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युवा कांग्रेस के आरोपों पर आईजीएमसी प्रशासन ने दी सफाई, मेस सर्विस को लेकर कही ये बात

युवा कांग्रेस के आरोपों पर आईजीएमसी प्रशासन ने सफाई दी है. आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. जनकराज ने कहा कि आईजीएमसी की मेस को चलाने के लिए 16 रेगुलर रसोइयों की जरूरत है, जबकि मौजूदा समय में केवल 3 रसाइएं हैं. इसमें अगर एक बीमारी हो या छुट्टी चला जाए तो दिक्कत हो जाती है.

Principal gives clarification in the mess service outsiders case in IGMC,
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Published : Feb 9, 2021, 10:00 PM IST

Updated : Feb 9, 2021, 10:16 PM IST

शिमलाः आईजीएमसी में मेस सर्विस को आउटसोर्स करने में युवा कांग्रेस की ओर से लगाए गए धांधली के आरोपों पर मंगलवार को आईजीएमसी प्रशासन ने अपना पक्ष रखा. प्रेसवार्ता में आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डॉ. रजनीश पठानिया ने कहा कि आईजीएमसी और एसोसिएटेड अस्पताल के इंडोर रोगियों के लिए पके हुए आहार के लिए ई-टेंडर बीते वर्ष 20 जुलाई को जारी किया गया था, जिसमें 13 अगस्त को निविदा प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि थी. इसमें एक ही निजी फर्म टेंडर भरा था, जो नियमों से परे था.

वीडियो

इसके बाद प्रशासन ने 11 अगस्त को एक बैठक बुलाई जिसमें इस कंपनी के टेंडर पर विचार किया गया. यह निर्णय लिया गया कि दूसरी बार टेंडर में ढील नहीं होनी चाहिए. इस टेंडर की तकनीकी बोली 13 अगस्त को खोली गई थी जिसमें 4 फर्मों ने भाग लिया था. समिति ने इन बोलियों की तकनीकी जांच की. दस्तावेजों की जांच करने पर एक फर्म को समिति की ओर से अयोग्य घोषित किया गया, जबकि 3 फर्मों ने तकनीकी रूप से क्लीयरेंस ली.

उसके बाद वित्तीय बोली 21 सितंबर को खोली गई और एक निजी फर्म को एल-1 फर्म के रूप में घोषित किया गया. समिति ने 02 दिसंबर वार्ता के लिए बुलाया गया था. फर्म को यह बताया गया कि यह टेंडर वित्तीय वर्ष 2021-22 में लागू होगा. इसे लेकर गर्वनिंग काउंसिल में भी मंजूरी मिल चुकी है. हालांकि मौजूदा समय में आईजीएमसी ही इस मेस को चला रहा है.

16 रेगुलर रसोइयाें में से केवल 3 ही मौजूद

आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. जनकराज ने कहा कि आईजीएमसी की मेस को चलाने के लिए 16 रेगुलर रसोइयों की जरूरत है, जबकि मौजूदा समय में केवल 3 रसाइएं हैं. इसमें अगर एक बीमारी हो या छुट्टी चला जाए तो दिक्कत हो जाती है. फिर वार्ड ब्वॉय या चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को यहां पर लगाना पड़ता है. एक रसाईया रखने में 40 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन देना पड़ेगा.

इस हिसाब से सालाना सरकार पर 76,80,000 रूपए का वित्तीय बोझ पड़ता है, जबकि राशन का खर्चा आरकेएस का हर साल 1.27 करोड़ रुपए आ रहा है. वहीं, रोगियों से खाने के जो 10 रुपये लिए जाते हैं उसमें केवल 13 लाख रुपये सालाना आमदनी हो रही है. किचन सर्विस को चलाने के लिए प्रशासन का लगभग 4.75 करोड़ के खर्च हो रहा है.

टेंडर जांच के लिए कमेटी गठित

आईजीएमसी के प्रिंसिपल डॉ. रजनीश पठानिया ने बताया कि अस्पताल के इंडोर रोगियों के लिए पके हुए आहार के लिए 3 टेंडर सिलेक्ट हुए थे उनके सभी दस्तावेजों की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी है और कमेटी से 2 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है. इसके बाद ही टेंडर पर अंतिम फैसला लिया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः- भोरंज में शातिरों ने व्हाट्सएप्प नंबर किया हैक, युवक को 25 लाख की लॉटरी का दिया झांसा

शिमलाः आईजीएमसी में मेस सर्विस को आउटसोर्स करने में युवा कांग्रेस की ओर से लगाए गए धांधली के आरोपों पर मंगलवार को आईजीएमसी प्रशासन ने अपना पक्ष रखा. प्रेसवार्ता में आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डॉ. रजनीश पठानिया ने कहा कि आईजीएमसी और एसोसिएटेड अस्पताल के इंडोर रोगियों के लिए पके हुए आहार के लिए ई-टेंडर बीते वर्ष 20 जुलाई को जारी किया गया था, जिसमें 13 अगस्त को निविदा प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि थी. इसमें एक ही निजी फर्म टेंडर भरा था, जो नियमों से परे था.

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इसके बाद प्रशासन ने 11 अगस्त को एक बैठक बुलाई जिसमें इस कंपनी के टेंडर पर विचार किया गया. यह निर्णय लिया गया कि दूसरी बार टेंडर में ढील नहीं होनी चाहिए. इस टेंडर की तकनीकी बोली 13 अगस्त को खोली गई थी जिसमें 4 फर्मों ने भाग लिया था. समिति ने इन बोलियों की तकनीकी जांच की. दस्तावेजों की जांच करने पर एक फर्म को समिति की ओर से अयोग्य घोषित किया गया, जबकि 3 फर्मों ने तकनीकी रूप से क्लीयरेंस ली.

उसके बाद वित्तीय बोली 21 सितंबर को खोली गई और एक निजी फर्म को एल-1 फर्म के रूप में घोषित किया गया. समिति ने 02 दिसंबर वार्ता के लिए बुलाया गया था. फर्म को यह बताया गया कि यह टेंडर वित्तीय वर्ष 2021-22 में लागू होगा. इसे लेकर गर्वनिंग काउंसिल में भी मंजूरी मिल चुकी है. हालांकि मौजूदा समय में आईजीएमसी ही इस मेस को चला रहा है.

16 रेगुलर रसोइयाें में से केवल 3 ही मौजूद

आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. जनकराज ने कहा कि आईजीएमसी की मेस को चलाने के लिए 16 रेगुलर रसोइयों की जरूरत है, जबकि मौजूदा समय में केवल 3 रसाइएं हैं. इसमें अगर एक बीमारी हो या छुट्टी चला जाए तो दिक्कत हो जाती है. फिर वार्ड ब्वॉय या चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को यहां पर लगाना पड़ता है. एक रसाईया रखने में 40 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन देना पड़ेगा.

इस हिसाब से सालाना सरकार पर 76,80,000 रूपए का वित्तीय बोझ पड़ता है, जबकि राशन का खर्चा आरकेएस का हर साल 1.27 करोड़ रुपए आ रहा है. वहीं, रोगियों से खाने के जो 10 रुपये लिए जाते हैं उसमें केवल 13 लाख रुपये सालाना आमदनी हो रही है. किचन सर्विस को चलाने के लिए प्रशासन का लगभग 4.75 करोड़ के खर्च हो रहा है.

टेंडर जांच के लिए कमेटी गठित

आईजीएमसी के प्रिंसिपल डॉ. रजनीश पठानिया ने बताया कि अस्पताल के इंडोर रोगियों के लिए पके हुए आहार के लिए 3 टेंडर सिलेक्ट हुए थे उनके सभी दस्तावेजों की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी है और कमेटी से 2 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है. इसके बाद ही टेंडर पर अंतिम फैसला लिया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः- भोरंज में शातिरों ने व्हाट्सएप्प नंबर किया हैक, युवक को 25 लाख की लॉटरी का दिया झांसा

Last Updated : Feb 9, 2021, 10:16 PM IST
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