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ढील के बावजूद शिमला नहीं पहुंच रहे पर्यटक, होटल-रेस्टोरेंट कारोबारियों को भारी नुकसान

हिमाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है. हालांकि कोरोना कर्फ्यू में पर्यटकों को आने-जाने की इजाजत दी गई है. इसके लिए उन्हें आरटीपीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट दिखाना जरूरी है. पर्यटकों को छूट तो दी गई है लेकिन फिर भी राजधानी शिमला में टूरिस्ट न के बराबर ही हैं. इस वजह से होटल-रेस्टोरेंट चलाने वालों का कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ चुका है.

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Published : May 14, 2021, 10:26 PM IST

शिमला: देश-प्रदेश कोरोना वायरस की दूसरी लहर से परेशान है. हिमाचल प्रदेश में संक्रमण के आंकड़ों पर काबू पाने के लिए कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है. जहां एक ओर आंकड़ों पर काबू पाने के लिए कर्फ्यू बेहद जरूरी है. वहीं, दूसरी ओर संक्रमण की दूसरी लहर के बीच कारोबार पर भी असर देखने को मिल रहा है.

शिमला की चहल-पहल वाली सड़कें खाली

प्रदेश में कड़ी बंदिशों के साथ कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है. प्रदेश भर में आवश्यक सामग्री से जुड़ी दुकानों को केवल 3 घंटे खुले रखने की अनुमति दी गई है लेकिन पर्यटन कारोबारियों का ध्यान रखते हुए सरकार ने पर्यटकों के आने पर पाबंदी नहीं लगाई है. भले ही सरकार ने पर्यटकों के आने पर पाबंदी न लगाई हो लेकिन राजधानी शिमला वीरान नजर आ रही है. हमेशा पर्यटकों से गुलजार रहने वाली शिमला शहर की सड़कें बिल्कुल खाली हैं.

वीडियो.

बाजारों पर दिख रहा कोरोना कर्फ्यू का असर

शिमला शहर में बाजार पूरी तरह बंद है. इसके अलावा संक्रमण के खतरे को देखते हुए मंदिरों को भी बंद किया गया है. शिमला आने वाले पर्यटक राजधानी शिमला के माल रोड, रिज मैदान सहित मंदिरों में जाना खासा पसंद करता हैं लेकिन कर्फ्यू के बीच यह सब बंद है. ऐसे में पर्यटक शिमला नहीं आ रहे हैं. पर्यटकों की आमद न होने का कारण हिमाचल प्रदेश के पड़ोसी राज्यों में लगा लॉकडाउन भी है. हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा पर्यटक पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से आते हैं. इस समय इन सभी राज्यों में या तो लॉकडाउन है या लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाई गई हैं. ऐसे में पर्यटक हिमाचल नहीं आ रहे हैं.

पर्यटन को लेकर किए गए फैसले केवल खानापूर्ति

सरकार की ओर से पर्यटन कारोबारियों के लिए राहत भरे फैसलों के बावजूद फायदा मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा. ऐसे में पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार की ओर से यह फैसला केवल खानापूर्ति के लिए लिया गया है. प्रदेश में कर्फ्यू और पड़ोसी राज्यों में लॉकडाउन के बीच पर्यटक किस तरह हिमाचल पहुंचेंगे, यह अपने आप में बड़ा सवाल है. शिमला शहर के तमाम पर्यटन कारोबारी सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं. पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि साल 2020 से अब तक धंधा-पानी न के बराबर है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि पर्यटन कारोबारियों को राहत दी जाए.

वर्किंग कैपिटल के रूप में आर्थिक मदद की गुहार

पर्यटन कारोबारी बिजली, पानी और अन्य टैक्स में रियायत की मांग कर रहे हैं. पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि संक्रमण की पहली लहर और दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित होने के बाद व्यवसायियों का वर्किंग कैपिटल भी शून्य हो गया है. होटल एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर वर्किंग कैपिटल के रूप में आर्थिक मदद की भी गुहार लगाई है. वहीं, शिमला पुलिस की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार 10 मई से 14 मई तक शिमला में 5 हजार 982 गाड़ियों ने प्रवेश किया और 5 हजार 269 गाड़ियां शिमला से बाहर गईं. अमूमन रोजाना 10 हजार गाड़ियां शिमला में प्रवेश करती हैं लेकिन कोरोना कर्फ्यू के कारण औसतन 1 हजार से कम गाड़ियों ने ही शिमला के अंदर प्रवेश किया है.

ये भी पढ़ें: डॉ. वीर सिंह नेगी बनेंगे बिलासपुर AIIMS में संस्थान निदेशक, सोमवार को संभालेंगे कार्यभार

शिमला: देश-प्रदेश कोरोना वायरस की दूसरी लहर से परेशान है. हिमाचल प्रदेश में संक्रमण के आंकड़ों पर काबू पाने के लिए कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है. जहां एक ओर आंकड़ों पर काबू पाने के लिए कर्फ्यू बेहद जरूरी है. वहीं, दूसरी ओर संक्रमण की दूसरी लहर के बीच कारोबार पर भी असर देखने को मिल रहा है.

शिमला की चहल-पहल वाली सड़कें खाली

प्रदेश में कड़ी बंदिशों के साथ कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है. प्रदेश भर में आवश्यक सामग्री से जुड़ी दुकानों को केवल 3 घंटे खुले रखने की अनुमति दी गई है लेकिन पर्यटन कारोबारियों का ध्यान रखते हुए सरकार ने पर्यटकों के आने पर पाबंदी नहीं लगाई है. भले ही सरकार ने पर्यटकों के आने पर पाबंदी न लगाई हो लेकिन राजधानी शिमला वीरान नजर आ रही है. हमेशा पर्यटकों से गुलजार रहने वाली शिमला शहर की सड़कें बिल्कुल खाली हैं.

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बाजारों पर दिख रहा कोरोना कर्फ्यू का असर

शिमला शहर में बाजार पूरी तरह बंद है. इसके अलावा संक्रमण के खतरे को देखते हुए मंदिरों को भी बंद किया गया है. शिमला आने वाले पर्यटक राजधानी शिमला के माल रोड, रिज मैदान सहित मंदिरों में जाना खासा पसंद करता हैं लेकिन कर्फ्यू के बीच यह सब बंद है. ऐसे में पर्यटक शिमला नहीं आ रहे हैं. पर्यटकों की आमद न होने का कारण हिमाचल प्रदेश के पड़ोसी राज्यों में लगा लॉकडाउन भी है. हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा पर्यटक पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से आते हैं. इस समय इन सभी राज्यों में या तो लॉकडाउन है या लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाई गई हैं. ऐसे में पर्यटक हिमाचल नहीं आ रहे हैं.

पर्यटन को लेकर किए गए फैसले केवल खानापूर्ति

सरकार की ओर से पर्यटन कारोबारियों के लिए राहत भरे फैसलों के बावजूद फायदा मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा. ऐसे में पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार की ओर से यह फैसला केवल खानापूर्ति के लिए लिया गया है. प्रदेश में कर्फ्यू और पड़ोसी राज्यों में लॉकडाउन के बीच पर्यटक किस तरह हिमाचल पहुंचेंगे, यह अपने आप में बड़ा सवाल है. शिमला शहर के तमाम पर्यटन कारोबारी सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं. पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि साल 2020 से अब तक धंधा-पानी न के बराबर है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि पर्यटन कारोबारियों को राहत दी जाए.

वर्किंग कैपिटल के रूप में आर्थिक मदद की गुहार

पर्यटन कारोबारी बिजली, पानी और अन्य टैक्स में रियायत की मांग कर रहे हैं. पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि संक्रमण की पहली लहर और दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित होने के बाद व्यवसायियों का वर्किंग कैपिटल भी शून्य हो गया है. होटल एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर वर्किंग कैपिटल के रूप में आर्थिक मदद की भी गुहार लगाई है. वहीं, शिमला पुलिस की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार 10 मई से 14 मई तक शिमला में 5 हजार 982 गाड़ियों ने प्रवेश किया और 5 हजार 269 गाड़ियां शिमला से बाहर गईं. अमूमन रोजाना 10 हजार गाड़ियां शिमला में प्रवेश करती हैं लेकिन कोरोना कर्फ्यू के कारण औसतन 1 हजार से कम गाड़ियों ने ही शिमला के अंदर प्रवेश किया है.

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