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IGMC Shimla Controversy: आईजीएमसी सिक्योरटी गार्ड विवाद, अस्पताल के बाहर गार्डों का मौन प्रदर्शन, सीटू ने दी बड़े आंदोलन की चेतावनी

आईजीएमसी शिमला के बाहर सुरक्षा कर्मियों ने सीटू के नेतृत्व में मौन प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से निकाले जाने का विरोध किया. साथ ही मांग नहीं माने जाने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी...(IGMC security guard controversy) (IGMC Shimla guards protest)

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 3, 2023, 1:46 PM IST

Updated : Oct 3, 2023, 5:21 PM IST

सीटू अध्यक्ष विजेंदर मेहरा

शिमला: आईजीएमसी शिमला के 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने का मुद्दा गरमाता जा रहा है. सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ आईजीएमसी कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन से संबंधित सीटू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन) के नेतृत्व में गार्डों ने अस्पताल के बाहर मौन प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शकारियों ने चेतावनी दी कि अगर नौकरी से निकाले गए सुरक्षा कर्मियों को वापस नहीं लिया गया तो आने वाले दिनों में आंदोलन तेज होगा.

सीटू अध्यक्ष विजेंदर मेहरा ने कहा कि आजाद देश में अंग्रेजों के जमाने के काले कानून आज भी जारी हैं. इसका उदाहरण आईजीएमसी है. जहां हायर एंड फायर की नीति जारी है. यहां कानून का गला घोंटकर 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है. यह औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 33 का भी उल्लंघन है, जो यूनियन के मजदूरों को सुरक्षित कर्मचारी घोषित करती है.

उन्होंने कहा 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने का निर्णय गैर कानूनी है. इसे जल्द वापस लिया जाना चाहिए. अगर सुरक्षा कर्मियों को नौकरी पर वापस नहीं बुलाया गया तो आईजीएमसी शिमला में हड़ताल होगी. आईजीएमसी में सुरक्षा कर्मियों की मानसिक प्रताड़ना की जा रही है. ठेकेदार बदलने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है, जो यूनियन से आईजीएमसी प्रबंधन द्वारा किए गए समझौते और औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 एच का खुला उल्लंघन है.

उन्होंने आरोप लगाया कि नई आउटसोर्स कंपनी द्वारा जो शपथ पत्र सुरक्षा कर्मियों से लिया जा रहा है, उसमें अनुचित श्रम व्यवहार किया जा रहा है. यह औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के पांचवें शेडयूल व धारा 25 यू का उल्लंघन है. प्रमुख नियोक्ता आईजीएमसी प्रबंधन द्वारा ठेका मजदूर अधिनियम 1970 की अवहेलना बड़े पैमाने पर की जा रही है. उन्होंने आईजीएमसी प्रबंधन द्वारा वार्ड अटेंडेंटों और सफाई कर्मियों की तर्ज पर सभी सुरक्षा कर्मियों को नए ठेकेदार के पास पुनर्नियुक्ति दी जाने की मांग की. साथ ही उन्होंने चेतावनी दि अगर सुरक्षा कर्मियों की फिर से नियुक्ति नहीं की गई तो आंदोलन तेज होगा.

आईजीएमसी सिक्योरिटी यूनियन के अध्यक्ष बबलू ने कहा जून में कंपनी को अवैध रूप से टेंडर दिया गया. उस समय न उसके पास लाइसेंस था और ना ही लेबर का सर्टिफिकेट, उसके बाद भी आईजीएमसी प्रशासन ने अपने स्तर पर अपने चहेते को टेंडर दिया और काम कर रहे गार्ड को बाहर निकाल दिया. वहीं, ईटीवी भारत संवाददाता ने इस मुद्दे पर आईजीएमसी प्रशासन से बात करने की कोशिश की, लेकिन फिलहाल उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

ये भी पढ़ें: IGMC Shimla Dispute: आईजीएमसी में प्रशासन का आया फरमान, लिस्ट में नाम वाले गार्ड नहीं लौटे ड्यूटी पर तो जाएगी नौकरी

सीटू अध्यक्ष विजेंदर मेहरा

शिमला: आईजीएमसी शिमला के 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने का मुद्दा गरमाता जा रहा है. सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ आईजीएमसी कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन से संबंधित सीटू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन) के नेतृत्व में गार्डों ने अस्पताल के बाहर मौन प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शकारियों ने चेतावनी दी कि अगर नौकरी से निकाले गए सुरक्षा कर्मियों को वापस नहीं लिया गया तो आने वाले दिनों में आंदोलन तेज होगा.

सीटू अध्यक्ष विजेंदर मेहरा ने कहा कि आजाद देश में अंग्रेजों के जमाने के काले कानून आज भी जारी हैं. इसका उदाहरण आईजीएमसी है. जहां हायर एंड फायर की नीति जारी है. यहां कानून का गला घोंटकर 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है. यह औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 33 का भी उल्लंघन है, जो यूनियन के मजदूरों को सुरक्षित कर्मचारी घोषित करती है.

उन्होंने कहा 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने का निर्णय गैर कानूनी है. इसे जल्द वापस लिया जाना चाहिए. अगर सुरक्षा कर्मियों को नौकरी पर वापस नहीं बुलाया गया तो आईजीएमसी शिमला में हड़ताल होगी. आईजीएमसी में सुरक्षा कर्मियों की मानसिक प्रताड़ना की जा रही है. ठेकेदार बदलने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है, जो यूनियन से आईजीएमसी प्रबंधन द्वारा किए गए समझौते और औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 एच का खुला उल्लंघन है.

उन्होंने आरोप लगाया कि नई आउटसोर्स कंपनी द्वारा जो शपथ पत्र सुरक्षा कर्मियों से लिया जा रहा है, उसमें अनुचित श्रम व्यवहार किया जा रहा है. यह औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के पांचवें शेडयूल व धारा 25 यू का उल्लंघन है. प्रमुख नियोक्ता आईजीएमसी प्रबंधन द्वारा ठेका मजदूर अधिनियम 1970 की अवहेलना बड़े पैमाने पर की जा रही है. उन्होंने आईजीएमसी प्रबंधन द्वारा वार्ड अटेंडेंटों और सफाई कर्मियों की तर्ज पर सभी सुरक्षा कर्मियों को नए ठेकेदार के पास पुनर्नियुक्ति दी जाने की मांग की. साथ ही उन्होंने चेतावनी दि अगर सुरक्षा कर्मियों की फिर से नियुक्ति नहीं की गई तो आंदोलन तेज होगा.

आईजीएमसी सिक्योरिटी यूनियन के अध्यक्ष बबलू ने कहा जून में कंपनी को अवैध रूप से टेंडर दिया गया. उस समय न उसके पास लाइसेंस था और ना ही लेबर का सर्टिफिकेट, उसके बाद भी आईजीएमसी प्रशासन ने अपने स्तर पर अपने चहेते को टेंडर दिया और काम कर रहे गार्ड को बाहर निकाल दिया. वहीं, ईटीवी भारत संवाददाता ने इस मुद्दे पर आईजीएमसी प्रशासन से बात करने की कोशिश की, लेकिन फिलहाल उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

ये भी पढ़ें: IGMC Shimla Dispute: आईजीएमसी में प्रशासन का आया फरमान, लिस्ट में नाम वाले गार्ड नहीं लौटे ड्यूटी पर तो जाएगी नौकरी

Last Updated : Oct 3, 2023, 5:21 PM IST
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