शिमला: सुखविंदर सिंह सुक्खू की नई आबकारी नीति से हिमाचल में राजस्व में 40 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. पुरानी नीति से हिमाचल में 2357 करोड़ रुपए के राजस्व के मिलने की संभावनाएं थी ,जबकि नई नीति से 2800 करोड़ का राजस्व अर्जित हुआ है.
नई आबकारी नीति बनाई गई: राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कई कदम उठा रही है. इसके लिए जहां सरकार वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित कर रही है. वहीं ,राजस्व अर्जन के साधनों को भी बढ़ाया जा रहा है. इसको देखते हुए ही राज्य सरकार ने प्रदेश की नई आबकारी नीति को अपनाया है. इसके तहत शराब के ठेकों की नीलामी की गई हैं. यही वजह है कि वित्त वर्ष 2023-24 में आबकारी नीति से अपेक्षित 2357 करोड़ रुपये के राजस्व की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि के साथ राज्य कोष में 2800 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित हुआ है.
15 सालों में 25 प्रतिशत हुई थी वृद्धि: पिछले लगभग 15 वर्षों में राज्य सरकार की आबकारी नीति के तहत राजस्व अर्जित 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज नहीं हो पाई थी. वर्ष 2011-12 में राजस्व में 25.65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी. पिछले वित्तीय वर्ष में, पिछली सरकार के समय के दौरान शराब की दुकानों का नवीनीकरण के माध्यम से 1296 करोड़ रुपये अर्जित किए गए, जबकि वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान नीलामी एवं निविदा से 1815 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया ,जो 520 करोड़ रुपये अधिक है.
ठेकों के रिन्यूअल से सरकारी कोष को हुआ भारी नुकसान: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पिछली सरकार द्वारा शराब के दुकानों के नवीनीकरण के निर्णय से सरकारी कोष को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है. वर्तमान राज्य सरकार ने शराब की दुकानों की नीलामी करने और समग्र राजस्व बढ़ाने के लिए आबकारी नीति में नए उपाय किए. सरकार के नीतिगत निर्णय से दुकानों की नीलामी में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित हुई है और इसमें पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किया गया है. वर्ष 2023-24 की आबकारी नीति में सरकारी राजस्व में वृद्धि करने, शराब की कीमतों में कमी और पड़ोसी राज्यों से इसकी तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं.
लाइसेंस शुल्क 15 लाख बढ़ाया गया: देसी शराब का निर्धारित कोटा 7.5 प्रतिशत और भारत में निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) का निर्धारित कोटा 5 प्रतिशत बढ़ाया गया है. थोक दुकानों के लिए वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क को 20 लाख से बढ़ाकर 35 लाख रुपये, वित्तीय वर्ष के लिए न्यूनतम गारंटीकृत मात्रा उठाने के बाद, अतिरिक्त कोटा उठाने के लिए लाइसेंसधारियों को निर्धारित लाइसेंस शुल्क 80 प्रतिशत के साथ 10 प्रतिशत तक कोटा उठाने की अनुमति दी गई है. इसके अतिरिक्त लाइसेंसधारक को निर्धारित लाइसेंस शुल्क के 90 प्रतिशत की दर से 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक कोटा उठाने की अनुमति दी गई है. राज्य सरकार के इन सभी उपायों से अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा.
सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कहा कि शराब उत्पादन के संचालन, थोक विक्रेताओं को इसकी आपूर्ति और खुदरा विक्रेताओं को बाद में बिक्री की निगरानी के लिए सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके अलावा, राज्य की वाइनरी में आयातित शराब की बॉटलिंग की अनुमति दी गई है.
शराब की प्रत्येक 10 रुपये मिल्क सेस: उन्होंने कहा कि वर्तमान में आबकारी नीति में एल-3, एल-4 और एल-5 लाइसेंसधारकों को थ्री स्टार होटलों के लिए मिनी बार की अनुमति दी गई है. इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ राज्य में राजस्व के स्रोत भी बढ़ेंगे. राज्य सरकार ने शराब की प्रत्येक बोतल पर 10 रुपये मिल्क सेस लगाया है, जिससे 100 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व अर्जित होगा. सरकार द्वारा इस फंड का उपयोग किसानों की बेहतरी और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा.
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