रक्रिया देरी से ही होगी. लॉकडाउन के चलते शिक्षा विभाग की ओर से 10 हजार मेधावियों के लैपटॉप खरीद के लिए की गई टेंडर की प्रक्रिया रद्द कर दी है.
अब फिर से स्थिति सामान्य होने के बाद अब हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग की ओर से दोबारा से लैपटॉप की खरीद की प्रकिया शुरु करेगा. लैपटॉप की यह खरीद प्रकिया 2018-19 के सत्र के छात्रों के लिए की जानी है.
इस से पहले भी सत्र 2017-18 के मेधावियों को शिक्षा विभाग की ओर से इसी वर्ष लैपटॉप आवंटन की प्रकिया को पूरा किया है. लैपटॉप खरीद में हुए विवाद के चलते टेंडर रद्द होने के बाद फिर से शिक्षा विभाग ने इस प्रकिया को पूरा किया था, जिसकी वजह से दो साल देरी से मेधावियों को यह लैपटॉप मिल पाए है.
इस बार विभाग का प्रयास था कि समय रहते छात्रों को यह लैपटॉप आवंटित कर दिए जाएं, लेकिन अब कोरोना की वजह से यह संभव होता नहीं दिख रहा है.
हालांकि लैपटॉप की खरीद प्रकिया इस बार सवालों के घेरे में ना आए इसके लिए विभाग की ओर से इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन को भी अलग कर जैम पोर्टल से ही लैपटॉप खरीद की प्रक्रिया को पूरा करने का निर्णय लिया गया है.
इस पोर्टल के माध्यम से लैपटॉप की खरीद का पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ की जाएगी और किसी तरह की कोई आशंका इसमें नहीं होगी.
वहीं, उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ.अमरजीत शर्मा ने कहा कि कोरोना की वजह से लैपटॉप के आवंटन की प्रक्रिया प्रभावित हुई है. अब दोबारा से इसे शुरू किया जाएगा जिससे कि छात्रों को लैपटॉप समय पर दिए जा सके.
विभाग ने वैसे तो लैपटॉप खरीद का प्रोसेस पहले ही शुरू कर दिया था लेकिन कोरोना की वजह से लगाये गए लॉक डाउन की वजह से यह प्रोसेस बीच में रोकना पड़ा है.अब दोबारा से यह सारा प्रोसेस शुरू किया जाएगा.
जैम पोर्टल से मिलने वाला लाभ
जैम पोर्टल का गठन ही इस उद्देश्य से किया गया है कि सरकारी विभागों की खरीद की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जा सके. भारत सरकार के सचिवों के समूह की सिफारिशों के आधार पर इसका गठन हुआ है.
इस जैम पोर्टल पर सरकारी विभाग अपनी जरूरत का सामान ऑनलाइन माध्यम से खरीद सकते हैं. इस प्रक्रिया में पूरी तरह से पारदर्शिता रहेगी और टेंडर जिस कंपनी को दिया जाएगा, उसे भी पूरी जनाकारी यहां सांझा करनी होगी, जिससे पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी. वहीं छात्रों के लैपटॉप कि खरीद में 23 से 24 करोड़ रूपए की लागत आएगी जो सरकार की ओर से विभाग को दिया जाएगा.
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