शिमला: देश और प्रदेश में एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. लोगों को अस्पताल में बेड तक नहीं मिल पा रहे हैं. इसके अलावा ऑक्सीजन की कमी से भी मरीज दम तोड़ रहे हैं. ऐसी स्थिति में प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल आईजीएमसी शिमला चर्चा में है, क्योंकि यहां ऑक्सीजन प्लांट पहले से ही लगा हुआ है जो अब संकट की घड़ी में वरदान साबित हो रहा है. हिमाचल अपने पड़ोसी राज्यों पंजाब, जम्मू और चंडीगढ़ के लिए भी ऑक्सीजन सप्लाई कर रहा है. यह सप्लाई मांग के हिसाब से की जा रही है.
आईजीएमसी में नहीं होगी ऑक्सीजन की कमी
देशभर में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने से ऑक्सीजन की किल्लत होने लगी है, लेकिन आईजीएमसी में शायद ही ऐसी समस्या आए. ऐसा इसलिए क्योंकि अस्पताल में ऑक्सीजन का प्लांट स्थापित है जो प्रतिदिन 3600 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन पैदा करता है. इस प्लांट से प्रतिदिन 250 बड़े सिलेंडर आईजीएमसी में भरे जाते हैं. यह प्लांट 24 घंटे काम करता है. इसी प्लांट से कमला नेहरू अस्पताल और कैंसर अस्पताल को भी ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है.
पहले मंडी से ट्रक में मंगवाई जाती थी ऑक्सीजन
आईजीएमसी में ऑक्सीजन प्लांट मार्च 2017 में स्थापित किया गया था. इससे पहले आईजीएमसी में मंडी जिले से ऑक्सीजन मंगवाई जाती थी. ऑक्सीजन सिलेंडर्स को ट्रक के जरिए ट्रांसपोर्ट किया जाता था. एक ट्रक में 150 से 180 सिलेंडर आते थे. कई बार ट्रक के खराब होने से या बर्फ में रास्ता बंद होने से अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने का डर रहता था. इसी के साथ ट्रक से ऑक्सीजन मंगवाना मंहगा भी साबित होता था.
आईजीएमसी में हो रही 100 बेड बढ़ाने की तैयारी
कोरोना के बढ़ते संकट को देखते हुए आईजीएमसी में 100 और बेड बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. ऐसे में अस्पताल ने 200 डी आकार के सिलेंडर और मंगवाए हैं, जिससे सभी बेड्स पर ऑक्सीजन की सुविधा दी जा सके. आइजीएमसी के प्रशानिक अधिकारी डॉक्टर राहुल गुप्ता ने बताया कि आइजीएमसी में ऑक्सीजन प्लांट 2017 में स्थापित हुआ था. तब से कमला नेहरू अस्पताल को भी ऑक्सीजन सप्लाई यहीं से की जाती है. इस प्लांट में प्रतिदिन 3600 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन होता है. वहीं, खपत 3400 क्यूबिक मीटर तक रहती है.
कोरोना काल में संजीवनी बना ऑक्सीजन प्लांट
आइजीएमसी के पूर्व एमएस और वर्तमान में स्वास्थ्य निदेशालय में उपनिदेशक डॉक्टर रमेश चंद ने बताया कि आईजीएमसी में ऑक्सीजन प्लांट के लिए प्रपोजल 2014 में किया था. उसके बाद उन्होंने इसे लगवाने के लिए काफी संघर्ष किया और 20 मार्च 2017 को इस ऑक्सीजन प्लांट में काम शुरू हुआ. अब आइजीएमसी, केएनएच, कैंसर अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. आइजीएमसी का ऑक्सीजन प्लांट कोरोना काल मे संजीवनी साबित हो रहा है. पहले नालागढ़, बद्दी और मंडी से ऑक्सीजन मंगाई जाती थी, जिसमें काफी परेशानी होती थी.
प्रदेश में दो तरह से तैयार हो रही है ऑक्सीजन
प्रदेश में प्रतिदिन 41 मीट्रिक टन ऑक्सीजन तैयार हो रही है. वर्तमान में 20 मीट्रिक टन से कम खपत है. वहीं प्रदेश के चंबा और हमीरपुर जिले में अभी प्लांट शुरू होने में एक सप्ताह लग जाएगा. हिमाचल में दो तरह से ऑक्सीजन तैयार हो रही है. एक हवा से तो दूसरी लिक्विड. हवा से शिमला, सोलन, मंडी, रामपुर और जिला कांगड़ा में ऑक्सीजन तैयार हो रही है. लिक्वड ऑक्सीजन के लिए ऊना, पांवटा, नगरोटा बगवां, मंडी और तीन जगह बद्दी में प्लांट लगाए गए हैं. इनकी 400 से लेकर 900 ऑक्सीजन सिलेंडर तैयार करने की क्षमता है.
हिमाचल में कोरोना के 1000 मरीज उपचाराधीन
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन खुद तैयार की जा रही है. यहां से आईजीएमसी और कमला नेहरू अस्पताल में आपूर्ति की जा रही है. हिमाचल के मेडिकल कॉलेजों और अन्य अस्पतालों में कोरोना के एक हजार के करीब मरीज उपचाराधीन हैं. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अस्पताल में अगर 5 हजार लोग भी भर्ती होते हैं, तब भी ऑक्सीजन कम नहीं पड़ेगी.
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