शिमला: हिमाचल प्रदेश में फर्जी डिग्री मामले में फंसी एपीजी यूनिवर्सिटी के खिलाफ सीआईडी ने अब जांच के दायरे को बढ़ा दिया है. दिल्ली में दबिश देने के बाद जांच टीम ने यूपी का रूख किया है. जांच टीम ने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर और अलीगढ़ में छानबीन की है. जिन छात्रों को डिग्रियां दी हई हैं, उस संबंध में तथ्य खंगाले जा रहे हैं और पूछताछ भी की जा रही है.
फर्जी डिग्री जांच को लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी फीडबैक लिया है. 13 जनवरी को सीएम ने सीआईडी के एडीजीपी एन वेणुगोपाल से अब तक की जांच के बारे में फीडबैक लिया है. हालांकि, अभी इस संबंध में किसी अधिकारी की तरफ से कोई बयान नहीं आया है.
4 सदस्यीय टीम छात्रों से कर रही पूछताछ
4 सदस्यीय टीम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रों से पूछताछ कर रही है. एलएलबी के शैक्षणक सत्र 2014-17 के दौरान जिन छात्रों को डिग्रियां दी गई हैं. उसको लेकर भी छानबीन की जा रही है. सीआईडी को शक है कि ज्यादातर छात्रों ने केवल कागजों में प्रवेश लिया था और क्लास में नजर नहीं आए.
पिछले दिनों शिमला में सीआईडी ने एक कोर्स के छात्र से पूछताछ की थी कि दिल्ली क्षेत्र के जिन छात्रों को डिग्रियां दी गई हैं, क्या वो छात्र उसके क्लासमेट हैं या नहीं. जिससे छात्र ने उन्हें पहचानने से मना कर दिया था. वहीं, बीटेक, लॉ और बीबीए कोर्स के पासआउट छात्रों से पूछताछ की संभावना है.
जुलाई 2020 में दर्ज हुआ थी एफआईआर
फर्जी डिग्री को लेकर शिमला स्थित एपीजी विश्वविद्यालय के खिलाफ पुलिस को 25 सितंबर 2019 में शिकायत मिली थी. एपीजी के लॉ विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष ने ये लिखित शिकायत छोटा शिमला थाने में दी थी. जिसके बाद एपीजी विश्वविद्यालय पर जुलाई 2020 में एफआईआर दर्ज की है.
फर्जी डिग्री मामले में सीआईडी ने शिमला स्थित यूनिवर्सिटी के खिलाफ आईपीसी की धार-465, 467, 471, 120B के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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