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छात्रवृति घोटाले के आरोपी की याचिका HC से खारिज, जांच में एक आरोपी की भूमिका संदिग्ध

प्रदेश उच्च न्यायालय ने 250 करोड़ रुपये के छात्रवृति घोटाले के आरोपी व ऊना के केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के वाइस चेयरमैन हितेश गांधी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. वहीं, जांच में राज्टा की भूमिका संदिग्ध मिली है. आरोप है कि वह घोटाले वाले समय के दौरान शिक्षा मुख्यालय में उस सीट पर तैनात रहा है जहां से छात्रवृत्ति वितरण का काम संचालित होता था.

scholarship scam
हिमचाल हाईकोर्ट.
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Published : Jun 29, 2020, 8:05 PM IST

शिमला: छात्रवृति घोटाले के आरोपी व ऊना के केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के वाइस चेयरमैन हितेश गांधी की प्रदेश उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका खारिज कर दी है. चार जनवरी को हिमाचल में 250 करोड़ के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में जुटी सीबीआई ने पहली बार तीन लोगों को गिरफ्तार किया था.

गिरफ्तार लोगों में शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधीक्षक अरविंद राज्टा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की नवांशहर शाखा के हेड कैशियर एस पी सिंह और ऊना के केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के वाइस चेयरमैन हितेश गांधी के नाम शामिल है. वहीं, जांच में राज्टा की भूमिका संदिग्ध मिली है.

आरोप है कि वह घोटाले वाले समय के दौरान शिक्षा मुख्यालय में उस सीट पर तैनात रहा है. जहां से छात्रवृत्ति वितरण का काम संचालित होता था. पिछले कुछ समय में सीबीआई ने ऊना के केसी इंस्टीट्यूट पर छापा मारकर भी दस्तावेज सीज किए थे. वहीं, बैंक के हेड कैशियर के लिए कहा जा रहा है कि वह बैंक खातों में मोबाइल नंबर व अन्य जानकारियों को लेकर फर्जीवाड़े में शामिल था.

हिमाचल सरकार की सिफारिश पर सीबीआई ने 9 मई 2019 को एफआईआर दर्ज की थी. पांच दिन बाद ही हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में 22 शैक्षणिक संस्थानों के ठिकानों पर छापे मारे गए. यह कार्रवाई हिमाचल में शिमला, सिरमौर, ऊना, बिलासपुर, चंबा और कांगड़ा के अलावा करनाल, मोहाली, नवांशहर, अंबाला और गुरदासपुर स्थित कई शैक्षणिक संस्थानों पर की गई. साथ ही बैंकों में भी छापा मारा था.

गौरतलब है कि मंत्री रामलाल मारकंडा की शिकायत के बाद शिक्षा विभाग ने जांच की तो साल 2013-14 से 2016-17 तक 2.38 लाख एससी, एसटी और ओबीसी के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति जारी करने के दौरान हुई गड़बड़ी की बात सामने आई. इसी दौरान 2772 शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति बंटी, जिसमें 266 निजी शिक्षण संस्थान शामिल थे.

निजी संस्थानों को 210 करोड़ और सरकारी संस्थानों को 56 करोड़ की राशि दी गई. 2.38 लाख विद्यार्थियों में से 19915 को चार मोबाइल फोन नंबरों से जुड़े बैंक खातों में राशि जारी की गई. मामला बड़े शिक्षण संस्थानों व दूसरे राज्यों से भी जुड़ा था, ऐसे में सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.

ये भी पढे़ं- 100% सवारी पर सरकार तैयार, फिर भी अधिसूचना के बाद ही चलाएंगे बसें: निजी बस ऑपरेटर यूनियन

शिमला: छात्रवृति घोटाले के आरोपी व ऊना के केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के वाइस चेयरमैन हितेश गांधी की प्रदेश उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका खारिज कर दी है. चार जनवरी को हिमाचल में 250 करोड़ के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में जुटी सीबीआई ने पहली बार तीन लोगों को गिरफ्तार किया था.

गिरफ्तार लोगों में शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधीक्षक अरविंद राज्टा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की नवांशहर शाखा के हेड कैशियर एस पी सिंह और ऊना के केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के वाइस चेयरमैन हितेश गांधी के नाम शामिल है. वहीं, जांच में राज्टा की भूमिका संदिग्ध मिली है.

आरोप है कि वह घोटाले वाले समय के दौरान शिक्षा मुख्यालय में उस सीट पर तैनात रहा है. जहां से छात्रवृत्ति वितरण का काम संचालित होता था. पिछले कुछ समय में सीबीआई ने ऊना के केसी इंस्टीट्यूट पर छापा मारकर भी दस्तावेज सीज किए थे. वहीं, बैंक के हेड कैशियर के लिए कहा जा रहा है कि वह बैंक खातों में मोबाइल नंबर व अन्य जानकारियों को लेकर फर्जीवाड़े में शामिल था.

हिमाचल सरकार की सिफारिश पर सीबीआई ने 9 मई 2019 को एफआईआर दर्ज की थी. पांच दिन बाद ही हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में 22 शैक्षणिक संस्थानों के ठिकानों पर छापे मारे गए. यह कार्रवाई हिमाचल में शिमला, सिरमौर, ऊना, बिलासपुर, चंबा और कांगड़ा के अलावा करनाल, मोहाली, नवांशहर, अंबाला और गुरदासपुर स्थित कई शैक्षणिक संस्थानों पर की गई. साथ ही बैंकों में भी छापा मारा था.

गौरतलब है कि मंत्री रामलाल मारकंडा की शिकायत के बाद शिक्षा विभाग ने जांच की तो साल 2013-14 से 2016-17 तक 2.38 लाख एससी, एसटी और ओबीसी के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति जारी करने के दौरान हुई गड़बड़ी की बात सामने आई. इसी दौरान 2772 शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति बंटी, जिसमें 266 निजी शिक्षण संस्थान शामिल थे.

निजी संस्थानों को 210 करोड़ और सरकारी संस्थानों को 56 करोड़ की राशि दी गई. 2.38 लाख विद्यार्थियों में से 19915 को चार मोबाइल फोन नंबरों से जुड़े बैंक खातों में राशि जारी की गई. मामला बड़े शिक्षण संस्थानों व दूसरे राज्यों से भी जुड़ा था, ऐसे में सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.

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