शिमला: प्रदेश सरकार ने करूणामूलक आधार पर दी जाने वाली नौकरियों की नीति में कई अहम बदलाव किए हैं. दो साल पांच महीने में 456 पात्र व्यक्तियों को नई नीति के तहत नौकरियां प्रदान की गई हैं.
कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा, विक्रमादित्य सिंह, विनय कुमार, माकपा विधायक राकेश सिंघा के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नीति के बहाने पूर्व कांग्रेस सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने दोनों सरकारों की नीति के प्रावधानों की तुलना की.
अब विभागों में कुल रिक्तियों के पांच फीसद कोटे के अलावा कैबिनेट भी विशेष परिस्थितियों में सीमित मात्रा में ऐसी नौकरियां देने की स्वीकृति दे सकती है. ये भी संभावना तलाशी जा रही है कि जिन विभागों में कोटा पूरा हो गया है, वहां के आवेदनों को दूसरे विभागों में भेजा जाए.
ऐसे मामलों का भी परीक्षण किया जा रहा है. पूर्व सरकार ने तो 50 साल की आयु की शर्त लगा दी थी. इसके बाद अगर कर्मचारी की मौत हो जाती थी तो उसके परिवार के आश्रित को नौकरी के लिए पात्र नहीं माना जाता था. इस शर्त को बदला गया है.
अब 58 साल की आयु तक किसी भी कर्मचारी की अगर मौत हो जाती है तो आश्रित करूणामूलक नौकरियों के लिए पात्र होगा. कर्मचारी की मौत के चार साल बाद तक पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकता है. आय सीमा बढ़ाकर डेढ़ से ढाई लाख की है.
पुरानी नीति में तृतीय श्रेणी में केवल क्लर्क की नौकरी मिलती थी. अब अगस्त महीने से जूनियर ऑफिस असिस्टेंट को भी इसमें शामिल किया गया है. इसमें एक वर्ष तक आइटी का डिप्लोमा भी सरकार करवाएगी. 31 मई तक करूणामूलक आधार पर नौकरियों के 3413 मामले लंबित पड़े हैं. इनका प्राथमिकता के आधार पर निपटारा किया जा रहा है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ऐसी नौकरियों के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि लोग इसे अपना अधिकार न समझें.
- प्रमुख विभागों में लंबित केस
लोक निर्माण विभाग- 906
कृषि विभाग- 92
पशुपालन विभाग- 104
उच्चतर शिक्षा- 629
वन विभाग- 94
स्वास्थ्य विभाग- 74
जल शक्ति विभाग- 924
पुलिस विभाग- 365
ग्रामीण विकास विभाग- 44