शिमला: हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में सुरक्षा कर्मी और आईजीएमसी प्रशासन के बीच विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. दरअसल, आईजीएमसी प्रशासन ने सोमवार को सुरक्षा कर्मियों के आश्यिाने को तोड़ दिया. जिसके कारण सुरक्षा कर्मियों में भारी रोष देखने को मिला है. बता दें कि यह आशियाना आईजीएमसी प्रशासन का है, लेकिन 2011 में इसे सुरक्षा कर्मियों को ठरहने की सुविधा दी गई थी. वहीं, आईजीएमसी सुरक्षा कर्मियों के प्रधान बबलू का कहना है कि मौजूदा समय में इसमें 6 सुरक्षा कर्मी रहते हैं. इसे रेडक्रॉस भवन कहा जाता है. जब सुरक्षा कर्मी दिन के समय इस भवन में नहीं थे, उस दौरान प्रशासन ने यह हरकत की है.
आईजीएमसी सुरक्षा कर्मियों के प्रधान बबलू का कहना है कि जब लेबर ऑफिस में प्रबंधन और मजदूरों का औद्योगिक विवाद पड़ा हुआ था तब आईजीएमसी प्रबंधन द्वारा मजदूरों की भवन को तोड़ना औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 का खुला उल्लंघन है. यह कार्रवाई पूरी तरह गैर कानूनी है और आईजीएमसी प्रबंधन की तानाशाही और मानवता विरोधी रवैये को दर्शाती है. बबलू ने कहा कि शाम को 3 बजे लेबर ऑफिसर ने मुद्दे के समाधान के लिए बैठक बुलाई थी, लेकिन उससे पहले ही कायर आईजीएमसी प्रशासन ने यह कार्रवाई करके कानून विरोधी अपना चरित्र दर्शाया है.
बबलू ने कहा कि 20 सुरक्षा कर्मियों के नौकरी से बाहर करना देश के कानून का गला घोंटने जैसा है. सुरक्षा कर्मियों द्वारा जो बार-बार प्रदर्शन हो रहा है, उसको देखते हुए प्रशासन ऐसी हरकत कर रहा है. उन्होंने कहा कि सिक्योर गार्ड को दिए गए सुरक्षा कर्मियों के ठेके में महाघोटाला हुआ है. इस घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ अब कानूनी कार्रवाई की जाएगी. बबलू ने कहा कि टेक्निकल बिड इवैल्यूएशन के 70 अंकों के आधार पर सिक्योर गार्ड कंपनी ठेके के लिए एप्लाई करने के लिए भी पात्र नहीं थी, क्योंकि उसके 70 में से शून्य अंक हैं. ठेके के लिए साल 2019 से हर साल इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य था, लेकिन कंपनी सितंबर 2020 में बनी तो फिर इसने वर्ष 2019 का आयकर कैसे भर दिया.
प्रधान बबलू का कहना है कि कंपनी को ठेके की शर्तों के अनुसार वर्ष 2017 से 2022 तक के पांच वर्षों में एक जगह पर 100 से अधिक और कुल 300 सुरक्षा कर्मियों से कार्य अनुभव होना अनिवार्य था, लेकिन कंपनी का कार्य अनुभव तो तीन वर्ष का भी नहीं है. इस तरह कंपनी को ठेका मिलना तो दूर की बात यह कंपनी बिडिंग प्रक्रिया में शामिल होने के लिए भी पात्र नहीं थी. इस घोटाले को जनता में उजागर किया जाएगा और इसके खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा, अब सुरक्षाकर्मी चुप नहीं बैठेंगे आंदोलन तेज होगा.
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