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महिलाओं के बीच बढ़ा सी-सेक्शन का चलन, 700 में से 200 महिलाओं का हो रहा सिजेरियन

शिमला के मातृ शिशु अस्पताल केएनएच में सिजेरियन की डिमांड बढ़ रही है. 700 मामलों में से करीब 200 महिलाओं की डिलीवरी सिजेरियन से की जा रही है. हालांकि निजी अस्पतालों के मुकाबले ये आंकड़ा कम है.

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Published : Feb 13, 2021, 1:55 PM IST

Updated : Feb 18, 2021, 12:39 PM IST

शिमला: जिले के एक मात्र मातृ शिशु अस्पताल केएनएच में सिजेरियन की डिमांड बढ़ रही है. 700 मामलों में से करीब 200 महिलाओं की डिलीवरी सिजेरियन से हो रही है. हालांकि निजी अस्पतालों के मुकाबले ये आंकड़ा कम है.

सरकारी अस्पतालों में ये आंकड़ा कम होने की वजह मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने बताई. उनका कहना है कि जिले का एकमात्र मातृ शिशु अस्पताल होने की वजह से यहां पर ज्यादातर केस रेफर किए गए होते हैं या जिनमें नॉर्मल डिलीवरी करवाने में मुश्किल होती है. इसलिए यहां पर अधिकतर सिजेरियन ऑपरेशन ही किए जाते हैं.

वीडियो.

सी-सेक्शन की तरफ बढ़ रहा महिलाओं का झुकाव

डॉक्टर कुशला पठानिया का कहना है कि बदलते समय के साथ महिलाएं खुद नॉर्मल डिलीवरी का दर्द न सहने के लिए सिजेरियन करवाना चुनती हैं. डॉक्टर का कहना है कि पहले के समय में महिलाएं दर्द से घबराती नहीं थी, लेकिन आजकल की महिलाओं में दर्द सहने की क्षमता कम है.

नॉर्मल डिलीवरी के लिए मोटिवेट करते हैं डॉक्टर्स

डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में किसी भी महिला का सिजेरियन करने से पहले उसकी काउंसिल की जाती है. उन्हें सिजेरियन से जुड़ी हर बात से अवगत करवाया जाता है. इसके अलावा नॉर्मल डिलीवरी के लाभ भी बताए जाते हैं ताकि वो सामान्य डिलीवरी ही चुने, लेकिन कुछ महिलाएं सिजेरियन की जिद पर अड़ी रहती हैं. ऐसे में डॉक्टर को सिजेरियन का रास्ता ही अपनाना पड़ता है.

सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी के आंकड़े

प्रदेश के सरकारी और निजी संस्थानों में सिजेरियन प्रसव के आंकड़ों की बात की जाए तो यह आंकड़ा बढ़ा है. सरकारी अस्पतालों में साल 2015-16 में सामान्य प्रसव 65,244 और सिजेरियन 9,414 थे. वर्ष 2016-17 में सामान्य प्रसव का आंकड़ा 65,510 और सिजेरियन प्रसव 9,900 थे, जबकि वर्ष 2017-18 में सामान्य प्रसव 65,988 और सिजेरियन प्रसव का आंकड़ा 11,319 था.

निजी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी के आंकड़े

वहीं, निजी अस्पतालों में साल 2015-16 में सामान्य प्रसव का आंकड़ा 12,858 था और सिजेरियन 5,820 थे. वर्ष 2016-17 में सामान्य प्रसव का आंकड़ा 11,865 और सिजेरियन प्रसव 5,501 थे, जबकि वर्ष 2017-18 में सामान्य प्रसव 12,292 और सिजेरियन प्रसव का आंकड़ा 5,801 था.

वहीं डीडीयू अस्पताल की बात करें तो साल 2018 में यहां 246 सिजेरियन हुए थे और 1862 नॉर्मल डिलीवरी करवाई गई थी. 2019 में 214 सिजेरियन और 1329 नॉर्मल डिलीवरी. वहीं साल 2020 की बात की जाए तो 43 सिजेरियन और 212 नार्मल डीलवरी हुई थी.

डीडीयू अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी के आंकड़े

डीडीयू में वर्ष 2018 में सामान्य प्रसव का आंकड़ा 1,862 था और सिजेरियन 246 थे. वर्ष 2019 में 1,329 सामान्य प्रसव करवाए गए थे और 214 डिलीवरी सिजेरियन के जरिए की गई थी. बात करें साल 2020 की इस साल में 212 सामान्य प्रसव और 43 सिजेरियन किए गए थे.

ये भी पढ़ें: शिमला: कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद IGMC के 3 डॉक्टर हुए पॉजिटिव

शिमला: जिले के एक मात्र मातृ शिशु अस्पताल केएनएच में सिजेरियन की डिमांड बढ़ रही है. 700 मामलों में से करीब 200 महिलाओं की डिलीवरी सिजेरियन से हो रही है. हालांकि निजी अस्पतालों के मुकाबले ये आंकड़ा कम है.

सरकारी अस्पतालों में ये आंकड़ा कम होने की वजह मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने बताई. उनका कहना है कि जिले का एकमात्र मातृ शिशु अस्पताल होने की वजह से यहां पर ज्यादातर केस रेफर किए गए होते हैं या जिनमें नॉर्मल डिलीवरी करवाने में मुश्किल होती है. इसलिए यहां पर अधिकतर सिजेरियन ऑपरेशन ही किए जाते हैं.

वीडियो.

सी-सेक्शन की तरफ बढ़ रहा महिलाओं का झुकाव

डॉक्टर कुशला पठानिया का कहना है कि बदलते समय के साथ महिलाएं खुद नॉर्मल डिलीवरी का दर्द न सहने के लिए सिजेरियन करवाना चुनती हैं. डॉक्टर का कहना है कि पहले के समय में महिलाएं दर्द से घबराती नहीं थी, लेकिन आजकल की महिलाओं में दर्द सहने की क्षमता कम है.

नॉर्मल डिलीवरी के लिए मोटिवेट करते हैं डॉक्टर्स

डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में किसी भी महिला का सिजेरियन करने से पहले उसकी काउंसिल की जाती है. उन्हें सिजेरियन से जुड़ी हर बात से अवगत करवाया जाता है. इसके अलावा नॉर्मल डिलीवरी के लाभ भी बताए जाते हैं ताकि वो सामान्य डिलीवरी ही चुने, लेकिन कुछ महिलाएं सिजेरियन की जिद पर अड़ी रहती हैं. ऐसे में डॉक्टर को सिजेरियन का रास्ता ही अपनाना पड़ता है.

सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी के आंकड़े

प्रदेश के सरकारी और निजी संस्थानों में सिजेरियन प्रसव के आंकड़ों की बात की जाए तो यह आंकड़ा बढ़ा है. सरकारी अस्पतालों में साल 2015-16 में सामान्य प्रसव 65,244 और सिजेरियन 9,414 थे. वर्ष 2016-17 में सामान्य प्रसव का आंकड़ा 65,510 और सिजेरियन प्रसव 9,900 थे, जबकि वर्ष 2017-18 में सामान्य प्रसव 65,988 और सिजेरियन प्रसव का आंकड़ा 11,319 था.

निजी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी के आंकड़े

वहीं, निजी अस्पतालों में साल 2015-16 में सामान्य प्रसव का आंकड़ा 12,858 था और सिजेरियन 5,820 थे. वर्ष 2016-17 में सामान्य प्रसव का आंकड़ा 11,865 और सिजेरियन प्रसव 5,501 थे, जबकि वर्ष 2017-18 में सामान्य प्रसव 12,292 और सिजेरियन प्रसव का आंकड़ा 5,801 था.

वहीं डीडीयू अस्पताल की बात करें तो साल 2018 में यहां 246 सिजेरियन हुए थे और 1862 नॉर्मल डिलीवरी करवाई गई थी. 2019 में 214 सिजेरियन और 1329 नॉर्मल डिलीवरी. वहीं साल 2020 की बात की जाए तो 43 सिजेरियन और 212 नार्मल डीलवरी हुई थी.

डीडीयू अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी के आंकड़े

डीडीयू में वर्ष 2018 में सामान्य प्रसव का आंकड़ा 1,862 था और सिजेरियन 246 थे. वर्ष 2019 में 1,329 सामान्य प्रसव करवाए गए थे और 214 डिलीवरी सिजेरियन के जरिए की गई थी. बात करें साल 2020 की इस साल में 212 सामान्य प्रसव और 43 सिजेरियन किए गए थे.

ये भी पढ़ें: शिमला: कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद IGMC के 3 डॉक्टर हुए पॉजिटिव

Last Updated : Feb 18, 2021, 12:39 PM IST
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